बाम्हनी नदी के किनारे बसी है ओरिसा की इस्पात नगरी - राउरकेला। स्टेशन से ही पहाड़ पर स्थापित "वैष्णो देवी" का मन्दिर दिखाई पड़ता है। करीब ४०० सीढ़ी की ऊंचाई के इस मन्दिर में माँ वैष्णो देवी का ही प्रारूप विराजित है और इसी कारण है यह नाम। वैसे नाम के अलावा दोनों में और कोई समानता नहीं है - न ही व्यवस्था की और न ही भक्ति भाव की।
राउरकेला से बिरमित्रापुर जाने के लिए बस (१५ रूपये), ऑटो (२५० रूपये) तथा टैक्सी (३५०रुपये) में उपलब्ध हैं। दूरी है ३६ की.मी। और रास्ता शानदार। आप चाहें तो राउरकेला से निकलते समय गणगौर में नास्ता कर सकते हैं। अगर आप कोलकाता के गणगौर से परिचित हैं तो अलग से बताने के लिए और कुछ नहीं बचता है। उत्तम मिठाई , सुस्वादु नाश्ता और बढ़िया भोजन आप जो चाहें। बिरमित्रापुर झुनझुनूधाम में अगर प्रसाद चढ़ाना हो तो उचित होगा की आप यहीं से साथ ले लें।
बिरमित्रापुर स्थित रानीसती मन्दिर का नाम करण भी झुंझुनू के आधार पर "झुनझुनूधाम" ही रखा गया है। स्वरुप, सजावट, बनावट भी हूबहू झुनझुनूधाम के तर्ज पर ही है। ऐसा लगता है जैसे यहाँ के धार्मिक लोगों को नक़ल करने की आदत है। तभी तो वैष्णो देवी भी है और झुनझुनूधाम भी।
खैर मन्दिर प्रांगण का रख रखाव एवं व्यवस्था काबिले तारीफ़ है। मन्दिर परिसर में ही धर्मशाला है जिसमें १५ वातानुकूलित कमरे(रु.४००) हैं जिनमें ५ व्यक्ति तक आराम से रह सकते हैं। इसके अलावा ३ दोर्मैतारी (रु.११००) भी हैं जिनमें १३ व्यक्ति रह सकते हैं। बढिया भोजन एवं नाश्ते की भी व्यवस्था मन्दिर में है।
मन्दिर से करीब २ की.मी। पर ग्लोबल रिहैबितिलेशन एंड डेवेलपमेंट सेंटर है। यहाँ अभी ३६ बच्चे हैं, एवं १५ कर्मचारी। अनाथ बच्चों के जीवन को सजाने-संवारने का एक उत्साहवर्द्धक एवं प्रशंसनीय प्रयास है। अगर आप बिरमित्रापुर जा रहे हैं तो इन बच्चों से जरूर मिलिए। आप चाहें तो इनके लिए कुछ ले जा सकते हैं यथा : खाने के लिए, पहनने के लिए, खेलने के लिए, पढ़ने के लिए या और कुछ अपनी इच्छा एवं शक्ति के अनुरूप ले जाएँ और साथ ले जाएँ असीमित प्यार। इन्हें स्नेह चाहिए, रास्ता चाहिए, करुणा या दया नहीं। यहाँ हम ५ भाई बहनों से मिले। बहने बड़ी हो गयी हैं अतः पड़ने के लिए कोडाईकनाल पब्लिक स्कूल में भेज दी गयी हैं। स्कूल की फीस सेंटर वाले ही देते हैं तथा प्रयोग के लिए एच पी का लैपटॉप भी दिया गया है। वे छुट्टी में अपने घर आई हुई थीं। पड़ने में तेज एवं निपुण। एथेलेटिक कंपटीशन में देर सारे तमगे जीत रखे हैं उसने, साथ ही "वीरता" पुरस्कार भी - राज्य के मुख्यमंत्री से बहादुरी के लिए । निगाह है आई.ऐ.एस पर। सही दिशा और साथ मिलता रहा तो निश्चित है की अपनी मंजिल पा लेंगीं।
राउरकेला एवं बिरमित्रपुर में एक और ख़ास बात नजर आई। वाहन चालकों को हड़बडी नहीं है। "पहले मैं" के बदले "पहले आप" की सोच स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। वाहन को रोकना और पास देना इनकी आदत है। बिरमित्रापुर एक छोटा सा कस्बा है, आबादी होगी यही कोई २०/२५ हजार। कस्बे के चारों तरफ़ माईन्स हैं जिन में काम करने वाले ही इस कसबे के बाशिंदे हैं।
कुल मिला कर बिरमित्रपुर की यात्रा यादगार यात्रा रही। पूर्ण विश्राम एवं रानीसती का पूजन। दोनों साथ साथ और साथ में ग्लोबल विलेज का अविस्मरनीय अनुभव।
राउरकेला से बिरमित्रापुर जाने के लिए बस (१५ रूपये), ऑटो (२५० रूपये) तथा टैक्सी (३५०रुपये) में उपलब्ध हैं। दूरी है ३६ की.मी। और रास्ता शानदार। आप चाहें तो राउरकेला से निकलते समय गणगौर में नास्ता कर सकते हैं। अगर आप कोलकाता के गणगौर से परिचित हैं तो अलग से बताने के लिए और कुछ नहीं बचता है। उत्तम मिठाई , सुस्वादु नाश्ता और बढ़िया भोजन आप जो चाहें। बिरमित्रापुर झुनझुनूधाम में अगर प्रसाद चढ़ाना हो तो उचित होगा की आप यहीं से साथ ले लें।
बिरमित्रापुर स्थित रानीसती मन्दिर का नाम करण भी झुंझुनू के आधार पर "झुनझुनूधाम" ही रखा गया है। स्वरुप, सजावट, बनावट भी हूबहू झुनझुनूधाम के तर्ज पर ही है। ऐसा लगता है जैसे यहाँ के धार्मिक लोगों को नक़ल करने की आदत है। तभी तो वैष्णो देवी भी है और झुनझुनूधाम भी।
खैर मन्दिर प्रांगण का रख रखाव एवं व्यवस्था काबिले तारीफ़ है। मन्दिर परिसर में ही धर्मशाला है जिसमें १५ वातानुकूलित कमरे(रु.४००) हैं जिनमें ५ व्यक्ति तक आराम से रह सकते हैं। इसके अलावा ३ दोर्मैतारी (रु.११००) भी हैं जिनमें १३ व्यक्ति रह सकते हैं। बढिया भोजन एवं नाश्ते की भी व्यवस्था मन्दिर में है।
मन्दिर से करीब २ की.मी। पर ग्लोबल रिहैबितिलेशन एंड डेवेलपमेंट सेंटर है। यहाँ अभी ३६ बच्चे हैं, एवं १५ कर्मचारी। अनाथ बच्चों के जीवन को सजाने-संवारने का एक उत्साहवर्द्धक एवं प्रशंसनीय प्रयास है। अगर आप बिरमित्रापुर जा रहे हैं तो इन बच्चों से जरूर मिलिए। आप चाहें तो इनके लिए कुछ ले जा सकते हैं यथा : खाने के लिए, पहनने के लिए, खेलने के लिए, पढ़ने के लिए या और कुछ अपनी इच्छा एवं शक्ति के अनुरूप ले जाएँ और साथ ले जाएँ असीमित प्यार। इन्हें स्नेह चाहिए, रास्ता चाहिए, करुणा या दया नहीं। यहाँ हम ५ भाई बहनों से मिले। बहने बड़ी हो गयी हैं अतः पड़ने के लिए कोडाईकनाल पब्लिक स्कूल में भेज दी गयी हैं। स्कूल की फीस सेंटर वाले ही देते हैं तथा प्रयोग के लिए एच पी का लैपटॉप भी दिया गया है। वे छुट्टी में अपने घर आई हुई थीं। पड़ने में तेज एवं निपुण। एथेलेटिक कंपटीशन में देर सारे तमगे जीत रखे हैं उसने, साथ ही "वीरता" पुरस्कार भी - राज्य के मुख्यमंत्री से बहादुरी के लिए । निगाह है आई.ऐ.एस पर। सही दिशा और साथ मिलता रहा तो निश्चित है की अपनी मंजिल पा लेंगीं।
राउरकेला एवं बिरमित्रपुर में एक और ख़ास बात नजर आई। वाहन चालकों को हड़बडी नहीं है। "पहले मैं" के बदले "पहले आप" की सोच स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। वाहन को रोकना और पास देना इनकी आदत है। बिरमित्रापुर एक छोटा सा कस्बा है, आबादी होगी यही कोई २०/२५ हजार। कस्बे के चारों तरफ़ माईन्स हैं जिन में काम करने वाले ही इस कसबे के बाशिंदे हैं।
कुल मिला कर बिरमित्रपुर की यात्रा यादगार यात्रा रही। पूर्ण विश्राम एवं रानीसती का पूजन। दोनों साथ साथ और साथ में ग्लोबल विलेज का अविस्मरनीय अनुभव।
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