शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

सफलता के लिये, सुधारें जिद्दी आदतें

 (अगर सुधरना चाहते हैं तो केवल पढ़ें नहीं बल्कि गोलें, और आत्म-विश्लेषण करते चलें। आपकी जानकारी के लिये मैंने अपना निष्पक्ष आत्म-विश्लेषण डालने की कोशिश की है। इस आशा से कि शायद आपको भी कोई रास्ता सूझ जाये। शुभ कामनाओं सहित, शायद आपकी भी  कुछ जिद्दी आदतें सुधर जायें? प्रस्तुत आलेख के लेखक हैं सारस्वत रमेश और छापा था अहा! जिंदगी ने।)

कभी-कभी हमारी छोटी-मोटी आदतें हमारे लिये मुसीबत का कारण बन जाती हैं। अपनी आदतों को हम ठीक तरह से समझ नहीं पाते, उनकी वजह से दूसरों को कितनी दिक्कत हो रही है यह समझना तो दूर रहा। तो आइये, ज़िंदगी प्रभावित करने वाली जिद्दी आदतों को बदलने की कोशिश करते हैं.......  

१। शिकायत करने की आदत

किसी के काम में नुक्स निकालने, शिकायत करने की आदत आम है। तुमने काम ठीक से नहीं किया, देर से किया, खाना अच्छा नहीं बनाया.......। अधिकतर लोगों को घर-परिवार, दोस्त या घरेलू सहायकों से इस तरह की शिकायत अक्सर रहती है। ऐसे शिकायती मिजाज के लोग सिर्फ एक दिन के लिये पत्नी, पति या घरेलू सहायिका का किरदार निभाएँ। उनकी सारी जिम्मेदारियों को अपने सिर पर लेकर देखें। फिर खुद से सवाल करें – क्या सारे काम मैंने कुशलता पूर्वक कर लिये? क्या कोई ऐसा काम न था, जिसमें किसी ने शिकायत न की हो या किसी को शिकायत हो सकती हो? आपसे भी दस गलतियाँ हो सकती हैं।

        ओशो कहते हैं – ऐसा मत सोचना कि शिकायत तुमसे न होगी, जीसस जैसे परम पुरुष से भी शिकायत हुई थी। यकीन मानिये, इसके बाद ये आदतें छू-मंतर हो जायेंगी।

(आत्म-विश्लेषण – हाँ, मैं इस आदत से ग्रस्त हूँ। शिकायत करने की जबर्दस्त आदत है। कई बार निश्चय किया कि अब बहुत हुआ, आगे से नहीं। पहले से बहुत कमी आई है, लेकिन फिर भी शिकायत करने में लग जाता हूँ। परेशान तो हूँ लेकिन इससे मुक्ति कैसे मिले? लेखक ने सुझाया तो है, लेकिन दूसरे उपाय भी तो होंगे? आप के पास हैं! वैसे अब लंबे समय तक आश्रम में रहने से लगता है कुछ बदलाव आया है।)  

२। भोजन बर्बाद करने की आदत -

खाने की प्लेट में जूठन छोड़ना लोगों की आदत में शुमार होता है। ऐसे लोगों को अपनी पसंदीदा साग-सब्जी, अनाज या फल में से किसी एक का चुनाव करना चाहिए। फिर उसे अपने कीचन गार्डेन में उगाना चाहिये। जब वे किसी साग, सब्जी या फल को अपने हाथों से उगाएँगे तो उन्हें पता चलेगा कि किसी चीज को उगने, बढ़ने, फलने, फूलने में कितना समय लगता है। कितनी देखभाल करनी पड़ती है। कितने धैर्य की जरूरत होती है।

        जरा सोचें, कितने ही लोग हैं जिन्हें दो जून का खाना भी मयस्सर नहीं होता। और एक हम हैं जो गाहे-बगाहे खाना बर्बाद कर रहे हैं। यह अहसास होते ही हम खाने की कीमत समझने लगेंगे। और बर्बाद करने की हमारी आदत छूट जायेगी।

(आत्म-विश्लेषण – याद आता है कि बचपन में जूठन छोड़ने की आदत थी। लेकिन कालांतर में यह आदत कब-कहाँ-कैसे  छूट गई याद नहीं। अब कभी जूठन नहीं छोड़ता। भोजन-तो-भोजन, ध्यान रखता हूँ कि पानी भी न छोड़ना पड़े।)   

३। गुस्से की आदत

 छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाना आम बात है। कई बार इसका बुरा नतीजा भुगतना पड़ता है। अगर आपको भी गुस्सा आता है तो नागवार लगने वाली बात पर तुरंत प्रक्रिया देने से बचें। मौन खुद पर नियंत्रण रखने की प्रभावकारी विधा है। मौन से मन शांत और उर्वर होता है। रचनात्मक विचारों के बीज अंकुरित होते हैं। मौन रहकर आप बेकार की बातों से निजात पा रहे होते हैं।

        अपने गुस्सैल स्वभाव को बदलने के लिये आप हफ्ते या महीने में एक दिन मौन रहने का प्रयोग करिये। सहमति-असहमति को भूलकर तटस्थ हो जाइये। खुद को क्रोध की गिरफ्त से मुक्त होता हुआ महसूस कीजिये।

(आत्म-विश्लेषण – पहले गुस्सा नाक पर ही चढ़ा रहता था। बहुत प्रयत्न करने पर पहले से काफी कम हुआ है। ऊपर सुझाए गये उपाय पर पहले से ही अमल करता हूँ। फिर भी क्रोध आ ही जाता है। कहते हैं – क्रोध आ जाता है तो सब नसीहत भूल जाते हैं, गुरुजी का कहना है नहीं, दरअसल भूल जाते हैं तब क्रोध आता है। प्रयत्न जारी है, शायद और कमी आए या मुक्ति मिल जाये। मेरे प्रयास में  मौन एक कारगर हथियार सिद्ध हुआ है।) 

४। फालतू  खरीदने की आदत

कइयों को जरूरत से ज्यादा खरीदने की आदत होती है। चीजें भरी रहती हैं। कपड़े, जूते, बर्तन, अलमारियाँ, सुटकेस, शूकेस, गहने के बक्से, बर्तन स्टैंड...... हर जगह चीजें इतनी हैं, जिसकी कोई थाह नहीं। फिर भी हर रोज कुछ नये की खरीददारी से बाज नहीं आते। ऐसी खरीददारी को लोग शान से जोड़ते हैं। आजकल के युवाओं में शॉपिंग जरूरत से बढ़कर फैशन और दिखावा बन चुका है।

        लेकिन क्या आपने कभी सोचा है हमारी अति ने धरती के संसाधनों का क्या हश्र किया है? अपनी फिजूलखर्ची से हम हर वर्ष कितना कचरा पैदा कर रहे हैं। कितना जल प्रदूषित हुआ। कितने पेड़ काटे गये। कितने जानवरों की खाल उधेड़ी गई। कितना धुआँ निकलकर हवा में मिल गया?

(आत्म-विश्लेषण – पहले  शॉपिंग का काफी शौक था। ईश्वर की दया से अब बंद सा हो गया है। अब तो यह ठान चुका हूँ कि कुछ भी खरीदते हैं तो घर से कम-से-कम वैसी ही एक वस्तु निकालते हैं और जरूरत मंद को देते हैं। इससे भी खरीददारी पर प्रभाव पड़ा है और दान भी दिया जाता है।)  

५। काम टालने की आदत

काम टालने की आदत हमें आलसी बनाती है। यह सफलता के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा है। इससे न केवल काम रुकते हैं, बल्कि हमारी तरक्की का मार्ग भी धीरे-धीरे अवरूद्ध होने लगता है। चीजों को टालते जाना और अंत में उसे स्थगित कर देना हमारी दिनचर्या में शामिल हो जाता है। ऐसे लोगों को एक दिन के लिए कोई ऐसा काम चुनना चाहिये जिसमें जमकर शारीरिक मेहनत हो।

        पूरे दिन काम करने के बाद रात को अपनी डायरी में लिखिये कि आज आप कैसा महसूस कर रहे हैं। और जब आप सोने जाएँ तो सुबह उठकर रात की नींद के बारे में महसूस करें कि ऐसी सुखद नींद पहले आपको कब आई थी।

(आत्म-विश्लेषण- रोज प्रात: घूमते हुए पूरे दिन का काम और उसका क्रम निश्चित करता हूँ। इससे मन और शरीर दोनों उसके लिए तैयार हो जाते हैं और अपने आप मुझे एक के बाद दूसरे काम में ठेलते रहते हैं। कई लोग तो इस कारण मुझसे परेशान भी रहते हैं कि मैं बड़ा रूटीन वाला आदमी हूँ, सब याद रहता है, काम-काम-और-काम।)  

यकीन मानिये अगर हमने इन छोटे-छोटे बदलावों को अपनाया तो जिंदगी में खूबसूरती का एक नया सवेरा होगा। तो फिर देर किस बात की? आज से शुरू करें अपनाना, आजमाना।

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