शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

रहस्य

किसी भले इंसान ने मुझे रॉन्डा बर्न (Rhonda Byrne) की पुस्तक द सीक्रेट (The Secret) पढ़ने का सुझाव दिया था। लेकिन उस समय मैं अनसुनी कर गया। लेकिन फिर जब श्रीअरविंद आश्रम की पुस्तकालयाध्यक्षा ने इसका हिन्दी संस्करण मेरे हाथ में थमाया,  तब मैं अनसुनी नहीं कर पाया; और जब मैंने पढ़ना प्रारम्भ किया तब लगा कि मैं एक और आत्म-विकास की पुस्तक पढ़ रहा हूँ। लेकिन जैसे-जैसे पन्ने पलटते गए विचार में परिवर्तन हुआ और लगा कि यहाँ आध्यात्म के मार्ग से ही आत्म-विकास की चर्चा है। 

पुस्तक के ऊपरी आवरण पर छापा था-एक महान रहस्य के अंश पुराने काव्य, साहित्य, धर्मों, दर्शनों में सदियों से मौजूद हैं। रहस्य के ये सभी अंश पहली बार इकट्ठे होकर अविश्वसनीय रूप में सामने आ रहे हैं, इस रहस्य का ज्ञान और अनुभव सभी लोगों के जीवन का कायाकल्प कर सकता है।... रहस्य में आधुनिक युग के उपदेशकों का ज्ञान भी शामिल है, जिन्होंने इसका प्रयोग सेहत, दौलत और सुख हासिल करने में किया है।”

मेरी इस पुस्तक को पढ़ने की उत्सुकता और बढ़ गई जब मैंने प्रस्तावना में पढ़ा :-

मुझे अचानक एक महान रहस्य, जीवन के रहस्य की झलक मिली। झलक - सौ साल पुरानी एक पुस्तक में मिली, जो मेरी बेटी हेली ने मुझे दी थी। इसके बाद मैंने इस रहस्य को इतिहास में टटोला। मैं यह जानकर हैरान रह गई कि बहुत से लोगों को इस रहस्य का ज्ञान था। वे इतिहास के महानतम व्यक्ति थे: प्लेटो, शेक्सपियर, न्यूटन, ह्यूगो, बीथोवन, लिंकन, इमर्सन, एडिसन, आइंस्टीन। हैरानी से मैंने खुद से पूछा, “हर इंसान यह रहस्य क्यों नहीं जानता है?”

तब एकबारगी मुझे लगा कि लेखिका एक रहस्य तैयार कर रही है ताकि पुस्तक बिके। लेकिन मन में शंका बनी रही और मैं पन्ने पलटता चला गया। जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ता गया मुझे इसमें विज्ञान और साहित्य के दर्शन होने लगे, विलियम शेक्सपियर, रॉबर्ट ब्राउनिंग और विलियम ब्लेक ने इसे अपनी कविता में सिखाया है। लुडविग वैन बीथोवन जैसे संगीतकारों ने इसे अपने संगीत में व्यक्त किया है। लियोनार्दो द विंची ने इसे अपनी पेंटिंग्स में उकेरा है। सुकरात, प्लेटो, रैल्फ़ वाल्डो इमर्सन, पाइथैगॉरस, सर फ्रांसिस बेकन, सर आइज़ैक न्यूटन, जोहानन वोल्फ़गैंग वॉन गेटे और विक्टर ह्यूगो ने इसे अपनी लेखनी और दर्शन में व्यक्त किया है। इसी कारण उनके नाम अमर हैं। और उनकी महानता सदियों बाद भी कायम है।

यह रहस्य हिंदू धर्म, हर्मीटिक परंपराओं, बौद्ध धर्म, यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम में मौजूद है। यह बैबिलोन और मिस्त्र की प्राचीन सभ्यताओं की लेखनी और कहानियों में व्यक्त हुआ है। यह नियम युगों-युगों से कई रूपों में व्यक्त होता आ रहा है और इसे सदियों पुराने प्राचीन ग्रंथों में पढ़ा जा सकता है। इसे 3000 ईसा पूर्व पत्थर पर उकेरा गया था। हालाँकि कुछ लोग इस रहस्य के ज्ञान को हासिल करना चाहते थे और उन्होंने इसे सचमुच हासिल भी कर लिया है, लेकिन यह हमेशा मौजूद था और कोई भी इसे खोज सकता था।

और फिर मुझे विज्ञान भी मिला, “आप एक क्वांटम फ़िज़िसिस्ट के पास जाकर पूछते हैं, "यह दुनिया किस चीज़ से बनी है ?" वह जवाब देगा, “ऊर्जा से।ऊर्जा का वर्णन करें। इसे बनाया या नष्ट नहीं किया जा सकता, यह हमेशा थी, हमेशा रही है, हर चीज़ जो विद्यमान थी हमेशा विद्यमान होती है, यह आकार में, आकार द्वारा और आकार के बाहर बदलती रहती है।"

आप किसी धर्मशास्त्री के पास जाकर सवाल पूछते हैं, "ब्रह्मांड किसने बनाया?” वह जवाब देगा, “ईश्वर ने।" ईश्वर का वर्णन करें। "हमेशा था और हमेशा रहेगा, कभी बनाया या नष्ट नहीं किया जा सकता। जो हमेशा था, हमेशा रहेगा, आकार में, आकार द्वारा और आकार के बाहर बदलता रहेगा।"

वैज्ञानिक पहली उक्ति को समझते हैं और एक आध्यात्मिक दूसरी को। लेकिन दोनों में फर्क क्या है? यह कोई तार्किक शायद समझता होगा और तर्क से समझा भी देगा। लेकिन हम यह भी समझते हैं कि एक व्यावहारिक के लिए दोनों एक ही है। “वर्णन वही है, बस शब्दावली अलग-अलग हैं। आकर्षण का नियम नैसर्गिक नियम है। यह निष्पक्ष है और अच्छी या बुरी चीज़ों में भेद नहीं करता है। यह आपके विचारों को आपके जीवन में साकार कर देता है। आप जिस भी बारे में सोचते हैं, आकर्षण का नियम आपको वही देता है।

“पिछले अस्सी सालों में क्वांटम भौतिकशास्त्रियों के आश्चर्यजनक कार्यों और खोजों के कारण अब हम मानवीय मस्तिष्क की असीमित सृजनात्मक शक्ति को ज़्यादा अच्छी तरह समझ चुके हैं। उनके निष्कर्ष विश्व के महानतम चिंतकों के शब्दों के अनुरूप हैं, जिनमें कारनेगी, इमर्सन, शेक्सपियर, बेकन, कृष्ण और बुद्ध शामिल हैं।”

“आप ईश्वर का शारीरिक रूप हैं। आप मांस नहीं, आत्मा हैं। आप शाश्वत जीवन हैं, जो ख़ुद को आपके रूप में प्रकट कर रहा है। आप ब्रह्मांडीय जीव हैं। आप समूची शक्ति हैं। आप समूचा ज्ञान हैं। आप समूची प्रज्ञा हैं। आप पूर्ण हैं। आप भव्य हैं। आप रचयिता हैं और इस ग्रह पर अपनी रचना कर रहे हैं।

हर धार्मिक परंपरा में बताया गया है कि आपको रचनात्मक स्रोत की छवि में रचा गया है। इसका मतलब है कि आपमें ईश्वर की क्षमता और शक्ति है। आपमें अपना संसार रचने की पूरी शक्ति है।”

हर आत्म-विकास, आध्यात्मिक, धार्मिक पुस्तक में ऐसे एक नहीं अनेक रहस्यों की चर्चा रहती है। बल्कि इतने रहस्य रहते हैं कि आम आदमी उस भूल-भुलैया में खो जाता है। लेकिन यहाँ लेखिका ने एक, केवल एक रहस्य कि चर्चा की है। लेखिका ने रहस्य बताया है, उसे कैसे साधना है - यह भी बताया है। उसने यह भी बताया है कि  हम कहाँ-कहाँ और क्या गलतियाँ करते हैं और उनसे कैसे बचना है? लोगों ने कैसे इस पर अमल किया और उन्हें कैसे-क्या मिला! अगर आपको नहीं मिल रहा है तो इसके संभावित कारण क्या हो सकते हैं? इन सब की विस्तार पूर्वक चर्चा की है। इन कारणों से यह पुस्तक आम पुस्तकों से जरा अलग है। सही बात तो यह है कि यह पुस्तक पढ़ने के लिए नहीं बल्कि अभ्यास करने के लिए है। 

आप जानने के लिए उत्सुक हैं कि आखिर वह सीक्रेट क्या है? मैं उस रहस्य को क्यों नहीं बता रहा हूँ। किसी जासूसी पुस्तक, फिल्म या टीवी सिरियल में उत्सुकता तब तक ही बनी रहती है जब तक इस रहस्य का पता नहीं चलता। जहाँ रहस्य प्रकट हुआ उत्सुकता समाप्त हुई। लेकिन फिर भी मैं उसे ऊपर लिख चुका हूँ, खोजिये! मिला? अगर नहीं तो पुस्तक पढ़िये।

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