सूतांजली के अगस्त अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-
इस अंक
में हैं श्री अरविंद का लेख और धर्मवीर भारती के यात्रा वृतांत पर आधारित भारतीयता
का अर्थ।
१। मौलिक विचारों की आवश्यकता – मैंने पढ़ा
श्रीअरविंद
को हम एक महान योगी के रूप में जानते हैं।
कुछ लोग जानते हैं कि योगी बनाने के पूर्व वे एक जुझारू क्रांतिकारी भी थे
जिन्होंने अपनी लेखनी से भारत के युवा वर्ग को झकझोर उन्हें जाग्रत और उनका
पथ-प्रदर्शन किया। अंग्रेज़ सरकार उनसे परेशान थी और निरंतर उन्हें जेल में ठूँसने
के लिए प्रयत्नशील थी। इसके बावजूद श्रीअरविंद निरंतर लिखते रहे। उन्होंने अपनी
सशक्त लेखनी, अपने संवादों, अपने भाषणों
से कायरता को वीरता में, निराशा को आशा में और निष्क्रियता
को सक्रियता में परिणित कर दिया। वैसे ही लेखों की एक बानगी।)
२। माई जी की भारत-माता
श्री
धर्मवीर भारती के यात्रा संस्मरण पर आधारित यह राष्ट्रियता से ओत-प्रोत आख्यान साथ
में जे आर डी का एक संस्मरण
यू
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