शुक्रवार, 6 मई 2022

सूतांजली मई 2022


 सूतांजली के मई अंक में कई विषय, लघु कहानी और धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी की सत्रहवीं किश्त है।

१। धूप-छाँह - मेरे विचार

सूर्योदय जितना अटल है, सूर्यास्त भी उतना ही अटल है।    अगर प्रकृति के ये नियम अवश्यंभावी हैं तो फिर इससे क्या घबराना? लेकिन इनका सामना करने के लिए तैयारी  करनी पड़ेगी! क्या आपने इसकी तैयारी की है? आर्थिक सुरक्षा के नाम

२। पढ़ना, सुनना, गुनना, घुलना   

जैसे दूध में चीनी डाल देने मात्र से दूध में मिठास नहीं आती। क्योंकि चीनी तो दूध के बर्तन के पेंदे में बैठ जाती है। जब उसी चीनी को मिलाया जाता है तब वह

३। बचपन की भाषा  – मैंने पढ़ा

उसकी इस बात पर मैंने कुछ नहीं कहा, क्योंकि अब तक मैं भी बचपन की भाषा भूल गया था

४। जीवन की नदी में हर कहानी बह रही है...-    मैंने पढ़ा  

हर चीज बहती है। हम एक ही नदी को दोबारा नहीं देख सकते, क्योंकि हर बीतते क्षण के साथ नदी का बहाव नया

५। तरीका - लघु कहानी - जो सिखाती है जीना

छोटी कहानियाँ - बड़े अर्थ

६।कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी (१७) – धारावाहिक

धारावाहिक की सत्रहवीं किश्त

...किन्तु पुलिस को ठग उनका केस मिट्टी कर देने की आशा भी उन्हें थी। चालाकी और असदुपाय से कार्यसिद्धि ही दुष्प्रवृत्ति की स्वाभाविक प्रेरणा है। तभी से समझ गया था कि गोसाईं पुलिस के वश हो सच झूठ...

 

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