रविवार, 3 जनवरी 2016

सिडनी - जैसा मैंने देखा

सिडनी - जैसा मैंने देखा 


कंगारुओं का देश। एक महाद्वीप जो पूरा एक अकेला देश है । क्षेत्रफल में विशाल लेकिन आबादी में लघु। क्षेत्रफल ७६.९२ लाख वर्ग कि.मी. (भारत ३२.८७ लाख  वर्ग कि. मी. ), आबादी २३९ लाख (भारत १३० करोड़)। यानि भारत की तुलना में तकरीबन ढाई गुना बड़ा लेकिन जनसंख्या में लगभग ५० गुना छोटा। सभ्यता में आस्ट्रेलिया सिर्फ २५० वर्ष का बच्चा जबकि भारत की सभ्यता हजारों वर्ष पुरानी। २६ जनवरी १७८८ के दिन यूरोप से पहले  जहाज के काफिले ने सिडनी बन्दरगाह में अपना लंगर डाला था। इस जहाज में सिर्फ सैनिक, कैदी, चालक और सिपाही थे। लेकिन सभ्यता की तरफ यह आस्ट्रेलिया का पहला कदम था। आज भी आस्ट्रेलिया २६ जनवरी को आस्ट्रेलिया दिवस के रूप में मनाता है। यहाँ के विकास में प्रवासियों का ही हाथ है। यही कारण है कि आस्ट्रेलिया प्रवासियों को सम्मान देता है, लेकिंन जरा  सँभल कर। सिडनी के मैरिटाइम संग्रहालय में तो एक पूरी दीवाल खड़ी कर रखी है, जिसका नाम दिया है वेल्कम वाल, स्वागत दीवार। कोई भी प्रवासी कुछ डॉलर दे कर अपने नाम की कांसे की तख्ती यहाँ लगवा सकता है।  सिडनी में रंग-बिरंगी चिड़िया हमारे देश के कौए और कबूतरों की तरह चारों तरफ दिखाई  पड़ती हैं। कांव कांव और गुटरू गूँ  के बदले इन चिड़ियों की चहक दिन भर कानों में पड़ती रहती है। विश्व में एक अकेला देश जहां मौसम, भूमध्य रेखा के दक्षिण में होने के कारण, उल्टा चलता है। यानि अप्रैल मई  में ठंड और दिसम्बर जनवरी  में गर्मी का मौसम रहता है।


वीसा
पासपोर्ट तो पहले से ही था। वीसा के लिए आवेदन करना था। बच्चों ने पहले ही आवश्यक हिदायतें दे दी थीं तथा इंटरनेट से आवेदन पत्र भी भिजवा  दिया था। आवेदन भरा, कागजात साथ लगाए, पासपोर्ट के फोटोकोपी की नोटरी करवाई और पहुँच गए आवेदन जमा देने। मन में  था कि पहली बार में जमा नहीं होगा। किसी न किसी बहाने वापस कर देंगे और फिर दुबारा जाना पड़ेगा। लेकिन सब कागजात सही थे, पासपोर्ट की कॉपी के अलावा। पासपोर्ट के सब पन्नों की कॉपी होनी थी, खाली पन्नों सहित। ५ गुना ज्यादा पैसे दे कर वहीं फिर से कॉपी करवाई, उन्हीं के अधिकारी से उसकी फीस देकर प्रमाणित (attest) करवाया और आवेदन जमा किया। कर्मचारी ने बताया कि  २-३ सप्ताह में ईमेल से खबर भेज दी जाएगी। लेकिन, आवेदन सोमवार को जमा करवाया था,  वीसा उसी शुक्रवार को सुबह जब कम्प्युटर खोला तो वहाँ मौजूद था। आस्ट्रेलिया के लिए इलेक्ट्रोनिक वीसा मान्य है। पासपोर्ट पर अनुमोदन (endorse) करवाना जरूरी नहीं है।

कोलकाता से प्रस्थान
आस्ट्रेलिया के लिए कोलकाता से सीधी उड़ान उपलब्ध नहीं है। सिंगापुर, बैंकॉक, मलेशिया या अन्य किसी एक देश में हवाई जहाज बदली करनी पड़ती है। हमने पहले ही सिंगापुर एयर लाइंस से आरक्षण करवा लिया था। इंटरनेट से आरक्षण, खाना एवं सीट आरक्षित कर ली गई थी। सब देशों में शाकाहारी की परिभाषा अलग अलग है। यथा कहीं अंडा या मछली शाकाहारी है तो कहीं दूध और दूध से निर्मित  पदार्थ भी निरामिष है। अत: भारतीय शाकाहारियों के लिए “जैन” भोजन ही सब से सुरक्षित  है। कोलकाता से सिंगापुर ४.३० घंटे और सिंगापुर से सिडनी ७.३० घंटे की यात्रा है। कोलकाता से सिंगापुर तक की यात्रा “सिल्क एयर” से थी जो सिंगापुर एयर की “बजट” कंपनी है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय यात्रा होने के कारण भोजन एवं अन्य सब सुविधाएं उपलब्ध थीं। कोलकाता हवाई अड्डे पर सामान को लेकर थोड़ी असुविधा हुई। प्रत्येक सवारी के लिए ३० किलो + १ कम्प्युटर या लेडिज बैग + १ बैग ७ किलो का मान्य है। हम दो के पास ६० के बदले ६३ किलो सामान था। बहुत अनुनय-विनय के बावजूद भी जब अधिकारी यह छूट देने को तैयार नहीं हुआ तो समान की थोड़ी हेरा-फेरी करनी पड़ी।

सिंगापुर हवाई अड्डा
सिंगापुर हवाई अड्डे पर हमें अपनी उड़ान बदली करनी थी। अड्डे पर ठहराव का समय अगली उड़ान के समय के अनुसार कम या ज्यादा हो सकता है। हमारा ठहराव १३.३० घंटे का था। इतना लंबा समय निकालना आसान नहीं था, लेकिन हमें दिक्कत नहीं हुई। कुछ खर्च करके हवाई अड्डे पर स्थित अलग अलग ढंग के लाउंज के विभिन्न प्लान जैसे- स्नानागार, शौचालय, कमरा, बैठने की सोफा आदि ले सकते थे। लेकिन हमें किसी भी प्रकार का कोई खर्च नहीं करना था। अपने  हाथों के सामान के लिए एक ट्रॉली ली और  सोफा पर जम गए। नहाने का कोई विचार नहीं था। अड्डे पर बहुत से शौचालय हैं, साफ सुथरे। वहीं मंजन-ब्रश करने का नेगचार सम्पन्न किया। इसके बाद  आवश्यकता महसूस हुई शौचालय की। सिंगापुर में भारतीय, विशेषकर तमिल बहुत हैं। वहाँ की मान्यता प्राप्त भाषाओं में तमिल भी एक है। इसके अलावा भारतीय यात्रियों की संख्या भी अच्छी ख़ासी है। अत: भारतीय कमोड और पानी की पाईप के साथ शौचालय भी हैं। ये भी साफ सुथरे और बिना भीड़ भाड़ के हैं। ऐसे प्रत्येक शौचालय के दरवाजे पर “mind your steps” लिखा मिलेगा। लेकिन अगर अंग्रेजी कमोड और पानी की पाईप दोनों चाहिए तो नहीं मिलेगी। इन दो में से एक का चयन करना होगा। आगे की यात्रा और पड़ाव में पानी की व्यवस्था कहीं भी मिलने की नहीं। अत: अच्छा यही है कि कागज का प्रयोग करना सीख जायें।

सुबह ७ बजे नि:शुल्क सिंगापुर भ्रमण का आरक्षण खुलता है। इसके लिए सिंगापुर वीसा की अवश्यकता नहीं है। यह भ्रमण दिन भर चलता रहता है। इसमें लगभग २ घंटे का समय लगता है। इसकी जानकारी वहीं पूछताछ केंद्र से लगाई जा सकती है। इस यात्रा में ट्रॉली बैग, सिगरेट एवं शराब वर्जित हैं। इस भ्रमण का आरक्षण करवा कर कॉफी खरीदी। नास्ता साथ में था ही। थोड़ी सी पेट पूजा की  और फिर विश्राम।  हवाई अड्डा बहुत बड़ा है। तीन टर्मिनल हैं, चौथा बन रहा है। ये सब टर्मिनल अंदर ही अंदर पैदल, स्काइ ट्रेन या बस से जुड़ी हुई हैं। एक दूसरे में जाने के लिए न बाहर निकलना है औए न ही कोई खर्च करना है। इनमें मनोरंजन, खान पान, खरीददारी और विश्राम की सब सुविधाएं उपलब्ध हैं और साथ ही दर्शनीय भी। धीरे धीरे इनका लुफ्त उठाइये। कब समय निकल जाएगा पता ही नहीं चलेगा। सामान की चिंता हो तो “लेफ्ट बैगेज” में सामान्य खर्च पर छोड़ दीजिये और अपने वजन की चिंता हो तो जिम में दो-चार हाथ आजमा लीजिये। खाना पीना हर प्रकार का मिलता है। भारतीय शाकाहारी भोजन के लिए पूर्ण शाकाहारी रेस्तरां भी मौजूद है। S$२० में मिला भोजन खाने मे स्वादिष्ट था और मात्रा में इतना कि हम दो मिल कर समाप्त नहीं कर सके, जबकि हमने ठंडा और गर्म पेय भी लिया था।  

हवाई अड्डे पर ड्यूटी फ्री दुकान से सिगरेट और शराब खरीद सकते हैं। लेकिन ऐसा कोई भी सामान लेकर सिंगापुर में नहीं घुस सकते। अत: दुकानदार ये सामान खरीदने के बाद उड़ान के समय बोर्डिंग गेट के अंदर देता है। अत: यह आवश्यक है  कि ऐसी कोई भी  वस्तु समय रहते ही खरीद ली जाए ताकि  दुकानदार के पास समय रहे, अन्यथा वह बेचने से इंकार कर सकता है।

सिंगापुर से सिडनी
रात को हमारी सिडनी की यात्रा प्रारम्भ हुई। यह यात्रा वैसे तो आरामदायक थी लेकिन लंबी होने के कारण थकान भरी थी। खाना उत्तम था। सुबह ७ बजे सिडनी पहुंचना था, लेकिन फिर भी रात के भोजन के अलावा सुबह का नास्ता भी दिया गया। न हम खा सकते थे, न हमने लिया। जितना संभव हुआ सोये या सोने की कोशिश करते रहे।

पहले हवाई यात्राओं में कान में डालने के लिए रूई दी जाती थी। इनका प्रयोग जहाज में  होनेवाले  हवा के दबाव में  परिवर्तन से कान  के परदों को बचाना था। इसके अलावा, कान में डालने पर शोर गुल से निजात मिलने के कारण आराम करने में खलल नहीं पड़ती थी। लेकिन आजकल यह मिलना बंद हो गया है। सौभाग्य से सिंगापुर से सिडनी की यात्रा के दौरान “ear plug” मिल गया। इस कारण आराम से, आराम कर सके।

सिडनी सुबह सुबह पहुँच गए। यहाँ शौचालय में सिंगापुर जैसी सुविधा नहीं है। मैंने कागज के टुकड़े से कैसे काम चलाया, यह मैं ही जानता हूँ।  खैर अपना सामान लेकर बाहर निकलने की तैयारी की। आस्ट्रेलिया में खाने के सामान को लेकर बहुत कड़ाई है। लेकिन इसके बावजूद बच्चों के लिए साथ में तो लेना ही था। हाँ, ज्यादा परेशानी न हो इस कारण ऐसा पूरा सामान एक ही बैग में लिया था और घर का बना कोई सामान न लेकर पैकेज / टिन-फूड ही लिया था। मन धड़क रहा था, क्या बचेगा, क्या छूटेगा? इसी उधेड़बुन में आगे बढ़ते रहे, ग्रीन चैनेल से। अरे, चलते चलते कब बाहर निकल आए पता ही नहीं चला। विश्वास नहीं हुआ, लेकिन हम अपने पूरे सामान के साथ बाहर थे। बाहर निकलते ही ठंड  का आभास हुआ।



वैसे हिदायत के तौर पर, इमिग्रेशन के समय पर हमें एक घोषणा  पत्र भरना पड़ता है और यह बताना पड़ता है कि  हमारे पास खाने का कोई सामान है या नहीं। हमारे पास किसी  भी प्रकार का पकाया हुआ या खुला कहने का सामान नहीं था। सीमित मात्रा में केवल पकेजेड खाना था। आचार भी घर का बना न लेकर बाजार से लिया था। अगर तलासी  हुई और सामान दिये हुवे ब्योरे  के अनुरूप नहीं हुआ तो जुर्माना तो लगता ही है परेशानी भी होती है।

अपना सामान जब हमलोगों ने ले लिया तो नजर पड़ी कि एक बक्सा टूटी हुई है। खोल कर देखा, अंदर सब  सामन सही सलामत था। देखने से ही लग रहा था कि पटकने या इस पर भारी सामान लादने  से टूटी है। वहीं सिंगापुर एयरलाइन्स में हमने शिकायत दर्ज कर दी। सब देखने समझने के बाद कर्मचारी ने सिडनी के दो दुकानों का ठिकाना हमें पकड़ा गिया। कुछ दिनों के बाद जब हम वहाँ गए तो उसने उसके बदले हमें एक नई बक्सा पकड़ा दी।

सिडनी
अभी हम अक्तूबर के मध्य में हैं। नवरात्रा या दुर्गापूजा का समय है। यहाँ ठंड का मौसम जा रहा है और गर्मी आ रही है। सुबह शाम ठंड है। दिन में तेज धूप के कारण गर्मी का आभास होता है, लेकिन हवा बर्फीली है। पसीना नहीं है। अगर बादल छाए हैं तो मौसम का झुकाव ठंड की तरफ है, वर्षा होने लगी तो निश्चित रूप से ठंडा  है। आज सुबह से वर्षा हो रही है, रिमझिम रिमझिम। मैं इंटरलोक, स्वेटर तथा मफ़लर लगाए हूँ और मुझे सुहा रहा है। मौसम का मिज़ाज कब कैसे बदल जाए कहा नहीं जा सकता। सुबह और शाम के मौसम में अंतर काफी हो सकता है। लोग मौसम विभाग की भविष्यवाणी पर विश्वास करते हैं और आमतया वह सही भी होती है। यहाँ  वसंत का समय है। पत्तियों और फूलों की  बहार है। तापमान २५ से १२ डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य चल रहा है।

जैसा हमें मालूम है विदेशों में गाड़ियों के हॉर्न की आवाज सुनाई नहीं देती है अत: शोर कम है, वातावरण अपेक्षाकृत शांत है। क्या वास्तव में वातावरण शांत है? अगर हम मुख्य सड़क पर नहीं हैं, अथवा ऐसी जगह पर हैं जहां गाड़ियाँ  तेज रफ्तार से नहीं चल सकती, तब हाँ, यह सही है। अन्यथा अंतहीन तेज चलने वाली गाड़ियों, भारी भरकम मालीवाही ट्रकों, तेज आवाज करनेवाली मोटर साइकलों की आवाजें कानों में  निरंतर चुभती रहती है। हम ८वें तल्ले पर हैं। लेकिन इस शोरगुल के चलते बरामदे में फोन पर बात करना असंभव है। ये आवाजें प्रात: ६ बजे से रात्री १२ बजे तक निरंतर हैं, ऑफिस समय पर ज्यादा हैं। रात को सोते समय काँच की खिड़कियाँ बंद रखनी पड़ती है, ताकि सुख की नींद सो सकें।

सिडनी साफ सुथरा है। गंदगी दिखाई नहीं पड़ती। लेकिन ध्यान से देखा जाय तो इसका कारण सफाई रखना नहीं बल्कि गंदगी नहीं करना है। वातावरण धूल रहित है, नागरिक कूड़ा जहां तहां नहीं गिराते हैं, घर का कचरा इमारत के बड़े बड़े कचरा दानों  में इकट्ठा करते हैं। प्रत्येक इमारत में इस प्रकार के कचरा दान होते हैं। सप्ताह में एक या दो बार, नियमानुसार नगरपालिका की गाड़ियाँ आती हैं और इन कचरादानों का कचरा उठा कर ले जाती है। सड़कों पर जहां तहां कूड़ा न गिराने के कारण सड़कें भी साफ रहती हैं और रोज सफाई कि आवश्यकता नहीं होती। सफाई सप्ताह में एक बार होती है।  सफाई रखने का जितना उत्तरदायित्व सरकार का है उतना ही नागरिक का भी है। नागरिक अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग हैं इसलिए सरकार भी अपना उत्तरदायित्व निभा पाती है।

यहाँ ५ दिन का सप्ताह होता है। छुट्टी के दिन ट्रेन एवं बस के  भाड़े में रियायत भी है। ट्रेन की पटरियों का रख रखाव एवं मरम्मत का कार्य इन्ही दो दिनों  में होता है। अत: ट्रेन सेवा अलग अलग रास्तों में बाधित रहती है। सुविधा यह है कि इसकी सूचना विभाग के वेबसाइट पर मिल जाती है और ट्रेन के बदले बसों की विशेष सुविधा प्रदान की जाती है ताकिअसुविधा कम से कम न हो। सड़कों पर रास्ते बताने के लिए आदमी नहीं मिलते। प्रमुख सड़कों पर तो फिर भी आते जाते लोग मिल जाते हैं, अन्य जगहों पर कम मिलते हैं। अत: यह आवश्यक है कि हमारे  पास सही मोबाइल फोन हो और उससे रास्ता ढूँढना आता हो।गाड़ी के लिए तो रास्ते बताने वाले बिलकुल नहीं मिलते हैं और न ही जहां तहां रोक कर पूछ सकते हैं। । गाड़ी तो बिना मार्ग दर्शक गैजेट (नैविगेटर) के  चला ही नहीं सकते।
विश्व के उन्नत देश विज्ञान और तकनीक का अच्छा प्रयोग कर पाते हैं। इस कारण वे अपने देश वासियों को बहुत प्रकार की विशेष सुविधा देते हैं जिसे अन्य देश के लोग नहीं दे पाते। उदाहरण के तौर पर, सिडनी में, परिवहन और यातायात का प्रयोग करने के लिए हमें केवल एक कार्ड लेना पड़ता है। यह कार्ड बस, ट्रेन, स्टीमर सब में मान्य है। रविवार एवं अन्य छुट्टियों के दिन भाड़ा कम लगता है। इसी प्रकार दिन में भी अलग अलग समय पर भाड़े अलग अलग हैं। सप्ताह में ८ बार सफर कर लेने पर उस सप्ताह के बाकी सफर नि:शुल्क हो जाते हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखकर हम अपना कार्यक्रम तय कर सकते हैं। इसके दो फायदे हैं – हमारा भाड़ा कम लगता है और सार्वजनिक वाहनों में अनावश्यक भीड़ नहीं होती। इसी प्रकार बिजली के दरें भी समय और दिन के अनुसार अलग अलग हैं। समझ कर प्रयोग करने से खर्च कम लगता है और बिजली की खपत भी दिन भर में वितरित हो जाती है।

सिडनी में मैंने किसी भी घर के छत पर पानी की टंकी नहीं देखी। सार्वजनिक शौचालयों में भी नहीं। पता चला कि  प्रत्येक इमारत  में पानी का दबाव बना कर रखने के लिए विशेष यंत्र लगे रहते हैं। इनसे नलों में २४ घंटे दबाव बना रहता है और पानी आता है। इसी प्रकार गर्म पानी के लिए भी केंद्रीय प्रणाली (सेंट्रलाईज्ड इंस्टेंट हीटिंग सिस्टम) लगे हैं। इसके लिए भी पानी जमा करने की आवश्यकता नहीं है और न ही पहले से गरम करने की। पानी के प्रयोग का भी खर्चा लगता है और उसे गरम करने का भी। सार्वजनिक शौचालयों की कमी नहीं हैं और सब के सब साफ सुथरे और सबों का रख रखाव भी उत्तम है। कहीं भी, कभी भी इनका प्रयोग करने के पहले न सोचना पड़ता है और न ही कुछ देना पड़ता है। 

इन्टरनेट से पता चला कि सिडनी घूमने के लिए नि:शुल्क बस चलती हैं। सोचा एक बार इसमें घूम लूँ तो  सिडनी का  भूगोल थोड़ा समझ लूँगा। इससे घूमना-फिरना आसान हो जाएगा। लेकिन इस बस की  सेवाएँ उपलब्ध नहीं थीं। खैर, वहाँ पूछताछ केंद्र से सिडनी का नक्शा एवं अन्य पर्यटन संबंधी जानकारियाँ हासिल हुईं। वहीं पता चला कि हाइड पार्क से रॉक्स तक रोज प्रात: शहर दर्शन कि नि:शुल्क पैदल यात्रा कराई जाती है। इस यात्रा से सिडनी का  भूगोल व  इतिहास समझने में सहायता मिली। यह भी समझ में आया कि छोटे बड़े संग्रहालयों से शहर भरा हुआ है, अंग्रेजों की छाप पूरी सिडनी पर है। यहाँ के लोग अंग्रेजों के शुक्रगुजार भी हैं, क्योंकि उन्होने ही इस देश को खोजा, बसाया और विकसित किया। उनके आने के पहले यहाँ केवल आदिवासी और मूल प्रजातियां ही निवास करती थीं, जो न तो शिक्षित थीं  और न ही यहां किसी सभ्यता का विकास हुआ था। सिडनी में क्या देखना  है और क्या नहीं, रुचि अनुसार योजना बना कर सिडनी  घूमें तो शहर भी हमारी रुचि के पन्ने एक एक कर खोलता जाता है, और सिडनी हमें आकर्षित करता है। अन्यथा सब पन्नों में ही सिमटे रह जाएँ।

वेस्ट्मीड और पैरामैटा को जोड़ता हुआ विशाल  पैरामैटा मैदान है। स्वच्छ, घास  की मोटी परत, हरियाली से परिपूर्ण, अनेक प्रकार की पक्षियों का स्वच्छंद विचरण और बीच में बहती पतली सी पैरामैटा नदी। प्रात: भ्रमण के लिए उत्कृष्ट स्थान। साईकिल चलाने वालों के लिए साथ साथ अलग ट्रैक। गाड़ी के लिए तीसरा ट्रैक। बच्चों के लिए झूले एवं खेलने का मैदान। पार्क के मध्य में विशेष आयोजन की व्यवस्था। इसी मैदान में हिन्दू काउंसिल ऑफ आस्ट्रेलिया ने “दीपावली उत्सव २०१५” का आयोजन रविवार ८ नवंबर को किया था। दिवाली ११ नवम्बर की थी। उत्सव एक दिन का प्रात: ११ से शाम ९ बजे तक का था। आयोजन में दिन भर अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन था। कई प्रकार की प्रतियोगिता यथा रंगोली सजाना , गीत, नृत्य, समोसा खाना आदि थीं। कई संस्थाओं  के सदस्य तथा बच्चों ने सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किया जिनका स्तर अच्छा था। भारत से भी कलाकारों को बुलाया गया था। कई प्रकार की वस्तुओं की दुकाने तथा खाने की समुचित व्यवस्था थी। पूरे मेले में सिर्फ शाकाहारी भोजन उपलब्ध था। शाम को आतिशबाज़ी का प्रदर्शन तथा रावण दहन का कार्यक्रम भी था। उत्सव का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया। ऐसे और भी कार्यक्रम इसी काउंसिल की तरफ से आस्ट्रेलिया के अन्य शहरों में भी किया गया था तथा दूसरी संस्थाओं द्वारा सिडनी के भी अन्य जगहों पर किया गया था। ऐसे और कार्यक्रम शनिवार को भी थे और आगामी शनि एवं रवि  वार को भी होंगे।

सिडनी में मैंने हरी मखमली घास बहुतायत में देखी। खास बात यह कि ऐसे मैदानों में बोर्ड लगे हैं जिनमें पर्यटकों को इन घासों पर चलने, पेड़ों का आलिंगन करने और उन्हें चूमने, पौधों को सहलाने कि  गुजारिश की गई है। ऐसा करने से हम प्रकृति के और नजदीक जाते हैं और उसका सम्मान करने के पाठ पढ़ते हैं।

सिडनी के मंदिर
आस्ट्रेलिया में भारतीय बहुत हैं। करीब १० लाख। ज़्यादातर लोग  दक्षिण भारत, गुजरात एवं पंजाब से हैं। हैरिस पार्क भारतियों की बस्ती है। इस पूरे  इलाके यथा  हैरिस पार्क, पैरामैटा, वेस्टमीड, वेंटवर्थवेल में भारतीय घूमते फिरते अच्छी तादात में  देखने मिल जाते हैं। कई जगहों पर जैसे डार्सी रोड कोल्स, वेस्ट्मीड स्टेशन, वेंटवर्थवेल पार्क आदि पर लगी बेंचों पर तो अलग अलग समय पर भारतीय विरिष्ठ नागरिकों का जमावड़ा भी मिल जाता है। इच्छा एवं सुविधानुसार जिससे जुड़ना हो जुड़ा जा सकता है।

प्रायः प्रत्येक मंदिर में मंदिरानुसार प्रधान देवता के अलावा अनेक भारतीय देवी देवता की स्थापना है। यथा हिन्दू देवी देवता के अलावा महावीर, बुद्ध, साई आदि।  जनसंख्यानुसार मंदिरों की भी कमी नहीं है। यहाँ के नियम के अनुसार दीपक कम या नहीं जलाए जाते हैं। आरती समाप्त होने पर उसे भी बुझा दिया जाता है। फूल बहुत कम चढ़ाये जाते हैं। मंदिरों का  सुविधानुसार खुलने एवं बंद होने का अलग अलग समय है। प्राय: प्रत्येक मंदिर में भोजनालय है जो सप्ताह के अंत में खुला रहता है। प्रसाद के रूप में पूर्ण भोजन खिलाने की प्रथा सी ही है। कई जगह श्रद्धालु स्वयं प्रसाद लाते, चढ़ाते और फिर वहीं बिनामूल्य वितरित भी करते हैं।

मंदिरों के अलावा, कई त्योहार दिन के दिन न मनाकर शनि-रवि वार को मनाते हैं। सार्वजनिक दुर्गा पूजा भी इसी प्रकार सप्ताह के अंत में मनाई जा रही है। पूजा बुध-वृहस्पति वार को है लेकिन उत्सव पहले एवं बाद के शनि-रवि को है। ऐसी ही एक पूजा में गए। भारतीय अंदाज  में पूजा सजाई गई है, मंत्रोच्चारण हो रहे हैं, पुष्पांजलि दी जा रही है। बंगाली भाई बंधुओं की भरमार है। दूसरे प्रांत के लोग भी हैं। खाने के कई प्रकार के स्टाल हैं -  झाल मूढ़ी, घुघनी चाट, समोसे, कूचुरी आलूदम आदि खरीद कर खा सकते हैं। दोपहर बाद माता  के भोग का प्रसाद यानि पूरा भोजन सब श्रद्धालुओं को कराया गया।  ऐसा आयोजन कई समितियां सब शहरों में कई जगहों पर करती है। घूमते फिरते स्ट्रेथफील्ड में शिरडी साई बाबा के मंदिर में पहुँच गए। वहाँ भी दुर्गा पूजा के उपलक्ष्य में दोपहर में भोग का भोजन चल रहा था। वेस्टमीड में सिडनी मुरूगन मंदिर है, दक्षिण भारतीय शैली में विशाल मंदिर है। यहाँ संगीत की विधिवत शिक्षा भी  दी जाती है और और उसके कार्यक्रम का भी आयोजन होता रहता है। सप्ताह के अंत में मंदिर के भोजनालय में शुद्ध और उत्तम खाना मिलता है। वहीं बैठ कर भी खाने की व्यवस्था है और बँधवा कर भी लिया जा सकता है।

औबर्न और लिडकोम्ब के मध्य श्री मंदिर है। मंदिर छोटा है। राधा कृष्ण के दर्शन हैं। रख रखाव प्रमुखत: गुजरातियों द्वारा है। प्रत्येक सोमवार को शिव  अभिषेक एवं मंगलवार को रामायण पाठ होता है, उसके बाद कीर्तन तथा प्रसाद। मंदिर स्टेशन से दूर है, पैदल जाना कठिन है। बस सेवा भी सीमित ही है। आने वाले श्रद्धालु प्राय: गाड़ी वाले ही हैं। दिवाली के बाद शनिवार को अन्नकूट महोत्सव मनाया गया। पूजा, ५६ मिष्ठान्नों का भोग, आरती और राष्ट्रीय गान के पश्चात प्रसाद वितरण। पहले भरपेट खाना, फिर भोग।  इसका कोई मूल्य नहीं लगता है। इच्छानुसार जो भी भेंट करें या न करें।  पूरी व्यवस्था मंदिर की तरफ से ही है। ऐसा ही आयोजन, नव वर्ष पर, सुंदरकाण्ड के सामूहिक पाठ का किया गया था। पाठ के बाद समस्त भक्तों के लिए बिना मूल्य भोजन।

सिडनी से करीब ७० कि.मी. दूर हेलेन्सबर्ग में श्री वेंकटेशवर का विशाल मंदिर है। कई दक्षिण भारतीय देवताओं के साथ श्री राम, हनुमान, शिव परिवार आदि के मंदिर हैं। विवाह आदि की व्यवस्था है। भक्त भगवान को भोग लगाने के लिए घर से सामग्री, यथा भोग, प्लेट, चम्मच आदि,  लाते हैं और फिर उसे वहाँ उपस्थित भक्तों  में वितरित कर देते हैं। प्रसाद वितरित करने लिए व्यवस्था है। प्रसाद, भक्त गण अपने आप आ कर ले लेते हैं और अगर बच कर निकलना चाहते  हैं तो विशेष अनुग्रह करते हैं। प्रसाद की मात्रा इतना होती है कि पूरा नास्ता या भोजन ही हो जाता है। प्रसाद का स्तर भी अच्छा होता है। भारत में तो ऐसी सामाग्री या तो मंदिर में ही चढ़ा दी जाती है जो मंदिर की हो जाती है या प्रसाद के रूप में अति अल्प मात्र में हमारी हथेलियों में आती है या शायद नष्ट होती है।  सप्ताह के अंत में मंदिर के भोजनालय में शुद्ध और उत्तम खाना मिलता है। वहीं बैठ कर भी खाने की व्यवस्था है और बँधवा कर भी लिया जा सकता है।
         
सिडनी से बाहर मिंटो में शिव मंदिर है। किसी समय एक ही मंदिर था, लेकिन कालांतर में मतभेद हो जाने के कारण एक दूसरे से सटे दो मंदिर बन गए, श्री शिव मंदिर और मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर। यह खेद का विषय है कि सनातन धर्म में त्याग का बहुत महत्व है उसी धर्म को मानने वाले अपने मतभेद मिटाने में असमर्थ हैं और भगवान को बाँट देते हैं। बहरहाल मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर के संस्थापकों एवं पुजरी का दावा है कि यह मंदिर तेरहवाँ ज्योतिर्लिंग है  और शिव पुराण एवं महाभारत में  इसकी चर्चा है। 



संग्रहालय
सिडनी संग्रहालयों का शहर है। सिडनी के कोने कोने में स्थित सब संग्रहालय घूमना दुष्कर कार्य है। अपनी सुविधा, रुचि और  समय के अनुरूप चयन करना चाहिए। यहाँ के कुछेक संग्रहालयों, जहां मैं जा सका, का विवरण यहाँ दे रहा हूँ।

आस्ट्रेलिया में हमारा पहला पर्यटक स्थल था, हाइड पार्क के पास तीन तल्लों का विस्तृत आस्ट्रेलियन संग्रहालय। प्रवेश शुल्क में  वरिष्ठ पर्यटकों के लिए ५०% की छूट है। संग्रहालय  बहुत ही खूबसूरत और ज्ञानवर्द्धक है। फोटो, फिल्म, औडियो विजुवल की सहायता से बहुत जनकारियाँ दी गयी हैं, ये संग्रहालय को जीवन्त बना देती हैं। आस्ट्रेलिया में बहुत खनिज पदार्थ हैं, यह मैंने पढ़ा-सुना था। लेकिन इस “बहुत” की परिभाषा इस संग्रहालय को देखने पर समझ में आई। विविध  प्रकार और रंग  के इतने खनिज? खनिज पदार्थ का अर्थ केवल कोयला, धातु या तेल नहीं होता है। सब प्रकार के बहुमूल्य और अंशत: बहुमूल्य पत्थर भी खनिज पदार्थ होते हैं और यहाँ मिलते हैं, इसकी जानकारी इस संग्रहालय के कारण ही हुई। यहीं पता चला कि अलग अलग मूल्यवान खनिजों को पहचानना और उनका संग्रह करना भी एक शौक है। डायनासोर कक्ष भी विशेष देखने योग्य है। संग्रहालय दिखाने – समझाने  के लिए समय समय  पर  आंतरिक टूर होती है।   २० पर्यटक होने पर विशेष कार्यक्रम की भी व्यवस्था है जिसमें यहाँ के मूल निवासियों के संगीत और नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है। हम यह कार्यक्रम नहीं देख पाये।

संगृहित खनिज 
मैडम थुस्साड संग्रहालयअब विश्व के बहुत से देशों में है। इसका प्रारम्भ लंदन से हुआ था। यहाँ सिडनी में  व्यवस्था बहुत अच्छी है। यहाँ के इस संग्रहालय की विशेष बात यह है कि प्राय: प्रत्येक मूर्ति के साथ हम फोटो ले  सकते हैं। फोटो खींचने के लिए विशेष व्यवस्था है यथा अतिरिक्त कुर्सी, पोशाक, टोपी, सेट आदि  रखी हुई हैं जिनका प्रयोग कर अलग अलग अंदाज़ में फोटो ले सकते है।


इसी के बगल में है आस्ट्रेलिया  वाइल्ड लाइफ और सी लाइफशहर  के मध्य में छोटी सी जगह पर जिस ढंग से इन दोनों का निर्माण किया गया है और जगह निकाली गई है, काबीले तारीफ है। फोटो खिंचवाने कि भी व्यवस्था है लेकिन बरबस ध्यान पाकेट पर चला ही जाता है। इन सबों में प्रवेश शुल्क लगता है। लेकिन जाने से पहले इंटरनेट पर खोज कर कई दर्शिनीय स्थलों की टिकट एक साथ लेने पर बहुत रियायत मिल जाती है। इसके अलावा कई जगहों पर इंटरनेट से ऑन लाईन खरीदने  पर भी विशेष छूट है।

सिडनी में स्थित आर्ट गैलेरी ऑफ नॉर्थ साउथ वेल्स का संग्रह अद्भुत है। इसमें किसी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लगता है। पर्यटक को संग्रहालय हर समय नवीन लगे और साथ ही संग्रहालय कि सब निधियों को देखने का मौका भी मिले इसलिए प्रदर्शित संग्रह को बदलते रहते हैं। यही नहीं देश के सब संग्रहालय अपनी कलाकृतियों को एक दूसरे के पास प्रदर्शित करने के लिए भी भेजती रहती हैं। संग्रहालय का संग्रह तो बेजोड़ है ही, इमारत भी भव्य है। प्रत्येक बुधवार शाम को नि:शुल्क विशेष कार्यक्रम भी होते रहते हैं। शाम देर से आने जाने कि सुविधा के लिए विशेष बसों कि भी व्यवस्था रहती है।

पैरामाउंट पुल के एक छोर पर मैरिटाइम म्यूज़ियम देखना न भूलें। इसमें रखी सामग्री देखने लायक है, और रखने का तरीका भी सराहनीय है। पूरा का पूरा हेलिकोप्टर छत से लटका दिया गया है, लंबी रेसिंग बोट दीवाल पर जड़  दी गई है, बोफोर्स तोप  तथा भीमकाय मरीन इंजिन तथा और भी बहुत कुछ है यहाँ देखने के लिए, और यह सब बिना किसी प्रवेश शुल्क के। म्यूज़ियम के बाहर ही समुद्र में कई प्रकार की नाव, बोट, पनडुब्बी भी खड़ी हैं। इन्हे भी शुल्क दे कर अंदर से देख सकते हैं। एडवेंचर का शौक हो और पॉकेट में पैसे तथा समय हो तो  पाल वाली बोट पर ५ दिन का सफर तय करके मेलबौर्न तक का समुद्री सफर भी किया जा  सकता है।


इनके अलावा दो और विशेष दर्शनीय स्थल हैं पावर हाउस म्यूज़ियम और सिडनी ओब्जर्वेटरी। पावर  हाउस संग्रहालय में रखी घड़ी का घंटा सुनना और स्पेस नो ग्रैविटी का अनुभव करना न भूलें। ओब्जर्वेटेरी में पहले से आरक्षण करवा  कर रात को जाएँ।  अगर जानवरों में दिलचस्पी है तो तरोंगा  चिड़ियाखाना भी अवश्य देखने लायक है। यहाँ सड़क और समुद्री मार्ग दोनों से जाया जा सकता है। सिडनी में आकर कम से कम एक बार तो समुद्री यात्रा  तो बनती ही है। अत: उचित है कि स्टीमर से ही जाया जाय ।


शॉपिंग
आस्ट्रेलिया महंगा देश है। यहाँ वस्तुएँ महंगी हैं। फिर भी शॉपिंग मॉल की कमी नहीं है और चीजें धड़ल्ले से बिकती हैं। कई बार बाद में ले लेंगे या पहले मॉल घूम लेते हैं फिर लौटते समय खरीद लेंगे का विचार हमें बहुत महंगा पड़ा। वे चीजें या तो मिली ही नहीं या अधिक मूल्य पर। कोल्स, वूलवर्थ, अल्डी आदि रोज़मर्रा के सामान बेचने के सूपर स्टोर्स हैं। इन सबकी अनेक शाखाएँ हैं। मायर, आइकिया, पोको आदि स्पेसिलाइज्ड सूपर स्टोर्स हैं। सूपर क्या महा सूपर हैं। लेकिन साधारणतया ये सब शाम को करीब ६ बजे बंद हो जाते हैं। 

वेस्टफील्ड यहाँ का बड़ा शौपिंग मौल है। सिडनी में इसकी कई शाखाएँ हैं। पैरामैटा, बरवुड, जॉर्ज स्ट्रीट और न जाने कहाँ कहाँ।  पैरामैटा स्टेशन के वेस्टफील्ड में हम लोगों ने करीब ४.३० घंटे बिताए, इस दौरान हम सिर्फ कुछ तल्लों का एक भाग ही देख पाये। यहाँ बाज़ार प्राय: शाम ६ बजे केआसपास बंद हो जाते हैं, केवल वृहस्पतिवार को देर तक, शाम ९ बजे, तक खुले रहते हैं। हर मौल और बड़ी दुकान पर रोज खुलने एवं बंद होने का समय लिखा रहता है। वेबसाइट से पता लग जाता हैं। एक दिन हमें निकलने में देर हो गई और मौल बंद होना शुरू हो गया। जिधर भी गए दरवाजे बंद थे। बाहर निकलने में ४५ मिनट लग गए।

वेंटवर्थवेल का बाज़ार प्रमुखतया भारतीय बाजार हैं। उदया (वेंटवर्थवेल और लिवरपूल) दक्षिण भारतीय सूपर मार्केट है, हर प्रकार का भारतीय सामान यहाँ मिल जाता है – खाने, पीने, मसाले और पकाने का। त्योहार के अनुसार उसके सामान भी मिल जाते हैं। जैसे नवरात्रा एवं दिवाली पर पूजा की पूर्ण सामाग्री, सजावट का सामान, दीपक, मंदिर, मोमबत्ती, फुलझरी, प्रसाद के लड्डू एवं अन्य मिठाइयाँ।  ऐसी दो बड़ी दुकाने हैं। इनके अलावा, भारतीय रेस्तरां , शाकाहारी रेस्तरां भी हैं। विशेष कर भारतीय बाहुल्य क्षेत्रों में छोटी बड़ी कोई न कोई भारतीय समग्रियों की दुकान, बाजार और रेस्तरां मिल ही जाता है।

लैमिङ्ग्टन में सिडनी मार्केट हैयह बाज़ार एक प्रकार का यहाँ का साप्ताहिक थोक  बाज़ार है और हाट कि भांति  सप्ताह में दो दिन शनि एवं रविवार को लगता है। भीड़ होती है, लेकिन साफ सुथरा है। सब्जी और फल  थोक मात्र में और थोक भाव में खरीद सकते हैं।  इसी प्रकार का लेकिन इससे छोटा बाजार डार्लिंग हर्बर के नजदीक पैडीज़ मार्केट है।

समुद्र तट
सिडनी या ज्यादा सही है आस्ट्रेलिया में समुद्र तट की भरमार है। ये एक दूसरे से अलग हैं, सुविधाएं भी अलग अलग प्रकार की हैं, समुद्र और बालू के अनेक रंग हैं। कहते हैं कि अगर हम रोज एक समुद्र तट घूमें तो आस्ट्रेलिया के सब समुद्र तट घूमने में २७ वर्ष लग जाएंगे। यह कितना सही है इसकी जानकारी नहीं हैं लेकिन यह सही है की बेशुमार हैं।

बोंडाई बीच यहाँ के प्रमुख समुद्रतटों  में से एक है। सागर का रंग गहरा  नीला है। सागरतट पर चलते चलते एक से दूसरे कई समुद्रीतटों पर जाया जा सकता है। पैदल पर्यटकों के लिए रास्ता बनाया हुआ है। इस समय पूरे रास्ते में विभिन्न धातुओं और पदार्थों से बनी मूर्तियों आदि की प्रदर्शनी चल रही थी। रास्ते भर में खुले आसमान के नीचे छोटी-बड़ी और आकार-प्रकार की कला कृतियाँ रखी हुई थीं। समुद्र के किनारे, ठंडी हवा और चिलचिलाती धूप में,  चलते हुए इनका आनंद लिया।

सिडनी के उत्तर में करीब १२५ कि.मी. पर केव्स समुद्र तट  है। इस जगह पर, शहर से दूर होने के कारण लोग कम हैं। सुविधाएं भी कम हैं। फिर भी कई  बिजली से चलने वाली सार्वजनिक चूल्हे लगे हुवे हैं जिसमें कोई भी पका या गरम कर सकता है – बिना किसी मूल्य के। खाने पीने के  लिए एक रेस्तरां है, बैठने के लिए छाँह में टेबल-कुर्सियाँ हैं, नहाने वगैरह की व्यवस्था है, सजग पहरेदार बालू में दौड़ने वाली गाड़ी के साथ मौजूद हैं। दुर्घटना में पुलिस – एम्बुलेंस, डॉक्टर सहित, ५ मिनट में पहुँच गई और तुरंत व्यवस्था की। एम्बुलेंस में डॉक्टर, नर्स, दवा, उपकरण  आदि सब मौजूद हैं। समुद्र तट पर पत्थरों की कई एक गुफाएँ बनी हुई हैं। इसीलिए यह नाम।

सिडनी से सटा हुआ है मैन ले समुद्र तट। जाने का आनंद लेने के लिए समुद्री मार्ग से जाएँ। पर्यटकों और स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र है। विस्तृत समुद्र तट पर सैलानियों का हुजूम देखने को मिल जाएगा। अगर बस-रेल में गमछे लटकाये गंजी और शॉर्ट्स में लोग मिलने लगें तो समझ लीजिये की सही  रास्ते पर हैं। चारों तरफ तटीय रेस्तरां और दुकानों से अटी पड़ी है यह जगह, लेकिन कहीं भी अव्यवस्था या भीड़ का आभास नहीं।  यहीं पर पानी के अंदर जा कर शार्क से दो बातें भी कर सकते हैं। है हिम्मत? वैसे हिम्मत की विशेष कोई आवश्यकता नहीं है, बस मन होना चाहिए।

पर्यटन स्थल
शहर के बीच डार्लिंग हार्बर पर चाइनीज उद्यान है। छोटा सा ही है लेकिन ढंग से बनाया गया है। झील भी है झरना भी, मछली भी है और पक्षी भी। पेड़ पौधे हैं और पहाड़ी भी। धूप हो या वर्षा या खुला आसमान हर मौसम में घूमा जा सकता है। हर दर्शनीय स्थान में खाने की व्यवस्था रहती है जिसका स्तर अच्छा होता है और महँगा भी नहीं। इसी डार्लिंग हार्बर पर बच्चों के लिए छोटा सा स्वीमिंग पूल, रेन डांस”, फ़न पूल”, झूला जैसी चीजें हैं जिसका कोई मूल्य नहीं लगता है। यहाँ हर समय छोटे बच्चों और माताओं का जमावड़ा रहता है। शनिवार को शाम आतिशबाज़ी भी होती है। समुद्र किनारे सब तरफ रेस्तरां हैं, फूड प्लाज़ा हैं, टहलिए, बैठिए, घूमिये मौज कीजिये।

फीदरडेल वाइल्डलाइफ पार्क प्रमुखत: बच्चों के लिए है। बड़े बूढ़े भी लेकिन बराबर का आनंद लेते हैं। घूमते फिरते जानवरों के साथ बैठिए, फोटो लीजिये, सहलाइये। यहाँ भी भोजन वगैरह करने के लिए समुचित बेंच तो है हीं, खाना गरम करने के लिए बार-बी-क्यू की भी सार्वजनिक व्यवस्था है।

शहर के मध्य में सिडनी आई  (३०९ मीटर) यहाँ का  विशेष आकर्षण है। यह सिडनी की सबसे ऊंची इमारत या मीनार है।  पूरा सिडनी यहाँ से दिखाई पड़ता है। चारों तरफ (३६० डिग्री) पारदर्शक शीशे के पीछे से हवा, पानी, धूप से पूरी तरह सुरक्षितत, भव्य दृश्य का आनंद लें। खुले आसमान के नीचे, काँच के फर्श पर खड़े होकर रेलिंग से ताक झांक करनी हो तो और थोड़ा ऊपर स्काई वॉक  करें। सूर्यास्त के समय का  दृश्य विशेष मनोहारी है।

इसके नजदीक ही है बोटानिकल गार्डेन। २०१६ में इसकी स्थापना के दो सौ वर्ष पूरे हो जायेंगे। १८१६ में यहाँ के गवर्नर लॉर्ड मैक्वारे ने बनवाया था। विस्तृत क्षेत्र पर बना, अनोखे फूल, पेड़, वनस्पतियों से भरा यह बगीचा पर्यटक को अपनी तरफ आकर्षित करता ही है। बगीचे में समुद्र के किनारे चलते चलते ठंडी बयार और समुद्र में उठती गिरती  गहरे नीले रंग की लहरों का आनंद लेते हुवे ओपेरा हाउस तक पहुँच गए।

सिडनी की  दो पहचान हैं। उनमे से एक है ओपेरा हाउस हर जगह इसकी फोटो रहती है औए एक आम जानकार व्यक्ति इस फोटो को देख कर समझ जाता है कि यह आस्ट्रेलिया, सिडनी है।  समुद्र तट पर बने इस विशाल प्रेक्षाग्रह में अलग अलग आठ प्रदर्शन एक साथ हो सकते हैं। कला और विज्ञान के सामंजस्य का अनूठा उदाहरण है। हम सबसे बड़े कक्ष की बाल्कनी में बैठे थे। मंच पर २ कलाकार, १ निर्देशक  और १ नृत्य निर्देशक, एक पियानो के साथ नृत्य का अभ्यास कर रहे थे। इतनी दूर से हम उनकी बातचीत और पियानो साफ साफ सुन पा  रहे थे। हमें लगा की माइक चालू है , लेकिन बाद में पता चला की माइक बंद था।  यहाँ अगर कोई प्रदर्शन न देख पा रहे हों तो इसे अंदर से जरूर देखें। 


सिडनी की दूसरी पहचान है यहाँ का हार्बर ब्रिज। उत्तर और दक्षिण सिडनी को जोड़ने के लिए समुद्र पर काफी ऊंचाई पर बनाया गया है। समुद्र में कोई खंबा भी नहीं है और ऊंचाई के कारण किसी भी प्रकार के जहाज को आने जाने में कोई परेशानी नहीं। गाड़ी, ट्रेन, साइकिल और पैदल सब के लिए सुरक्षित अलग अलग रास्ते बने हुवे हैं। पैदल दोनों बाजुओं से किसी से भी चढ़ सकहे हैं, रॉक्स के नजदीक दावेस से या दूसरी तरफ  मिल्सन पॉइंट से। सुविधापूर्ण तो यही है की ट्रेन से मिल्सन पॉइंट जा कर उधर से ही चढ़ें। उधर से सीढ़ियाँ बहुत कम हैं। रॉक्स की तरफ से पुल के खंबे की छत पर जाया जा सकता है। पुल से २०० सीढ़ियाँ चढ़ कर। लेकिन   पुल के स्टील स्ट्रक्चर पर चढ़ने का मन हो तो उसकी भी व्यवस्था है। शरीर और पॉकेट में जितना दम हो वैसा ही चुनाव कर लीजिये।


टाउन हौल स्टेशन के बगल में रानी विक्टोरिया इमारत (क्वीन विक्टोरिया बिल्डिंग) है। टाउन हौल स्टेशन से नीचे के नीचे ही जाया जा सकता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, अंग्रेजों का बनवाया हुआ है। पियारे कार्डिन ने इसे विश्व का सबसे सुंदर शॉपिंग सेंटर बताया है। एक बार १९५० में तो इस इमारत को गिराने पर विचार किया गया लेकिन सौभाग्यवश इमारत बचाली गई। १९८० और फिर २००९ में वापस इसका जीर्णोद्धार किया गया।  अंदर और बाहर दोनों से ही इमारत भव्य  है। लेकिन इसकी भव्यता का अनुभव इसके अंदर घूमने से ही होता है। पूरी इमारत में दूकानें और रेस्तरां है।  इसे इसी उद्देश्य से ही बनाया गया था । समय समय पर इसकी मरम्मत और रख रखाव के द्वारा इसे बहुत अच्छे ढंग से रखा गया है। काँच, नक्काशी, टाइल, चमक, पूरी तरह बरकरार हैं। दो बड़ी बड़ी विशेष घड़ियाँ  इमारत की विशेष आकर्षण हैं। दोनों घड़ियाँ  विशाल तो है हीं, समय के साथ दिन, तारीख बताने का भी इनका अपना अंदाज़ है। प्रत्येक घंटे पर बजने वाली घंटी कर्णप्रिय है और देखने लायक भी है। इसके अलावा रानी विक्टोरिया की जीवंत मूर्ति तथा क्रिसमस पर विशालकाय क्रिसमस ट्री और उसपर लगे हुवे स्वारोवस्की के क्रिस्टल ऐसी छटा बांधते है कि दाँतो तले अंगुली दब जाए। यह इमारत देखना अपने आप में एक अनुभव है।



 
 सिडनी की एक और भव्य इमारत है टाउन हौल। सिडनी काउंसिल की ऑफिस आज भी यहीं हैं और उसकी बैठकें यहीं होती हैं। विक्टोरियन कला और निर्माण का अद्भुत नमूना है। जिस जगह पर यह बना हुआ है कभी यहाँ सेमेट्री हुआ करती थी। नागरिकों कि इजाजत से उसे खोद कर अन्य जगह स्थानांतरित कर के वर्तमान जगह पर बनाया गया। कांचो पर की गई नक्काशी, १९५२ क्रिस्टल पीस का झाड़, नक्काशी की हुई छत, प्रमुख सेंटेनियल हाल जिसमें २५०० लोगों के बैठने की व्यवस्था  और ९००० नलियों वाला ऑर्गन है। इस ऑर्गन का निर्माण १८९० में किया गया था। इस ऑर्गन से  निकलने वाली आवाज के कंपन से छत से प्लास्टर गिर जाया करते थे। अत: पूरी छत को ज़िंक का बना दिया गया। इस ऑर्गन के कार्यक्रम होते रहते हैं। कभी कभी दोपहर में इसका नि:शुल्क कार्यक्रम भी होता है। इसे सुनना न भूलें।


टाउन हॉल की एक खिड़की 


९००० नलियों वाला ऑर्गन 

स्टेट थिएटर सिडनी आइ के बगल में है। १९२९ में  उदघाटन भाषण में तत्कालीन उप प्रधान मंत्री ने सत्य ही कहा कि इसकी सुंदरता और भव्यता शब्दों में नहीं बताई जा सकती है। इसे केवल देख कर अनुभव किया जा सकता है और चमतकृत हुआ जा सकता है। फर्श, दीवारें, छत, सीढ़ियाँ, मूर्तियाँ, सब एक से एक और देखने नहीं निहारने योग्य हैं। विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कट ग्लास का झाड़ यहीं लगा हुआ है जिसमें ३२१ बत्तियाँ लगी हैं और १७३६३ ग्लास हैं। विश्व का सबसे बड़ा झाड़ वियाना के होफ़्बुर्ग महल में है। मैं इसे देख नहीं पाया. लेकिन  विश्वास है की यह अतभुद होगा और अगली बार निशित रूप से इसे देखूँगा. 

हेलेन्स्बर्ग के नजदीक ही है  सी क्लिफ़्फ़ ब्रिजतकनीक का कमाल है। पहाड़ से गिरते हुवे पत्थरों से सड़क और वाहनों को बचाने के लिए समुद्र में पुल बनाया गया है। भरी दोपहरी और कड़ी धूप में भी ठंडी हवा के कारण ब्रिज पर घूमने का अलग ही आनंद था। सामने समुद्र में नीले पानी के इतने रंग? भाई वाह! यह कुदरत का कमाल है। एक मजेदार बात, पुल की रेलिंग और वहाँ बिछी तार की जाली पर छोटे छोटे ताले लगे हुवे हैं। कईयों पर नाम, वर्ष, तारीख भी खुदी हुई है। पता चला कि जिस प्रकार हम भारत में तीर्थस्थलों में पेड़ें पर मन्नत की डोरी बांधते हैं, कुछ कुछ वैसा ही है। जोड़े अपने प्यार की मन्नत का ताला मारते हैं। जब जहां आदमी अपने को विवश पाता है किसी न किसी प्रकार से उस अज्ञात शक्ति की आराधना करने लगता है।



सिडनी से करीब ११७ कि.मी. बोराल में क्रिकेट मे महान खिलड़ी, सर डोनाल्ड ब्रेडमैन, के स्मरण में उनके गाँव में The Cricket Hall of Fame स्थापित है। इस महान खिलाड़ी औए क्रिकेट के इतिहास और तथ्यों को बहुत शानदार ढंग से सजाया गया है। जगह जगह मूर्ति, तथ्य, दस्तावेज़ के अलावा बड़े डिजिटल पड़दों और  टीवी पर क्रिकेट के इतिहास का निरंतर प्रदर्शन चलता रहता है।  चारों तरफ का वातावरण खुशनुमा और हरियाली से आच्छादित है। इसी जगह के आसपास कई जल प्रपात और प्राकृतिक पैदल मार्ग भी हैं। यहाँ रह कर इनका आनंद एक अलग ही अनुभूति प्रदान करता है।

   
सिडनी में देखने के लिए बिना प्रवेश शुल्क के कई चीजें हैं। इसके अलावा सिडनी में कई नि:शुल्क पैदल यात्रा और मूल्य दे कर “हॉप ऑन हॉप ऑफ” बस भी उपलब्ध है। सब जगहों की पूरी जानकारी इंटरनेट पर मौजूद है या टुरिस्ट सेंटर जिसे यहाँ i” कहते हैं, पर भी उपलब्ध हैं। । कई जगहों पर इंटरनेट पर प्रवेश टिकिट में रियायत भी हैं तो कई स्थलों को देखने की टिकिट एक साथ लेने से भी रियायत हैं। खरीदने / जाने के पहले इंटरनेट पर देखना उचित है। 

कुछे एक टूर जिसकी जानकारी साधारणतया उपलब्ध नहीं हैं और मैं समझता हूँ सिडनी को देखने और समझने के लिए आवश्यक हैं वे हैं :
१ .टाउन हाल                       AUD५              २. स्टेट थिएटर                            AUD२२
३. क्वीन विक्टोरिया बिल्डिंग     AUD१५                        ४. सिडनी ओब्जर्वेटरी (रात)         AUD१८
५.ओपेरा हाउस                    AUD२२                        ६. टाउन हाल ऑर्गन                   नि: शुक्ल

गाड़ी चलाना
गाड़ी चलाने के नियम कायदे सख्त हैं और लोग मानते हैं। चूंकि गाडियाँ तेजी से चलती हैं  इन नियमों को न मानाने से टक्कर होने की संभावना ज्यादा है। भारत का ड्राइविंग लाइसेन्स यहाँ मान्य है। गाडियाँ प्राय: बिना क्लच गीयर की हैं। रास्ते समझने के लिए नैविगेटर पर भी ध्यान रखना पड़ता है और गाड़ी कि गति  पर भी। इन  कारणों से प्रारम्भ में गाड़ी चलाने में असुविधा होती है। शुरू में स्थानीय व्यक्ति के बिना नहीं चलानी चाहिए। यहाँ शहर के बाहर भी गाड़ी पूरी तरह नियंत्रित हैं। पूरे नियम कायदे हैं और उस पर निगाह रखने के लिए कैमरे भी लगे हुवे हैं। कहाँ किस गति से चलाना है, कहाँ मुड़ना है कहाँ नहीं, कहाँ खड़े हो सकते हैं कहाँ नहीं, कहाँ धीरे चलाना हैं कहाँ तेज और किस गति से सब पूर्व निर्धारित है। गाड़ी में लगे नेविगेटर से भी सब सूचना मिलती रहती है साथ ही गंतव्य पर कितने बजे पहुंचेगें यह भी पता चलता है। हाई वे पर गाड़ियाँ भी बहुत हैं। पूरा सफर नियंत्रित हो जाता है। इन सब का आराम है तो नुकसान भी। सब कुछ यंत्रवत है, जैसे कि हम इंसान नहीं रोबोट हैं। हम अपनी सुविधा के अनुसार न चल सकते हैं, न रुक सकते हैं।  इच्छानुसार, तेज तो ठीक है, धीरे भी नहीं चला सकते। जैसे कोई और हमें देख और आदेश दे रहा है। इस कारण यह यात्रा आनंदमयी नहीं बन पाती। आस्ट्रेलिया में अधिकतम गति ११० कि.मी. प्रति घंटा है।

अन्य
सिडनी के चारों तरफ बहुत  प्रकार के फलों के बगीचे हैं। मौसम के अनुसार इनमें फल होते हैं। इनकी पूरी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध रहती है। लोग इच्छानुसार, पहले से सूचना दे कर, इन बगीचों को देखने जा सकते हैं और जितने फल चाहिए तोड़ सकते हैं। जो फल आपने तोड़ा वो आपका। पैसे लगेंगे, हाँ मेहनत की है इसलिए कुछ कम। मन और समय हो तो भेड़ों से ऊन कटाई भी देखने जाया जा सकता है।

आस्ट्रेलिया का विकास सिडनी से प्रारम्भ हुआ। यूरोप से आए सब जहाज, यात्री सिडनी ही आते थे। सिडनी के आसपास दूसरा बन्दरगाह पैरामैटा बना। यह सिडनी के पास ही है और सिडनी का उपनगर है। इस जगह का भी अपना इतिहास है और पूर्ण विकसित है। बड़ी इमारतें, ऑफिस, शॉपिंग मॉल, थियेटर, रेस्तरां, मैदान यहाँ भरे हुवे हैं। यहाँ एक वृहद पुस्तकालय भी है जिसमें अंगेरजी के अलावा अन्य भाषाओं की पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। हिन्दी की भी पुस्तकें, औडियो सीडी और विडियो डीवीडी हैं। इसकी सदस्यता के लिये सिर्फ  यहाँ के ठिकाने का एक प्रमाण पत्र चाहिए। सदस्यता नि:शुल्क है।

प्रत्येक नव वर्ष पर सिडनी के हार्बर ब्रिज पर ३१ दिसम्बर की  रात १२ बजे आतिशबाजी होती है। यहाँ कि आतिशबाज़ी विश्व प्रसिद्ध है और इसकी गिनती विश्व के सर्वोत्तम आतिशबाजियों में होती है। लोग सुबह ६ बजे से निर्दिष्ट स्थानों पर पहुँचने लगते हैं। प्रमुखत: हार्बर ब्रिज और उसके आस पास कुल ७ जगहों से आतिशबाज़ी होती है। पहला छोटा प्रदर्शन ९ बजे और दूसरा प्रमुख प्रदर्शन रात १२ बजे होता है।  बेशुमार भीड़ होती है और प्रशासन को बहुत चुस्त रहना पड़ता है। लेकिन बहुत थोड़े से व्यक्तियों से पूरी  भीड़ को नियंत्रित ही नहीं बल्कि सुविधापूर्ण तरीके से गन्तव्य तक पहुंचाने कि सुंदर व्यवस्था कैसे की जा सकती है, यह यहाँ देखने और समझने की बात है। यह भी सही है कि भीड़ भी अनुशासित है।

वापसी
लौटते समय हमारे पास सामान, गिनती और वजन में, पहले से ज्यादा था। अत: कोलकाता के अनुभव से हम आशंकित थे। लेकिन यहाँ ऐसी कोई समस्या नहीं हुई। खिड़की पर बैठी औरत ने इतना जरूर कहा कि हमारे पास सामान ज्यादा है। सिडनी से सिंगापुर के दौरान हमारी सीट जहाज के ऊपरी तल में थी। ऊपरी तल पर सफर करने का यह पहला मौका था। हमें यह ज्यादा आरामदायक लगा क्योंकि कोई सीढ़ी नहीं चढ़नी पढ़ी, कुर्सी के बगल में सामान रखने  के लिए एक अतिरिक्त खन बना हुआ था और बैठने का इंतजाम २+४+२ था और हम दो थे। सिंगापुर में जहाज बदली करने के लिए समय कम था। भागते हुए पहुंचे। हाथ पैर सीधा करने के लिए थोड़ा अंतराल मिल जाता  तो अच्छा रहता। सिंगापुर हवाई अड्डे पर जब जहाज में चढ़ने कि तैयारी कर रहे थे, हमारे सामान को देख कर एक कर्मचारी ने कुछ सामान को केबिन से लगेज़ में डालने कि सिफ़ारिश की। बिना किसी मूल्य के। हमें अच्छा भी लगा और आश्चर्य भी हुआ। हम तुरंत तैयार हो गए। लेकिन हमारे पास कोई ताला नहीं था। भगवान का नाम लेकर एक केबल टाई से बांध कर सामान डाल दिया जो हमें सही सलामत मिल गया। कोलकाता में न कोई परेशानी हुई और न ही समय लगा।

हम जिस सच्चाई, ईमानदारी और नैतिकता  की बात करते हैं, वे यहाँ देखने को मिलती हैं। लोग एक दूसरे पर विश्वास  करते हैं और इस विश्वास पर खरे उतरते हैं। हमारे द्वारा दिया गया वकतव्य सही माना जाता है। ईमेल पर मिली जानकारी पर कार्यवाही कर ली जाती है। बड़े बड़े स्टोर्स और दुकानों में निजी थैले / बैग ले कर बेरोकटोक आ-जा सकते हैं। यहाँ तक कि अपने द्वारा खरीदे गए सामानों का बिल बनाना और उसका भुगतान करना भी हम  खुद कर सकते हैं। सड़कों पर पैदल चलने वाले राहगीरों को गाड़ी वाले प्राथमिकता देते हैं। चलते समय एक दूसरे से इतनी दूरी बनाए रखते हैं कि भूल से भी छू न जाए। बिना पंक्ति बनाए पंक्ति के नियमों का  पालन करते हैं। नियम कड़े हैं, लोग उसका पालन करते हैं  और उसका उल्लंघन करने पर सजा भी वैसी ही कड़ी है। उदाहरण के तौर पर, व्यावसायिक गाडियाँ (टॅक्सी, बस आदि)  चलाने वाले अगर नियमों का  उल्लंघन करते हैं तो उनका लाइसेन्स जन्म भर के लिए रद्द हो सकता है। जीवन बेहतर है। आपा-धापी नहीं है। ५ दिन का मतलब ५ दिन है और इसी प्रकार ९ से ६ का मतलब भी आमतौर पर वही है। इसके अपने कारण हैं, अच्छाइयाँ हैं  और बुराइयाँ भी लेकिन अंतत: इंसान इंसान बन कर जीता है, रोबोट नहीं।
 
अंत में मैं यही कहना चाहूँगा सिडनी मैं तुम्हें प्यार करता हूँ।


२८.०१.२०१६