शुक्रवार, 4 जुलाई 2014

मेरे विचार - नागरिक कर्तव्य


चुस्त नागरिक सतर्क प्रशासन

चुस्त नागरिक सुस्त प्रशासन को दुरुस्त करता है। प्रशासन बिना नागरिकों के सहयोग के कुंठित है। आवश्यक है कि हम उसे अपना सहयोग दें। गांधीजी ने भी कहा था की अत्याचार करने वाले से अत्याचार सहने वाला ज्यादा दोषी है। यह सोच  कर कि प्रशासन कुछ नहीं करेगा हाथ पर हाथ धरे बैठना ठीक नहीं है। प्रशासन द्वारा दी गयी सुवधाओं का प्रयोग करें। गलत एवं अनुचित का विरोध करें। याद रखें भावन शुद्ध होनी चाहिए, यानि सत्य एवं न्याय की प्रतिष्ठा। किसी को नुकसान पहुंचाने का उद्देश्य नहीं होना चाहिए, बदले की भावन नहीं होनी चाहिए।

कुछ एक उदाहरण निम्नलिखित हैं। आप को भी ऐसे अनुभव हुए होंगे। उसकी चर्चा करें तथा लोगों को गलत / अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करें।

प्रदूषण के  नियंत्रण में प्रशासन को सहयोग
कोलकाता पुलिस ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए यह सूचना प्रसारित की थी कि धुआँ करने वाली वाहन  का नंबर उन्हे सूचित किया जाय। लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। हमने ऐसे एक वाहन का नंबर फोन पर उन तक पहुंचाया। पुलिस ने उस पर कार्यवाही की एवं हमें सूचित भी किया। उनसे प्राप्त पत्र की प्रतिलिपि नीचे है।



गलत विज्ञापन का विरोध

कुछ समय पहले तक आइनोक्स यह विज्ञापन देता रहा कि सप्ताहंत ( वीक एंड ) एवं छुट्टी के दिन को छोड़ कर टिकटों की दरें कम हैं। लेकिन इसके विपरीत शुक्रवार को भी टिकटों की  दरें ज्यादा रहती थी। आइनोक्स को सूचित करने पर भी उसने इस पर ध्यान नहीं दिया। अंत में इसकी शिकायत एडवर्टाइजिंग स्टंडार्ट काउंसिल ऑफ इंडिया से की  गयी। आइनोक्स को उनकी बात माननी पड़ी एवं वैसे विज्ञापनों को बंद करना पड़ा। काउंसिल के पत्र की प्रतिलिपि संलग्न है।


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