(चार्ली चैपलीन ने १९१४ में पहली बार एक आवारा (ट्रैम्प) का रूप धारण किया था। लंबे सूट, खुली पेंट, तंग कोट, सिर पर टोपी और हाथ में छड़ी लिए उसकी यह अप्रतिम छवि ने एक सदी तक लोगों का मनोरंजन किया। इसे ‘वन हंड्रेड इयर ऑफ लाफ्टर’ भी कहा गया है। यहाँ लिखा गया यह खत चार्ली चैपलीन ने अपनी बेटी जिरल्डाइन को लिखा था। जिरल्डाइन अत्यंत प्रतिभाशाली अभिनेत्री है, जिसने पचास से भी अधिक फिल्मों में काम किया है। पत्र का हर शब्द चार्ली की आत्मा से प्रस्फुटित हुआ प्रतीत लगता है। इस पत्र का हिन्दी में अनुवाद जंग बहादुर गोयल ने किया है।)
मेरी बच्ची,
रात का समय है। क्रिसमस की रात। मेरे इस छोटे से घर की सभी
निहत्थी लड़ाइयाँ सो चुकी हैं। तुम्हारे भाई और बहन भी नींद की गोद में हैं।
तुम्हारी माँ भी सो चुकी है। मैं अधजगा हूँ, कमरे में धीमी सी रौशनी है। तुम मुझसे कितनी दूर हो, पर यकीन मानो तुम्हारा चेहरा यदि किसी दिन मेरी आँखों के सामने न रहे, उस दिन मैं चाहूँगा कि मैं अन्धा हो जाऊँ। तुम्हारी फोटो वहाँ मेज पर और
यहाँ मेरे दिल में भी, पर तुम कहाँ हो?
वहाँ सपने जैसा भव्य शहर – पेरिस में! चैम्प्स ऐलिसस के शानदार मंच पर नृत्य कर
रही हो। इस रात के सन्नाटे में मैं तुम्हारे कदमों की आहट सुन सकता हूँ। शीत ऋतु के आकाश में
टिमटिमाते तारों की चमक, मैं तुम्हारी आँखों में देख सकता
हूँ। ऐसा लावण्य और इतना सुंदर नृत्य। सितारा बनो और चमकती रहो। परंतु यदि दर्शकों
का उत्साह और प्रशंसा तुम्हें मदहोश करती है या उनसे उपहार में मिले फूलों की
सुगंध तुम्हारे सिर चढ़ती है तो चुपके-से एक कोने में बैठकर मेरा खत पढ़ते हुए अपने
दिल की आवाज सुनना।
मैं तुम्हारा पिता
हूँ जिरल्डाइन, चार्ली चैपलीन! क्या तुम जानती
हो जब तुम नन्ही बच्ची थी तो रात भर मैं तुम्हारे सिरहाने बैठ कर तुम्हें ‘स्लीपिंग ब्यूटी’ की कहानी सुनाया करता था। मैं
तुम्हारे सपनों का साक्षी हूँ। मैंने तुम्हारा भविष्य देखा है... मंच पर नाचती एक
लड़की, मानो आसमान में उड़ती एक परी...लोगों
की करतल ध्वनि के बीच उनकी प्रशंसा के ये शब्द सुने हैं, ‘इस लड़की को देखो। वह एक बूढ़े विदूषक की बेटी है, याद
है उसका नाम चार्ली था’।
हाँ, मैं चार्ली हूँ! बूढ़ा विदूषक!
अब तुम्हारी बारी है। मैं फटी पैंट में नाचा करता था और मेरी राजकुमारी, तुम रेशम की खूबसूरत ड्रेस में नाचती हो। ये नृत्य और ये शाबाशी तुम्हें
सातवें आसमान पर ले जाने के लिये सक्षम हैं। उड़ो और उड़ो – पर ध्यान रखना कि
तुम्हारे पाँव सदा धरती पर टीके रहें। तुम्हें लोगों की जिन्दगी को करीब से देखना
चाहिये - गलियों-बाज़ारों में नाच दिखाते नर्तकों को देखो जिरल्डाइन कड़कड़ाती सर्दी
और भूख से तड़प रहे हैं। मैं भी उन जैसा था, जिरल्डाइन उस
जादुई रातों में जब तुम्हें लोरी गा-गाकर सुलाया करता था और तुम नींद में डूब जाती
थी, उस वक्त मैं जागता रहता था। मैं तुम्हारे चेहरे को
निहारता, तुम्हारे हृदय की धड़कनों को सुनता और सोचता, ‘चार्ली, क्या यह बच्ची
तुम्हें कभी जान सकेगी?’ तुम मुझे नहीं जानती जिरल्डाइन।
मैंने तुम्हें अनगिनत कहानियाँ सुनाई हैं पर ‘उसकी’ कहानी कभी नहीं सुनाई। वह कहानी भी रोचक है। वह उस भूखे विदूषक की कहानी
है, जो लंदन की गंदी बस्तियों में नाच-गाकर अपनी रोजी कमाता
था। यह मेरी कहानी है। मैं जानता हूँ कि भूख किसे कहते हैं। मैं जानता हूँ कि सिर
पर छत न होने का क्या दंश होता है। मैंने देखा है, मदद के
लिये उछाले गए सिक्कों से उसके आत्म-सम्मान
को छलनी होते हुए, पर फिर भी मैं जिंदा हूँ, इसलिये फिलहाल इस बात को यहीं छोड़ते हैं।
तुम्हारे बारे में ही बात करना उचित होगा जिरल्डाइन।
तुम्हारे नाम के बाद मेरा नाम आता है – चैपलिन। इस नाम के साथ मैंने चालीस वर्षों
से भी अधिक समय तक लोगों का मनोरंजन किया पर हँसने से अधिक मैं रोया हूँ। जिस
दुनिया में तुम रहती हो वहाँ नाच-गाने के अतिरिक्त कुछ नहीं है। आधी रात के बाद जब
तुम थियेटर से बाहर आओगी तो तुम अपने समृद्ध और सम्पन्न चाहने वालों को तो भूल
सकती हो, पर जिस टैक्सी में बैठ कर तुम
अपने घर जाओ, उस टैक्सी ड्राईवर से यह पूछना मत भूलना की
उसकी पत्नी कैसी है? यदि वह उम्मीद से है तो क्या अजन्मे
बच्चे के नन्हें कपड़ों के लिये उसके पास पैसे हैं? उसकी जेब
में कुछ पैसे डालना मत भूलना। मैंने तुम्हारे खर्च के लिये पैसे बैंक में जमा करवा
दिये हैं, सोच समझकर खर्च करना।
कभी-कभार बसों में जाना, सब-वे से गुजरना, कभी पैदल चलकर शहर में घूमना।
लोगों को ध्यान से देखना, विधवाओं और अनाथों को दया दृष्टि
से देखना। कम से कम दिन में एक बार खुद से यह अवश्य कहना कि,
‘मैं भी उन जैसी हूँ। हाँ! तुम उनमें से ही एक हो बेटी!’
कला किसी कलाकार को पंख देने से पहले उसके पैरों को
लहूलुहान जरूर करती है। यदि किसी दिन तुमको लगे कि तुम अपने दर्शकों से बड़ी हो तो
उसी दिन मंच छोड़कर भाग जाना, टैक्सी पकड़ना और पेरिस के किसी भी कोने में चली जाना। मैं जानता हूँ कि
वहाँ तुम्हें अपनी जैसी कितनी ही नृत्यांगनाएँ मिलेंगी – तुमसे भी अधिक सुंदर और
प्रतिभावान। फर्क सिर्फ इतना है कि उनके पास थियेटर की चकाचौंध और चमकीली रौशनी
नहीं है। उनकी सर्चलाइट चंद्रमा है। अगर तुम्हें लगे कि इनमें से कोई तुमसे अच्छा
नृत्य करती है तो तुम नृत्य छोड़ देना। हमेशा कोई-न-कोई बेहतर होता है, उसे स्वीकार करना। आगे बढ़ते रहना और निरंतर सीखते रहना ही तो कला
है।
मैं मर जाऊंगा, और तुम जीवित रहोगी। मैं चाहता हूँ तुम्हें कभी गरीबी का एहसास न हो। इस
खत के साथ मैं तुम्हें एक चेकबुक भी भेज रहा हूँ, ताकि तुम
अपनी मर्जी से खर्च कर सको। पर दो सिक्के खर्च करने के बाद सोचना कि तुम्हारे हाथ
में पकड़ा तीसरा सिक्का तुम्हारा नहीं है – यह उस अज्ञात व्यक्ति का है जिसे उसकी
बेहद जरूरत है। ऐसे इंसान को तुम आसानी से ढूंढ सकती हो, बस
पहचानने के लिये एक नजर की जरूरत है। मैं पैसे की इसलिये बात कर रहा हूँ क्योंकि
मैं उस ‘राक्षस’ की ताकत को जानता हूँ।
हो सकता है किसी रोज कोई राजकुमार तुम्हारा दीवाना हो जाये।
अपने खूबसूरत दिल का सौदा सिर्फ बाहरी चमक-दमक पर न कर बैठना। याद रखना कि सबसे
बड़ा हीरा तो सूरज है जो सबके लिये चमकता है।...
...मैं यह भी जानता हूँ कि एक पिता और उसकी संतान के बीच
सदैव अंतहीन तनाव बना रहता है, पर विश्वास करना, मुझे अत्यधिक आज्ञाकारी बच्चे
पसंद नहीं हैं। मैं सचमुच चाहता हूँ कि इस क्रिसमस की रात कोई करिश्मा हो ताकि जो
मैं कहना चाहता हूँ वह सब तुम अच्छी तरह समझ जाओ।
चार्ली अब बूढ़ा हो चुका है, जिरल्डाइन। देर-सवेर मातम के काले कपड़ों में तुम्हें मेरी
कब्र पर आना ही पड़ेगा। मैं तुम्हें विचलित नहीं करना चाहता,
पर समय-समय पर खुद को आईने में देखना उसमें तुमको मेरा ही अक्स नज़र आयेगा।
तुम्हारी धमनियों मेरा रक्त प्रवाहित है। जब मेरी धमनियों में बहने वाला रक्त जम
जायेगा तब तुम्हारी धमनियों में बहने वाला रक्त तुम्हें मेरी याद करवाएगा। याद
रखना, तुम्हारा पिता कोई फ़रिशता नहीं,
कोई जीनियस नहीं, वह तो जिंदगी भर एक इंसान बनने की कोशिश ही करता रहा। तुम भी यही कोशिश
करना।
क्रिसमस, १९६५
ढेर सारे प्यार के साथ चार्ली
(शायद आप न जानते हों, चार्ली चैपलीन महात्मा गांधी
से काफी प्रभावित थे और उनके प्रशंसकों में से एक थे। उनकी प्रसिद्ध फिल्म ‘द ग्रेट डिक्टेटर’ महात्मा से प्रभावित थी।)
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