कोशिश
तुम निरे बुध्धू रहे,
चाँद से कुछ सीखो ना?
कहीं से कुछ लेकर
कुछ बनो ना?
चाँद ने सूरज के प्रकाश का
एक अंश भर लिया है,
और अब शान से
रात को अपना एक छत्र राज्य जमाये
प्रकाश कुबेर बन बैठा है।
अपने चेचकनुमा मुंह पर
रशिमयों का लेप लगा
कर
उसने कायाकल्प भी कर लिया है।
अब कुरूप – कलूटा चाँद
परम रूपवान बन
रमणियों का चहेता है,
तारिकाओं का कन्हैया है,
निशा-वधुओं का छबीला है।
तुम भी कोई ऐसी कोशिश करो ना,
कुछ बनो ना?
- श्याम सुंदर बागड़िया
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