सूतांजली के मई अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-
इस अंक में दो विषय, एक लघु कहानी एवं धारावाहिक
‘कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी’ का पाँचवा अंश है:
१। मालिक से गुलाम तक का
सफर
जो
कौम मालिक हुआ करती थी अब तेजी से गुलाम बनती जा रही है, स्वेच्छा से। है न अद्भुत बात।
...
परिवर्तनों को सुविधा के नाम पर ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर लिया गया। पीढ़ी को
तैयार करना परिवार की जिम्मेदारी थी लेकिन अब स्वतंत्र, एकल और निरंकुश जीवन शैली ही मान्य हो गई है। बच्चा छुटपन से ही
पारिवारिक व्यापार से जुड़ कर वयस्क होने तक निपुण हो जाता था। अब अपने पैतृक
व्यवसाय से जुड़ ... पढ़िये नीचे दिये गए लिंक
पर
२। जापान – श्री माँ की
दृष्टि में
...
आमतौर पर जापानियों को गलत समझा गया है और गलत रूप से पेश किया गया है और इस विषय
पर कहने लायक कुछ कहा जा सकता है। अधिकतर विदेशी लोग जापानियों के उस भाग के
सम्पर्क में आते हैं जो विदेशियों के संसर्ग से बिगड़ चुका है – ये पैसा कमाने वाले, पश्चिम की नकल करने वाले जापानी हैं। वे नकल करने में बहुत चतुर हैं और
उनमें ऐसी काफी सारी चीजें हैं जिनसे पश्चिम के लोग घृणा करते हैं। अगर हम केवल
राजनेताओं, राजनीतिज्ञों और...
दशकों पहले श्री माँ का जापान में जापान के बारे में दिये गये
वक्तव्य की गहराई समझने योग्य है और पठनीय भी। पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर
३। छेद
क्रोध का असर
क्या और कितना होता है? पिता ने कैसे समझाया अपने लड़के को। पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर
४। कारावास की
कहानी – श्री अरविंद की जुबानी
पांडिचेरी आने के पहले श्री अरविंद कुछ समय अंग्रेजों की जेल बंद में थे।
जेल के इस जीवन का, श्री अरविंद ने ‘कारावास की कहानी’ के नाम से,
रोचक वर्णन किया है। ‘अग्निशिखा’ में इसके रोचक अंश प्रकाशित हुए थे। इसे हम जनवरी माह से एक धारावाहिक के
रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इस कड़ी में यहाँ इसका पाँचवा अंश है।
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