सूतांजली के मई अंक का संपर्क सूत्र (लिंक) नीचे दिया हुआ है।
१। हरिहर काका और मनबोध
मउआर
‘हरिहर
काका’ और ‘मनबोध मउआर’ दोनों मिथिलेश्वर जी की कहानियाँ हैं। हरिहर काका ज्यादा पसंद की गई है। हरिहर
काका जैसे पात्र बहुत हैं और उनसे हमें कोई डर-भय भी नहीं लगता। लेकिन मनबोध
मउआर लुप्त प्रजाति है और हर किसी को ऐसे पात्रों से डर है, भय है। लेकिन, अगर मनबोध मउआर जैसा एक पात्र भी हर
मुहल्ले में हो, तो दुनिया से अमानवीय और अनैतिक कार्य लुप्त
हो जाए। .........
२। सच की राहों में बिखरी जिंदगी
यह
शीर्षक मेरा दिया हुआ नहीं है। मुझे नहीं पता, यह
से.रा.यात्री का दिया हुआ है या अहा! जिंदगी का। हाँ, जून
2011 में अहा! जिंदगी में छपे एक लेख का यही शीर्षक था,
जिसके लेखक थे से.रा.यात्री। सच हमेशा सुंदर नहीं होता। उसके कई रूप होते
हैं। मैक्सिम गोर्की की आत्मकथा ‘मेरे विश्वविद्यालय’ में यह बात पूरी तरह चरितार्थ होती है। ..........
अपने
विचारों से हमें अवगत कराएं।
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