सूतांजली के जून अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-
इस अंक में दरअसल एक विषय एवं धारावाहिक ‘कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी’ की छठवीं किश्त है।
एक ही विषय पर दो लेख - सुकरात को ‘मैंने पढ़ा’ और समाज से में जो
देखा-सुना उससे मेरे ‘मेरे विचार’ बने।
जब हमारी उम्र बढ़ने लगती है, तब हमारी प्राथमिकताएं बदलने लगती हैं। हमारी सोच और
मान्यताओं में परिवर्तन आने लगता है, हमारा तन और मन कुछ अलग
खोजने लगता है तब हम कैसे एक चतुर माली की तरह अपने चारों तरफ एक सुंदर, सुगंधित, निर्मल बगीचे का निर्माण और उसका रख-रखाव
करें कि जो भी उस बगिया में रहे, आये और बगल से गुजरे, तो उसका दिल भी प्रसन्नता से सरोबार हो जाये।
१। जीवन कैसे जिया जाये - मैंने पढ़ा,
२। कैसे लें बुढ़ापे में
आनंद? – मेरे
विचार,
और अपना चित परिचित धारावाहिक की छठी किश्त
३। कारावास की
कहानी – श्री अरविंद की जुबानी – धारावाहिक
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