क्या हम सभ्य हुए?
क्या आप विकास वाद के उस सिद्धान्त पर विश्वास करते हैं जिसके अनुसार हम 'बंदर की औलाद' हैं? विज्ञान के इस युग में, बेमन से ही सही लेकिन आपके पास इस पर विश्वास करने के अलावा और कोई चारा है भी नहीं। लेकिन नीचे लिखे सच को पढ़ कर आप इस सिद्धान्त पर विश्वास करने का मन बना लेंगे।
अहा! जिंदगी से |
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