हर्ष, मेरा
पड़ोसी, एक लेखक, एक वक्ता, एक परामर्श
कंपनी का
प्रमुख
है
और मेरा रिश्तेदार भी। हम दोनों
को जानने वाले किसी ने मुझे एक परियोजना पर एक साथ मिलकर
काम करने
की
सलाह दी और
बताया
कि हमारा साथ-साथ
काम
करना
हमारे लिये लाभप्रद होगा। यह सलाह तो अच्छी
थी लेकिन : मुझे
हर्ष
पसंद
नहीं है। ऐसा
कुछ गलत है जो मुझे परेशान करता है। वह बहुत
अधिक स्वार्थी या अहंकारी या आत्म-संतुष्ट प्रतीत होता है। मुझे
नहीं पता कि वास्तव में वह क्या है, लेकिन मुझे पता है कि मैं उसे पसंद
नहीं करता।
मैंने इसका उल्लेख उस व्यक्ति से
किया जो चाहता है कि हम एक साथ काम करें। उसने मुझसे कहा कि इस भावना
को खत्म
करो। उसने
मुझे
समझाया "उसके
साथ काम करने के लिए उसे पसंद करने की ज़रूरत नहीं है, बस उसके साथ
जो भी व्यवसाय करने की आवश्यकता है, उसका लेन-देन करो,
अपना काम निकालो और
भूल
जाओ, कोई
भी भावनात्मक संबंध मत बनाओ।”
जिन लोगों को हम पसंद
नहीं करते उनके साथ काम करने या उनके साथ रहने के बारे
में हम
जो
सामान्य सलाह सुनते हैं, वह केवल रिश्ते को अलग करना है, रिश्ते को
तोड़ना है। “उसे छोड़ दो और अलग हो जाओ”। यानि,
पूर्ण-रुपेण स्वार्थी बन जाओ, अपने
रिश्तों को अहमियत मत दो, सिर्फ मैं और मेरा।
कोई भी दो व्यक्ति एक जैसे नहीं हैं, न
रूप में, न
रंग में, न
आकार में। न ही प्रकृति, स्वभाव और सोच-विचार में। तब हर ऐसे
व्यक्ति से अगर हम रिश्ता तोड़ते जाएँ तो हम कहाँ पहुंचेंगे? अकेले
रह जायेंगे। लेकिन जिन लोगों को हम पसंद नहीं करते और
हमारे आस-पास रहते हैं तो वे हमें पागल कर देते हैं। हम उनके बारे में शिकायत करने
में बहुत अधिक समय बर्बाद भी करते हैं। लेकिन यह भी सही है कि हम किसी
ऐसे व्यक्ति के साथ कैसे काम कर सकते हैं,
कैसे रह सकते हैं जिसे हम पसंद
नहीं करते?
“मैं उसे पसंद
नहीं करता” - यह
एक ऐसी कठिनाई है जिसका हम में से अधिकांश लोगों ने अपने जीवन में
सामना किया है, वह
चाहे अपना परिवार हो, रिश्ते-नाते हों,
आस-पड़ोस हो या कार्य-जीवन के लोग हो। कैसे निपटें हम ऐसे लोगों से?
मैं केवल किसी ऐसे व्यक्ति के बारे
में बात नहीं कर रहा हूँ जो सही ढंग से काम नहीं करते। यह
उन्हें नापसंद करने से अलग है। अगर हमें लगता है कि हम कोई कार्य
उससे कम समय में और ज्यादा अच्छी तरह कर सकते हैं, तब
झुंझलाहट का होना स्वाभाविक है। लेकिन, इस बात पर भी
जरा विचार करें - जिसे आप पसंद करते हैं
लेकिन जो काम सही ढंग
से नहीं
कर
सकता
आप
उसकी सहायता करते हैं बनाम किसी
ऐसे व्यक्ति
के
जो काम कर सकता है लेकिन
जिसे
आप पसंद नहीं करते आप उसके काम में रोड़े डालते हैं? क्या यह अजीब नहीं है?
यह
याद रखें जिसे आप पसंद नहीं करते, वह यह जानता है कि आप उसे पसंद नहीं करते और इसलिए वह भी आपको पसंद नहीं
करता। अगर आपको लगता है कि किसी ऐसे व्यक्ति के साथ काम करना मुश्किल है
जिसे आप पसंद नहीं करते हैं, तो इसे उलट लीजिये। किसी ऐसे
व्यक्ति के साथ काम करने की कोशिश करें जो आपको पसंद नहीं करता है। यह
वास्तव में सरल है। जिन लोगों के साथ आपकी बनती है वे आपकी मदद करने के तरीके खोज
लेंगे और जिन लोगों के साथ आपकी नहीं बनती
वे आपके मार्ग में बाधा डालने के तरीके खोज लेंगे।
क्या आप लालची, स्वार्थी, उपेक्षा करने वाले
या कंजूस
हैं?
आप वास्तव में अपने आप का यह हिस्सा पसंद
नहीं करते हैं, है ना? आप चाहते हैं कि आप अपने आप को इनसे दूर कर
सकें, जैसे आप चाहते हैं कि आप उस नापसंद व्यक्ति से खुद को दूर कर सकें। दूसरे शब्दों
में, संभावना यह है कि जिस कारण से प्रमुखतः आप उस व्यक्ति को
पसंद
नहीं
करते, वह
यह है कि वे आपको याद दिलाते हैं कि आप अपने बारे में क्या बर्दास्त
नहीं कर
सकते।
प्रायः
एक दूसरे को पसंद न करने का मूल कारण एक ही होता है। एक क्षण के लिए इस बात पर
विचार करें कि आप उसे पसंद क्यों नहीं करते? शायद आपको लगता है कि वे लालची हैं या स्वार्थी या एकदम मतलबी। दूसरे
शब्दों में, उनके पास कुछ है, चारित्रिक
दोष या अप्रिय लक्षण जो आपको परेशान करते हैं। ठहरिए, एक
बार यह सोचें कि वह व्यक्ति बीमार है। क्या बीमारी है उसे, यह
समझना आपके काम आ सकता है। क्योंकि उन्हें बेहतर तरीके से जानना,
और उनके उन हिस्सों को स्वीकार करना जिन्हें आप पसंद नहीं करते, वास्तव में अपने
आप को बेहतर तरीके से जानना और अपने उन हिस्सों को स्वीकार करना है जिन्हें आप पसंद
नहीं करते हैं। क्योंकि दोनों का एक दूसरे को अस्वीकार करने का
कारण एक ही है। खुद
को बेहतर समझने के लिए उसका इस्तेमाल करें। गौर कीजिए कि आपको उससे समस्या क्यों है?
वह ऐसा क्या करता है जो आपको इतना परेशान करता है? सही ढंग से
काम न करना, बात
का सलीका न आना,
एक अच्छा ईमेल
या रिपोर्ट लिखने में उसकी
अक्षमता,
उसकी आदतें, ये
सब तो उसकी बीमारी के लक्षण हैं। इन्हें पीछे छोड़ें और उस चीज़ पर जाएँ
जो वास्तव में आपको परेशान कर रही है। उसके व्यक्तित्व या व्यवहार में ऐसा क्या
है
जो आप
में झुंझलाहट या घृणा पैदा करता है? आप उसके बारे में क्या नफरत करते हैं?
फिर, इस बात पर विचार करें कि आपके
उत्तर ही आपका प्रतिबिंब है। मेरे
लिए, हर्ष
ने
अपने बारे में उन सब
को
प्रतिबिंबित किया जो मुझे नापसंद थे – स्वार्थी, अहंकारी और आत्म-संतुष्ट। उस समय के
बारे में सोचें जब आप लालची या स्वार्थी या नीच महसूस करते हैं। क्या आप इसे सह सकते
हैं? क्या आप आकर्षण और घृणा दोनों की अपनी भावनाओं को महसूस कर सकते हैं? यह अंधेरा
या उजाला नहीं
है, यह अंधेरा
और उजाला
है।
तो किसी और के प्रति अपनी नापसंदगी को दूर
करने का तरीका? अपनी
उन नापसंदगी
पर काबू पाना
और अपने आप को उन कारणों से दूर करना है। अब जब बीमारी का पता चल गया तब उसका इलाज
भी किया जा सकता है, उस दुर्गुण को दूर किया जा सकता है।
यह
स्वीकार करना अभी भी कठिन है लेकिन यह मेरा
एक हिस्सा है और सही माने में, मैं अब अपने
आप को ज्यादा अच्छी तरह समझता हूँ।
हमें दूसरों की कमजोरियों और दोषों के प्रति
दयालु और समझदार होना होगा और अगर हम यह देख और महसूस कर सकें कि हम दूसरे व्यक्ति
में जो भी दोष या कमजोरियां देखते हैं... जो नफरत पैदा करती है... हमारे अपने
भीतर
बहुत अधिक है, यह इस करुणा और समझ को विकसित करने में मदद करता है। जैसा कि श्रीमाँ बताती
हैं:
हम सब के प्रति
उदार रहें,…. । लेकिन
जिस तरह हमें दूसरों के प्रति करुणामय और दयालु
होना चाहिए, उसी तरह हमें खुद के साथ कठोर और सख्त होना चाहिए, क्योंकि हम अंधेरे में
रौशनी
बनना चाहते हैं,
रात में मशाल बनना चाहते हैं। (सीडब्ल्यूएम, खंड-2, पृष्ठ-92)
अस्वीकृति के इस आंदोलन के साथ-साथ
हमें अपने मन और हृदय के गुणों को विकसित करना होगा जो दया, समझ, पवित्रता, शांति,
परोपकार, सद्भाव जैसे हमारे सच्चे स्व की प्रकृति के समान हैं। ये
हमें अपने रिश्ते निभाने और नए लोगों से जुड़ने में मदद करेगा। हमारी दुनिया
संकुचित होने के बदले फैलाने लगेगी।
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