सूतांजली मार्च २०२० में ३ लेख हैं ।
१. उत्सव
फाल्गुन
का महिना प्रारम्भ हो चुका है। होली के धमाल दरवाजे पर दस्तक देने लगे हैं। रंगो
के इस उत्सव को क्या हम अब वैसी ही नजरों से देख रहे हैं जैसे हमने बचपन में देखा था? क्यों आ गया यह
बदलाव और कैसी हम फिर से वैसी ही मस्ती और हर्षोल्लास से मना सकते हैं इस त्यौहार
को?
२. जो फल
पावे, मनवांछित बन जावे
याचक बड़ा
कि दाता? लेकिन हम ये कैसे याचक हैं कि सबों के दाता के सामने हम हुकुम चलाने लगते
हैं। क्या अच्छा हो अगर हम ‘मनवांछित फल पावे’ के बदले ‘जो
फल पावे, मनवांछित बन जावे’ गाने लगें। ‘क्या है
मोक्ष? मोक्ष कोई स्थान है या एक अनुभव -एक ज्ञान है?
३. चलते
चलते – इन्हे भी जानिए
इस बार हम
परिचय करवा रहे हैं हरेकला हजब्बा (Harekala Hajabba)
से। कुछ भी नहीं से बहुत कुछ तक की यात्रा। प्रेरणा दायक हैं उनके लिए जो यह सोचते
हैं कि हम तो सक्षम नहीं है कर ही क्या सकते हैं? लेकिन अभावों
में जीने वाले भी अनेकों का अभाव दूर करने की क्षमता रखते हैं। चाहिए निष्ठा, लगन और कुछ करने का जज़बा। फिर हर मुश्किल आसान हो जाती है।
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