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शनिवार, 2 मई 2015

राजस्थानी भाषा

भाषा की मान्यता के लिए धरना

भाषा की मान्यता की राजनीति नई नहीं है। स्वतन्त्रता के बाद देश की 14 भाषाओं को संविधान की 8वीं सूची में शामिल कर उन्हे मान्यता प्रदान की गई। उसके बाद समय समय पर और भाषाओं को मान्यता मिलती रही, यानि संविधान की 8वीं सूची में शामिल होती रही।  इस प्रकार इनकी संख्या बड़कर 22 हो गई।  लेकिन राजस्थानी को मान्यता नहीं मिली। अत: इसकी मान्यता के लिए विभिन्न रूपों में निरंतर संघर्ष चल रहे हैं। पर अभी तक सफलता नहीं मिली है।

दुख की बात यह है की भाषा को मान्यता देने के लिए किसी भी प्रकार का कोई मापदंड नहीं है। यह निर्णय पूर्णतया सरकार के हाथ में है। इसी कारण भाषा की मान्यता वोटों की राजनीति हो गई है। केंद्रीय सरकार की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था केंद्रीय साहित्य अकादमी ने 24 भाषाओं को मान्यता प्रदान की है। वहीं संविधान की 8वीं सूची में 22 भाषाएँ  शामिल हैं। 23वीं भाषा अंगेरजी है जिसे देश की संपर्क भाषा के रूप में मान्यता है और 24वीं भाषा राजस्थानी है। दुर्भाग्य वश सरकार के पास इसका कोई  जवाब भी नहीं है और न ही मान्यता प्रदान कर रही है। यह राजस्थानियों की अवमानना है।

राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता प्रदान करने के लिए किए जा रहे अनेक प्रयासों में यह भी एक प्रयास है।



गुरुवार, 21 अगस्त 2014

राजस्थानी लोक साहित्य में प्रेम कथा



राजस्थानी प्रचारिणी सभा एवं भारतीय भाषा परिषद ने एक गोष्ठी का आयोजन किया है। गोष्ठी का विषय “राजस्थान के लोक साहित्य में प्रेम कथा” है। गोष्ठी में राजस्थान में प्रचलित प्रेम कथाओं पर चर्चा एवं उन पर आधारित लोक गीतों का गायन होगा। इस शृंखला में  राजस्थानी कहावतों पर एक गोष्ठी का  आयोजन पहले किया गया था।

ऐसी गोष्ठियों के आयोजन का उद्देश्य राजस्थानी भाषा, संस्कृति एवं समाज का प्रचार एवं प्रसार है।  
गोष्ठी 23 अगस्त 2014 को भारतीय भाषा परिषद के सभाकक्ष में 4.00 बजे से आयोजित है।



रविवार, 29 जून 2014

Rajasthani Bhasha ko Sanvaidhanik Manyata

राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता

भारतीय संविधान ने निम्नलिखित २२ भाषाओं को मान्यता प्रदान कर रखी है। २००१ की जनगणना के अनुसार उनके बोलने वालों की संख्या भी साथ में दी गयी है  :

१. आसामी – १.३ करोड़                 २. बंगाली – ८.३ करोड़
३. बोडो – १४  लाख                    ४. डोगरी – २३ लाख
५. गुजरती – ४.६ करोड़                 ६. हिन्दी – २५.८ करोड़
७. कन्नड़ – ४ करोड़                   ८. कश्मीरी – ५५ लाख
९. कोंकणी – २५ लाख                  १०. मैथिली – १.२ करोड़
११. मलयालम – ३.३ करोड़              १२. मणिपुरी – १५ लाख
१३. मराठी – ७.२ करोड़                 १४. नेपाली – २९ लाख
१५. ओड़िया - ३.३ करोड़                १६. पंजाबी – ३.४ करोड़
१७. संस्कृत – १० हजार                 १८. संथाली – ६५ लाख
१९. सिंधी – २५ लाख                   २०. तमिल – ६.१ करोड़
२१. तेलुगू – ७.४ करोड़                  २२. उर्दू – ५.२ करोड़

इस विषय पर हम आपका ध्यान राजस्थानी भाषा की  तरफ आकर्षित करना  चाहेंगे। इस भाषा से संबन्धित कुछ तथ्य इस प्रकार हैं :

१। देश एवं विदेशों में इस भाषा को बोलने वालों की संख्या १० करोड़ से ज्यादा है।

२। केंद्रीय अकादमी ने इस भाषा को मान्यता प्रदान की है। १९७१ से अनवरत रूप से केन्द्रीय अकादमी प्रति वर्ष राजस्थानी भाषा में साहित्यकार को पुरस्कार भी दे रही है।

३। राजस्थानी भाषा के प्रचार, प्रसार एवं संवर्धन के लिए अलग से राजस्थानी साहित्य अकादमी की भी स्थापना की गई है एवं यह अकादमी सक्रिय है।

४। राजस्थानी भाषा का अपना २००० वर्षों से ज्यादा पुराना स्वर्णिम इतिहास है एवं इस भाषा में अनेक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कवि, साहित्यकार एवं रचनाएँ हुई हैं।

५। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी राजस्थानी भाषा को हिन्दी से अलग मान्यता प्रदान की है। जोधपुर एवं उदयपुर विश्वविद्यालय तथा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान ने राजस्थानी को १९७३ से अलग विषय के रूप में पाठ्य क्रम में अपनाया है।

६। अमेरीकन व्हाइट हाउस ने भी मारवाड़ी (राजस्थानी) को अंतर्राष्ट्रिय भाषा के अधीन नामांकित कर रखा है।

७। राजस्थान विधान सभा ने भी २००५ में राजस्थानी को मान्यता प्रदान करने के लिए सर्वसम्मति से केन्द्रीय सरकार को ज्ञापन भिजवा दिया था

८। समय समय पर देश एवं विदेश की विभन्न संगठनो, साहित्यिक संस्थाओं एवं साहित्यकारों ने राजस्थानी को मान्यता प्रदान करने का अनुरोध  किया है।

संक्षेप में, राजस्थानी भाषा को मान्यता प्रदान कर राजस्थानियों के आत्मसम्मान एवं गौरव को प्रतिष्टिथ करना सरकार का उत्तरदायित्व भी है और हमारी आप से अपेक्षा भी। राजस्थानी को मान्यता प्राप्त होने से हम अपनी पहचान, संस्कार एवं संस्कृति को भी बचा पाएंगे।


आशा है मोदी सरकार आप इस विषय पर ध्यान देगी  एवं हमारी भाषा के साथ न्याय करेगी।

बुधवार, 25 फ़रवरी 2009

राजस्थानी भाषा - ओबामा द्वारा राजस्थानी भाषा को मान्यता


हाल के अखबारों में एक समाचार छपा - ओबामा ने अमेरिका में सरकारीनौकरियों के लिए १०१ भाषओं को मान्यता प्रदान की है। इनमें भारत की लगभग२० क्षेत्रीय भाषाओँ को जगह मिली है। इनमें अवधी, भोजपुरी, छत्तीसगडी, हरियाणवी, मगधी तथा मारवाड़ी शामिल हैं जिन्हें Indian Constitution के 8th Schedule में शामिल नहीं किया गया है।

राजस्थानी भाषा के चुने जाने पर राजस्थानी प्रचारणी सभा के अध्यक्ष भाई श्रीरतनजी शाह ने अपनी खुशी जताई एवं सन्मार्ग ने अपने अख़बार में इसे जगहदी। राजस्थानी भाषा काफी समृद्ध है। आवश्यकता है इसके समुचित प्रचार एवंप्रसार की। हमें अपनी भाषा से प्यार करना आना चाहिए। अगर हम अपनी भाषाएवं संस्कृति को नहीं बचा सकते तो एक दिन हम मिट
जायेंगे।