किसी भी कार्य को टालने या न करने के हमारे पास दो बड़े ‘महत्वपूर्ण’ कारण होते हैं :
1। पहले कभी किया नहीं और
2। पहले पन्ने पर कठिनाई नजर आती
है।
आपने अपने जीवन में जो कुछ भी किया, माँ के गर्भ से निकलने के बाद से आज
तक, उन सब में ये दोनों कठिनाइयाँ मौजूद थीं, लेकिन बावजूद इसके आप करते रहे और बढ़ते रहे। इस कारण आप वहाँ हैं जहां
अपने आप को देख रहे हैं।
शेक्सपीयर ने कहा था, 'जो मक्खी के डंक से डरता है,
वो कभी शहद नहीं पा सकता।' उन्नति की पहली
शर्त है जोख़िम लेने का साहस और चुनौतियां स्वीकारने का जज्बा - यदि हम जीवन को भय
और असुरक्षा के ख़याल से बांधे रखेंगे, तो कभी भी नई शुरुआत
की हिम्मत नहीं पा सकेंगे। जीवन चाहता है कि हम उसे मक्खी का डंक नहीं शहद का
छत्ता मानें और चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस का कंबल खोज लें।
जीवन की सबसे अहम चुनौती को तो आपने पूरे गाजे-बजे और
शान-शौकत के साथ स्वीकार कर विवाह कर लिया फिर अब क्यों घबड़ा रहे हैं? बहाने ढूँढ रहे हैं?
विलियम काबेट ने लिखा है, 'मैंने आठ साल तक खेत में हल चलाया। जब
मुझे छह पैसे मज़दूरी के एवज में मिल रहे थे, तब मैं रात को
व्याकरण पढ़ा करता था। खाने के पैसों में कटौती करके काग़ज़ क़लम ख़रीदता था। मुझे
वे दिन बार-बार याद आता है, जब मैंने 1 सेंट बचाकर जेब में रख लिया था, मछली ख़रीदने के
इरादे से। पर वह सिक्का जाने कहां गुम हो गया। मैं भूख और तक़लीफ़ से रात भर रोता
रहा। ये जीवन के कठिन दिन थे, पर मैं इन कठिनाइयों के आगे की
सपनीली भोर के बारे में सोचता था। और ये कठिनाइयां मेरे जीवन का सबसे बड़ा सबक़ बन
गईं। यह सबक़ सीखने के बाद न कोई बाधा मुझे डरा सकी, न कोई
कठिनाई मेरा रास्ता रोक सकी।'
क्या आप जीवन की एकरसता से ऊबकर जम्हाइयां लेते हैं?
विलियम काबेट जैसे अनगिनत जीवन हमारे लिए सबक़ की तरह बिखरे पड़े हैं। उनकी
संघर्ष और जीवटता से भरी कहानियां हमें सिखाती हैं कि जिंदगी की किताब को कभी भी
इस वजह से बंद मत कीजिए कि जो पन्ना सामने है, वो आपको पसंद नहीं। थोड़ा जोख़िम उठाइए और
पन्ना बदलकर देखिए, क्योंकि जीवन के सबसे उजले पन्ने संघर्ष
के उस पार छिपे होते हैं। बेशक पीछे मुड़कर नया अंत लिखना मुमकिन नहीं, पर एक नई शुरुआत करके एक सुखद अंत लिखा जा सकता है। इसीलिए ख़तरों,
प्रतिकूलताओं और जीवन की अनिश्चितता से बचकर मत भागिए, योद्धा की तरह उनका सामना कीजिए।
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एक चीज दुनिया की सारी सेनाओं से भी ताक़तवर है - आपकी
विचार शक्ति। जीवन में नया उजास लिखने के लिए आप इस शक्ति का आह्वान कीजिए।
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जो बेहतर है, वो अभी घटित नहीं हुआ है - द बेस्ट इज़ येट
टु बी ।
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याद रखिए कि जैसे बेहद अजीज होने के बावजूद आप किताब के
पन्ने को एक सीमा के बाद पलट देना चाहते हैं, उसी तरह जिंदगी का कोई लम्हा भले कितना ही
ख़ास क्यों न हो, आप उसी पर ठहरे नहीं रह सकते। आपको चलना
होगा। क्योंकि अगर आप नहीं चले, तो कभी एक नया अध्याय नहीं
लिख पाएंगे। कभी नहीं जान पाएंगे कि अगले पन्ने पर जिंदगी आपके लिए कौन-सा मौक़ा, कौन-सा आश्चर्य, कौन-सा सुख लेकर खड़ी थी।
आगे बढ़ते रहिए, पन्ने बदलते रहिए, नई
ऊँचाइयाँ हासिल करते रहिए।
जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबहो-शाम।
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