रविवार, 29 जून 2014

Rajasthani Bhasha ko Sanvaidhanik Manyata

राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता

भारतीय संविधान ने निम्नलिखित २२ भाषाओं को मान्यता प्रदान कर रखी है। २००१ की जनगणना के अनुसार उनके बोलने वालों की संख्या भी साथ में दी गयी है  :

१. आसामी – १.३ करोड़                 २. बंगाली – ८.३ करोड़
३. बोडो – १४  लाख                    ४. डोगरी – २३ लाख
५. गुजरती – ४.६ करोड़                 ६. हिन्दी – २५.८ करोड़
७. कन्नड़ – ४ करोड़                   ८. कश्मीरी – ५५ लाख
९. कोंकणी – २५ लाख                  १०. मैथिली – १.२ करोड़
११. मलयालम – ३.३ करोड़              १२. मणिपुरी – १५ लाख
१३. मराठी – ७.२ करोड़                 १४. नेपाली – २९ लाख
१५. ओड़िया - ३.३ करोड़                १६. पंजाबी – ३.४ करोड़
१७. संस्कृत – १० हजार                 १८. संथाली – ६५ लाख
१९. सिंधी – २५ लाख                   २०. तमिल – ६.१ करोड़
२१. तेलुगू – ७.४ करोड़                  २२. उर्दू – ५.२ करोड़

इस विषय पर हम आपका ध्यान राजस्थानी भाषा की  तरफ आकर्षित करना  चाहेंगे। इस भाषा से संबन्धित कुछ तथ्य इस प्रकार हैं :

१। देश एवं विदेशों में इस भाषा को बोलने वालों की संख्या १० करोड़ से ज्यादा है।

२। केंद्रीय अकादमी ने इस भाषा को मान्यता प्रदान की है। १९७१ से अनवरत रूप से केन्द्रीय अकादमी प्रति वर्ष राजस्थानी भाषा में साहित्यकार को पुरस्कार भी दे रही है।

३। राजस्थानी भाषा के प्रचार, प्रसार एवं संवर्धन के लिए अलग से राजस्थानी साहित्य अकादमी की भी स्थापना की गई है एवं यह अकादमी सक्रिय है।

४। राजस्थानी भाषा का अपना २००० वर्षों से ज्यादा पुराना स्वर्णिम इतिहास है एवं इस भाषा में अनेक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कवि, साहित्यकार एवं रचनाएँ हुई हैं।

५। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी राजस्थानी भाषा को हिन्दी से अलग मान्यता प्रदान की है। जोधपुर एवं उदयपुर विश्वविद्यालय तथा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान ने राजस्थानी को १९७३ से अलग विषय के रूप में पाठ्य क्रम में अपनाया है।

६। अमेरीकन व्हाइट हाउस ने भी मारवाड़ी (राजस्थानी) को अंतर्राष्ट्रिय भाषा के अधीन नामांकित कर रखा है।

७। राजस्थान विधान सभा ने भी २००५ में राजस्थानी को मान्यता प्रदान करने के लिए सर्वसम्मति से केन्द्रीय सरकार को ज्ञापन भिजवा दिया था

८। समय समय पर देश एवं विदेश की विभन्न संगठनो, साहित्यिक संस्थाओं एवं साहित्यकारों ने राजस्थानी को मान्यता प्रदान करने का अनुरोध  किया है।

संक्षेप में, राजस्थानी भाषा को मान्यता प्रदान कर राजस्थानियों के आत्मसम्मान एवं गौरव को प्रतिष्टिथ करना सरकार का उत्तरदायित्व भी है और हमारी आप से अपेक्षा भी। राजस्थानी को मान्यता प्राप्त होने से हम अपनी पहचान, संस्कार एवं संस्कृति को भी बचा पाएंगे।


आशा है मोदी सरकार आप इस विषय पर ध्यान देगी  एवं हमारी भाषा के साथ न्याय करेगी।