सूतांजली के मार्च अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-
इस अंक में दो विषय, एक लघु कहानी एवं ‘कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी’
धारावाहिक का तीसरा अंश है:
१। कैसा जीवन चाहिये? गुलाम का या मालिक का?
कैसा
जीवन खोजते हैं आप? – एक गुलाम जैसा या एक मालिक जैसा! बड़ा बेहूदा सा प्रश्न प्रतीत होता है। यह भी कोई पूछने वाली बात है!
गुलामी का जीवन भी कोई जीवन है? गुलामी में तो जीवन केवल
जाता है, आता नहीं। गुलामी का जीवन बस एक आभास होता है, सपना होता है,.....
२। सुखी जीवन, आपकी मुट्ठी में
एक
बड़ी कंपनी में कार्यरत महिला लिखती हैं:
‘उस
वर्ष कंपनी में अनेक उठा-पटक हुए। अब कंपनी के कर्मचारियों का वार्षिक मूल्यांकन
चल रहा था। सभी बेहद तनाव में थे। चाय पर, भोजन पर, गलियारों में, आते-जाते सब केवल इसी की चर्चा कर
रहे थे। कौन रहेगा, कौन जाएगा, किसकी
तरक्की होगी, किसकी अवनति होगी? जितनी
मुंह उतनी बातें। मैं उस तनाव को झेल नहीं पा रही थी। अत: हरिद्वार एक आश्रम
में ‘ध्यान- .......
३। गुरु पर भरोसा
भयानक कार
दुर्घटना में अपना बायाँ हाथ खो चुकने के बाद भी १० वर्षीय जतिन की जूडो सीखने की
तीव्र इच्छा थी। एक दिन वह एक बूढ़े जापानी जूडो गुरु के पास पहुंचा। साहस जुटाकर
उसने उनसे जूडो सीखाने का आग्रह किया। गुरु ने उसे अपने शिष्यों में शामिल कर
लिया। अगले दिन से वह नियमित अभ्यास में शामिल होने लगा। वह खूब मन लगाकर अच्छी
तरह से सीख रहा था। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि पिछले तीन महीने से वह एक ही
पैंतरा .........
४। कारावास की
कहानी – श्री अरविंद की जुबानी
पांडिचेरी आने के पहले श्री अरविंद कुछ समय अंग्रेजों की जेल बंद में थे।
जेल के इस जीवन का, श्री अरविंद ने ‘कारावास की कहानी’ के नाम से,
रोचक वर्णन किया है। ‘अग्निशिखा’ में इसके रोचक अंश प्रकाशित हुए थे। इसे हम जनवरी माह से एक धारावाहिक के
रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इस कड़ी में यहाँ इसका तीसरा अंश है।
संपर्क
सूत्र (लिंक): -> https://sootanjali.blogspot.com/2021/03/2021.html
ब्लॉग
में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है।
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