सूतांजली के सितम्बर अंक का संपर्क सूत्र नीचे दिया है, इसमें निम्नलिखित कई विषयों पर चर्चा
है:
संपर्क
सूत्र (लिंक):
URL -> https://sootanjali.blogspot.com/2020/09/2020.html
१। तर्क और ज्ञान
ईर्ष्या
और अभिमान हमारे दिल में चुपके से ऐसे प्रवेश कर जाते हैं जिसका हमें अहसास तक
नहीं होता और हम उसके शिकार हो जाते हैं, हम
उसके वाहक हो जाते हैं। यही नहीं हमारा ज्ञान, अहंकार के
पक्ष में तर्क भी देने लगता है। कैसे होता है यह और कैसे बचे इससे।
२। सरकारी कर्मचारी
दक्षिण
अफ्रीका से लौटने पर गांधी ने अपने राजनीतिक गुरु गोखले से मुलाक़ात की। श्री गोखले
ने गांधी को एक वर्ष तक भारत-भ्रमण की
सलाह दी ताकि वे भारत को ठीक से समझ सकें। उनकी बात शिरोधार्य कर गांधी भारत-भ्रमण
पर निकल पड़े। उनका उद्देश्य था भारत को समझना। उनके लिए इसका अर्थ था भारतवासियों
को समझना और इस कारण उन्हों ने अपनी पूरी यात्रा रेल के तीसरे दर्जे में ही की।
उन्हों ने क्या पाया और क्या सुझाव दिया?
३। इत्तिफ़ाक इत्तिफ़ाकन नहीं होते
जी
हाँ, सही पढ़ा है आपने। इत्तिफ़ाक इत्तिफ़ाकन नहीं होते, इन्हे साधना पड़ता है या यूं भी कह सकते हैं कई बार हम जाने अनजाने
इत्तिफ़ाक को साध लेते हैं। कई बार ऐसा होता है कि सुशील भैया से फोन पर बात करने
की इच्छा होती है और तभी उनकी घंटी बज उठती है। देखें तो विश्वास करें, या विश्वास करें तो दिखे।
.......
४। लघु कहानी - सराहना और क्षमता
एक
नट था। उसकी कलाबाजियाँ देख लोग दाँतो तले अंगुलियाँ दबा लेते थे। वह दो रस्सियों
और एक झंडे की मदद से दो बीस मंज़िला इमारतों के बीच की दूरी आसानी से तय कर लेता
था। ......
‘सूतांजली के आँगन में’ के नाम से ज़ूम मीटिंग की सूचना और अपने सुझाव देने का अनुरोध।
आगे
पूरा पढ़ें -> संपर्क सूत्र (लिंक): ->
2 टिप्पणियां:
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (०६-०९-२०२०) को 'उजाले पीटने के दिन थोड़ा अंधेरा भी लिखना जरूरी था' (चर्चा अंक-३८१६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
बहुत अच्छी प्रस्तुति
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