आज मीडिया ऊटपटाँग खबरें दे कर ही अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह मान लेता है। वह यह समझता है कि व्यापार, राजनीति, धर्म और खेल की गतिविधियां ही बताना-छापना उनका उद्देश्य है। इनके अलावा अपराध तथा समाज और व्यक्ति को तोड़ने की खबरों के अलावा उसे कुछ सूझता ही नहीं। ऐसे में सन्मार्ग रविवार, १८ मार्च २०१८ में छपी यह खबर इस बात का प्रमाण है कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है।
लेकिन क्या ऐसी खबरें सामाजिक
मीडिया (सोश्ल मीडिया) के लोग भी पढ़ते और बांटते (शेयर) हैं?
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