सूतांजली के अप्रैल अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-
इस अंक में दो विषय, एक लघु कहानी एवं धारावाहिक
‘कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी’ का चौथा अंश है:
१। नववर्ष का चमत्कार
.....................
का इंतजार किए, बिना किसी और का मुंह जोहे,
चमत्कारी व्यक्ति बनिए। देखिये आपको भी जीवन में चमत्कार दिखने लगेंगे।...................
कौनसा
नववर्ष और कैसा चमत्कार? कैसे दिखेंगे
हमारे जीवन में चमत्कार? पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर
२। अपने अंदर एंटिवाइरस
हमें लगाना है
....................
हमारे अपने अनुभवों से हमारे विचार
प्रभावित होते हैं। विशेष कर सुबह उठते ही और रात को ठीक सोने के पहले हमने
जो पढ़ा-सुना उसका सबसे ज्यादा असर होता है। किसी समय सुबह उठ कर अखबार
पढ़ना और सोने के पहले समाचार देखना सही होता रहा होगा। अब नहीं। इससे बचें। इन दो
के अलावा वह तीसरी बात जिसका सबसे ज्यादा महत्व है वह है...........
क्या
है वह तीसरी बात? पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर
३। पहचान
एक युवक ईश्वर
से मिलना चाहता था। उसने प्रार्थना की,
ईश्वर मुझसे बात करो। तभी एक........
कैसी पहचान? किससे पहचान? कैसे पहचानें?
पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर
४। कारावास की
कहानी – श्री अरविंद की जुबानी
पांडिचेरी आने के पहले श्री अरविंद कुछ समय अंग्रेजों की जेल बंद में थे।
जेल के इस जीवन का, श्री अरविंद ने ‘कारावास की कहानी’ के नाम से,
रोचक वर्णन किया है। ‘अग्निशिखा’ में इसके रोचक अंश प्रकाशित हुए थे। इसे हम जनवरी माह से एक धारावाहिक के
रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इस कड़ी में यहाँ इसका चौथा अंश है।
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