शुक्रवार, 4 मार्च 2022

सूतांजली मार्च 2022

 सूतांजली के मार्च अंक के ब्लॉग और यू ट्यूब का  संपर्क सूत्र नीचे है.



इस अंक में दो विषय और धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी की पंद्रहवीं किश्त है।

१। दिखे, तब विश्वास हो – विश्वास हो, तब दिखे (मैंने पढ़ा)

जी हाँ, हम प्रायः कहते हैं “दिखे तब विश्वास हो” क्योंकि हम सदियों से यही सुनते-देखते-मानते आ रहे हैं। लेकिन क्या यह सही है? हमें दिख रहा है तब भी विश्वास कहाँ हो रहा है? भ्रांति मान कर उड़ा देते हैं। लेकिन इनका कहना है कि अगर विश्वास हो तो साफ-साफ दिखेगा, और जैसे-जैसे विश्वास बढ़ता जाएगा दिखना भी बढ़ता जाएगा।

२। बुद्धि या हृदय, चरित्र या शील    (मेरे विचार)

चरित्र हिन्दू का अलग होगा, मुसलमान का अलग होगा, ईसाई का अलग होगा, जैन का अलग होगा, सिक्ख का अलग होगा। शील सभी का एक होगा। शील वहाँ से आता है जहां......

३। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी (१५) – धारावाहिक

धारावाहिक की पंद्रहवीं किश्त

......इस समाज को तोड़ दो, चूर-मार कर दो; इतने पाप, इतने दुःख, इतने निर्दोषों के तप्त निःश्वास और हृदय के खून से यदि समाज की रक्षा करनी हो तो बेकार है वह रक्षा......

 ब्लॉग  का संपर्क सूत्र (लिंक): à  

https://sootanjali.blogspot.com/2022/03/2022.html

 

यू ट्यूब का संपर्क सूत्र (लिंक) : à

https://youtu.be/b64tXWiAEX8

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