शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

सर्व धर्म समभाव

 (अलग-अलग समय एवं जगहों पर प्रश्नों के उत्तर में गांधी ने धर्म के संबंध में अपने विचारों को व्याख्यायित किया है। उन्होंने हर प्रश्न का बड़ी बेबाकी से उत्तर दिया। उनकी बातें प्रकाशित भी होती रही हैं। कई शोधकर्ताओं ने उसे एकत्रित करके भी प्रकाशित किया है। श्री रवि के. मिश्रा का लिखा ऐसा ही एक लेख गांधी एंड रिलीजन (Gandhi and Religion) के नाम से गांधी मार्ग-अँग्रेजी के जनवरी-मार्च 2020 के अंक में प्रकाशित हुआ। उसी के कुछ अंश आपकी जानकारी के लिए, हिन्दी में प्रस्तुत है।)

1.

अलस्तरी मकराए

गांधी जहाँ जीसस के बड़े प्रशंसक थे उन्होंने इस बात को मानने से इंकार कर दिया कि जीसस का स्थान  संसार के सब धर्म गुरुओं की तुलना में  ज्यादा ऊँचा है। उन्होंने अपने एक पत्र  में अलस्तरी मकराए (Alastari Macrae) को लिखा, “मैं जीसस को दुनिया के महानतम धर्म गुरुओं में मानता हूँ, लेकिन मैं यह विश्वास नहीं करता कि वे सर्वोच्च देव थे”।

2.

महिला मिशिनरी एमिली किन्नईर्ड (Emily Kinnaird) ने प्रश्न किया, “क्राइस्ट ईश्वर के एकमात्र पुत्र हैं?

एमिली किन्नईर्ड
गांधी, “आपके लिए क्राइस्ट ईश्वर के एकमात्र पुत्र हो सकते हैं। मेरे लिए वे ईश्वर के पुत्र थे। वे चाहे जितने भी पवित्र रहे हों लेकिन हम सब उसी ईश्वर की संतान हैं और वे सब करने की क्षमता रखते हैं जिसे क्राइस्ट ने किया; अगर हम प्रयास करें तो अपने भीतर के उस देवत्व को प्रकट कर सकते हैं”।  

 3.

महिला मिशीनरियों के समूह का प्रश्न, “अगर कोई काफी जिज्ञासु हो और किसी एक पुस्तक की  सिफ़ारिश करने पर ज़ोर दे तब उन्हें कौनसी पुस्तक की सिफ़ारिश करनी चाहिए?”

गांधी, “आप इस अवस्था में यही कहें कि आपके लिए बाईबल ही है। लेकिन अगर वे मुझसे पूछेंगे तो मैं किसी को कुरान कहूँगा, किसी को गीता, किसी को बाइबिल तो किसी को तुलसीदास कृत रामचरित मानस बताऊंगा। मैं एक समझदार डॉक्टर की  तरह रोगी के अनुसार उसे उपचार बताऊंगा”।

महिलाओं ने कहा, “लेकिन उन्हें गीता से ज्यादा कुछ प्राप्त नहीं हुआ”।

गांधी ने कहा, “लेकिन उन्हें भी बाइबिल या कुरान से ज्यादा कुछ नहीं मिला”।

महिलाओं ने फिर कहा, “लेकिन अगर हमारे पास आध्यात्मिक और चिकित्सीय दृष्टिकोण से कुछ है जिसे हम उन्हें दे सकते हैं तब उसे क्यों न दिया जाए?”

तब गांधी ने कहा, “इस दुविधा से बाहर निकलने का एक आसान मार्ग है। आप यह निश्चित रूप से अनुभव करें कि आपके पास जो है, आपका मरीज भी उसे प्राप्त कर सकता है, लेकिन किसी दूसरे रास्ते से। आप कह सकती हैं कि आप इसी रास्ते से आई हैं, लेकिन वे किसी दूसरे रास्ते से भी आ सकते हैं। आप क्यों ऐसा चाहती हैं कि वे भी उसी विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण हों जिससे आप हुई हैं?”

सी.एफ.एंड्रूज़
4.


सी
.एफ.एंड्रूस, “अगर ऑक्सफोर्ड समूह आपके बच्चे को जिन्दगी दे और वो अपना धर्म परिवर्तन करना चाहे तब आप क्या कहेंगे?”

गांधी, “मैं कहना चाहूँगा कि ऑक्सफोर्ड समूह जितने लोगों की जिंदगी बदली कर सकता है, जरूर करे लेकिन उनका धर्म नहीं।

 5.

इस प्रकार किसी भी तर्क पर किसी के भी धर्म परिवर्तन को खारिज कर दिया।  उन्होंने मिशनरियों द्वारा चलाये जा रहे मिथ्या अफवाहों को यह कह कर खारिज कर दिया कि किसी का भी धर्म परिवर्तन उस व्यक्ति के प्रति केवल हिंसा नहीं है बल्कि यह कार्य धर्म की आधारभूत मान्यताओं के खिलाफ है जिसका आधार ही यह है कि सब धर्म एक समान हैं। जिसका मूलभूत आधार यही है कि सब एक ही समान सत्य हैं और सब उसी एक ही देवतुल्य सत्य की ओर ले जाते हैं। और अगर सब धर्म समान हैं तब फिर धर्म परिवर्तन सिर्फ अनावश्यक ही नहीं बल्कि पागलपन है। यह केवल एक व्यक्ति के लिए ही नहीं बल्कि उस समाज के लिए भी हानिकारक है जिसमें ऐसी घटनाएँ घटती हैं।

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