सूतांजली के सितंबर अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-
इस अंक में तीन विषय, एक लघु कहानी और धारावाहिक ‘कारावास की कहानी –
श्री अरविंद की जुबानी’ की नौवीं किश्त है।
१। क्यों हो जाते हैं हम
निराश?
हमें
हर समय आशावान होने की ही शिक्षा मिली। हम यह जानते भी हैं कि आशा ही हमें सफलता
की ओर अग्रसर करती है और निराशा असफलता के अंध-कुएँ में धकेल देती है। फिर भी हम
क्यों बार-बार निराश हो जाते हैं? बहुत ही
छोटी-छोटी बातें हैं जो हमें बार-बार निराश करती रहती है। इन्हें जानें-समझें और
इनका निराकरण करें। फिर निराशा आपको परेशान नहीं करेगी। प्रारम्भ में यह आपको कठिन
लग सकता है लेकिन, पहला कदम बढ़ाइए,
जैसे-जैसे कदम उठाते जाएंगे, डगर आसान होती जाएगी।
२। एक भावपूर्ण प्रार्थना और दृढ़ विश्वास मैंने पढ़ा
प्रार्थना सुनी जाए, इसके लिए क्या, शब्द चाहिए? क्या हाथ जुड़े होने चाहिए? इच्छा जाहिर करना जरूरी
है? या फिर कुछ और ही चाहिए? क्या?
३। जन्मदिन
मेरे विचार
जन्मदिन, माधव ने एक वर्ष, माँ के कहने पर, अपना जन्मदिन एक अलग ढंग से मनाया। और फिर तो उसे उसी की लत लग गई। उसमें
उसे इतना आनंद मिलने लगा कि आज के पारंपरिक तरीके को वह भूल ही गया।
४। कर्म लघु कहानी - जो सिखाती
है जीना
जब प्रकृति का न्याय होता है तब न धन, न धर्म, न पद,
न ज्ञान काम आता है। काम आता है सिर्फ कर्म।
५।
कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी – धारावाहिक
धारावाहिक की नौवीं किश्त
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