रविवार, 17 अगस्त 2014

ब्रेकिंग न्यूज़


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आज १५ अगस्त २०१४। मोदी सरकार पाँच व्यक्तियों को भारत के सर्वोच्च सम्मान “भारत रत्न” से नवाजेगी। इन पाँचों में  से दो के नामों  का तो अनुमान लगा लिया गया है – भारत के पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी एवं स्वतन्त्रता सेनानी श्री सुभाष चन्द्र बोस।

इन दो नामों पर पत्र – पत्रिकाओं में, टीवी पर, नुक्कड़ों  पर चर्चाएं हो चुकी हैं। साक्षात्कार प्रकाशित एवं प्रचारित हो चुके हैं। विभिन्न राजनीतिक दल, उद्योगपति, सामाजिक संगठन  इसके पक्ष एवं विपक्ष में अपने अपने विचार, सहमतियाँ एवं असहमतियाँ जाहिर कर चुकें हैं। साथ ही यह  बताने से भी नहीं चूके के इन नामों के चयन में पक्षपात की गंध है। इनके अलावा अन्य तीन के नामों पर भी बहस जारी है। यानी, पूरा घमासान हो चुका है।

इसी सन्दर्भ में बोस परिवार का साक्षात्कार एवं उनका इस पुरस्कार को लेने से इंकार भी प्रसारित हो गया है। उनका विचार है कि श्री सुभाष चन्द्र बोस का व्यक्तित्व इस पुरस्कार से ज्यादा ऊँचा है अत: वे  इस सम्मान को स्वीकार नहीं करेंगे। यह एक अलग प्रश्न  है कि  उनके इस कथन का क्या अर्थ  है? क्या श्री सुभाष चन्द्र बोस का व्यक्तित्व उन सभी हस्तियों से ऊँचा है जिन्हे भारत रत्न दिया गया है अथवा वे यह चाहते हैं कि श्री बोस को एक ऐसा सम्मान मिलना चाहिए जो न तो पहले किसी को मिला और न आगे किसी को मिलेगा? ....न भूतो, न भविष्यतो!

बहरहाल पत्र पत्रिकाओं ने अपने अपने पन्ने रंग डाले। टीवी चैनलों  ने ढेर सारे साक्षात्कार प्रसारित कर दिये, और अब पूरा वातावरण शांत हो गया है। आज १५ अगस्त है। आज उन सब नामों की घोषणा हो जाएगी, और उसके साथ ही एक नया विवाद प्रारम्भ करने का मसाला मिल जाएगा। चाय की चुस्कियों पर, सुबह टहलते हुए, दोपहर को लंच-ब्रेक पर गरमा गरम बहस चलेगी। सब साँस रोके उस क्षण का इंतजार करते रहे लेकिन हाय रे दुर्भाग्य वैसा  कुछ भी नहीं हुआ। किसी के भी नाम कि घोषणा नहीं हुई। अब अखबारों को अपने पन्ने रंगने के लिये  कोई और कहानी लिखनी होगी। टीवी को नया कुछ नया सनसनी खेज गढ़ना होगा  ।


इस बीच, समाचार यह है कि  वे  पाँच मेडल्स मोदी सरकार ने नहीं बल्कि मार्च में यूपीए सरकार ने खरीदे थे क्योंकि राष्ट्रपति माननीय श्री प्रणव मुखर्जी  “राष्ट्रपति भवन संग्रहालय” में उन्हें रखना चाहते थे एवं गृहमंत्रालय के पास एक भी मेडल नहीं था। गृहमंत्रालय को ये पाँच मेडल्स जुलाई में मिले। उनमें से एक संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहा है एवं अन्य चार गृह मंत्रालय के पास सुरक्षित रखे हैं। खबर यह भी है कि  गृह मंत्रालय ने ३०० “पद्म” पुरस्कार के मेडल्स का ऑर्डर दिया है। पत्रकारों, संवाददाताओं, टीवी एंकरों  क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठे हो?  गरमा गरम खबर है। बस धंधे में लग जाओ, अटकलें लगाओ और लगवाओ, टीआरपी बढ़ाओ! ब्रेकिंग न्यूज़ बनाओ!  

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