शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

जीने का सलीका, मरने का तरीका

  यह जीवन एक चक्र है जो आरंभ हुआ है तो पूरा भी होगाबचपन के बाद किशोरावस्था, युवावस्था के पश्चात प्रौढ़ावस्था और उसके बाद वृद्धावस्था। ये वर्तुल है जो सबको देखना है। यह उम्र हमारी कड़ी परीक्षा लेता है क्योंकि शरीर कमजोर पड़ रहा है, कान बढ़ गई है, उदासी घेर रही है, आत्म-विश्वास की कमी हो रही है, कमाई-धमाई बंद हो चुकी हैशारीरिक कष्ट बढ़ रहे हैंबीमारी, घुटनों में दर्द, कमर में जकड़न, पेट साफ न होना, नींद न आना, याददाश्त कमजोर होना, कम दिखना, कम सुनाई पड़ना जैसी अनेक समस्याएँ हैं। इनके साथ-साथ इस उम्र में एक और बड़ी समस्या रहती है कि अपना समय कैसे व्यतीत करें? लोगों की नजरें भी बदली-बदली दिखाई पड़ती हैं, उपेक्षा होती है, मान-सम्मान कम होता दिखाई पड़ता है।

          हमारी कच्छाएँ और अभिलाषाएं, अपना पेट भरने की तलाश में अधूरी रह गई थी, उन्हें पूरा करने का यह सबसे माकूल समय है। इस उम्र में अब आप दबावमुक्त है, स्वतंत्र हैआपके पास समय ही समय है, अपने मन की धूरी आस पूरी कर डालिए, और युवा पीढ़ी को मुक्त कीजिये, उन्हें स्वतन्त्रता दीजिये। संगीत सीखना चाहते थे या गाना, फोटोग्राफी करना चाहते थे या पेंटिंग, कविता लिखना चाहते थे या लेख, बागवानी करना चाहते थे या खेती, व्यापार करना चाहते थे या नौकरी, तीर्थ करना चाहते थे या विश्व भ्रमण, परिवार की देखरेख करना चाहते थे या जनसेवा अपने मन का कर डालिए, अच्छा मौका है। यह अवसर अधिक दिन के लिए नहीं मिला है क्योंकि आपके पास समय कम है। कुछ पता नहीं आप कब कुछ भी करने लायक न रह जाएँ या दूत बुलाने आ जाए। यह जरा भी न सोचें कि इस उम्र में अब नया क्यों प्रारम्भ करें? जैसे-जैसे आप की उम्र बढ़ेगी आपकी उम्मीद भी बढ़ेगी, यही आपको दुख पहुंचायेगी। अब खुद से और दूसरों से भी उम्मीद करना बंद करिए। लेकिन अगर अपने मन की करने में लग गए तब उम्मीद बढ़ाने का समय ही नहीं मिलेगा। इस उम्र में आपको कोई पहचान ले, जो जितना कर दे, उतना बहुत है। सारा संसारिक व्यवहार, उपयोगिता पर आधारित हैयदि आपकी उपयोगिता समाप्त हो गई है तो चुप बैठिए या जैसा संभव हो, खुद को उपयोगी बनाइएआपके आसपास अब आपको खुशियाँ खोजनी होंगी, खोजिएआनन्द सब तरफ बिखरा हुआ है, अपना नजरिया बदलिए, बहुत कुछ नया दिखाई पड़ेगा। टीका टिप्पणी करने की सोच और बोल आपके लिए अब घातक हैइस आदत को तुरंत फुल स्टॉप कर दें, अन्यथा आपका शेष जीवन जीना दूभर हो जाएगा, अब आपका रुबा नहीं चलने वाला। जैसा बचपन था, जवानी थी, वैसा ही यह बुढ़ापा हैजीवन का सर्वाधिक महत्ववाला हिस्सा, इसे तटस्थ होकर देखिए कि यह कैसा गुजर रहा है। असुविधा और तकलीफों पर नजर गड़ाए रखेंगे तो वे आपके दिमाग पर हावी रहेंगे, आपका चैन छीन लेंगेजो हो रहा है, वह सही है की सोच बनाये, तब ही आपका मन शांत रहेगा वरन नये जमाने का  व्यवहार, बातचीत, आदतें और वेषभूषा आपको ये सब तकलीफ देने वाले हैं। नया जमाना अपने ढंग से चलेगा, आपके कहने से नहीं। उन्हें अपना काम करने दें, आप अपना काम करें।

          आपके पास सबसे प्रबल विकल्प है आपका दीर्घ अनुभवइस अनुभव का उपयोग खोजेंअब आप युवा नहीं है, इसे समझते हुए अपनी क्षमता और योग्यता का आकलन करके उसके अनुरूप काम खोजिए। आप नई पीढ़ी को बहुत कुछ सिखा सकते हैं। उन्हें बहुत कुछ देकर जा सकते हैं, बच्चों को पढ़ा सकते हैं, उनके साथ खेल सकते हैं, खेल सिखा सकते हैं, गरीब और बेसहारा लोगों के लिए सहारा बन सकते हैं, लेकिन उन्हें मछली खिलाकर पुण्य न कमाएं बल्कि मछली पकड़ना सिखाएं। अपने जीवन के जीवनोपयोगी अनुभवों को लिख डालिए। धार्मिक, समाज-सेवी, साहित्यिक संस्थाओं से रुचि अनुसार जुड़िये और अपन बहुमूल्य समय तथा अनुभव उनसे साझा कीजिये।

          स्वयं स्वस्थ रहें और दूसरों को स्वस्थ रहने के उपाय सिखाएं, व्यायाम और योग से जोड़ें, उन्हें खानपान की अच्छी आदतों से जोड़ें, मोहल्ले के बच्चों और युवाओं से दोस्ती बनाएं और निभाएं, यह बहुत रोचक काम है। लायब्रेरी से जुड़ें और विविध विषयों पर नई जानकारियाँ लें और उन्हें युवाओं में वितरित करें। इस बात का सदैव ध्यान रखें कि आपके पास समय ही समय है लेकिन शेष लोगों के पास नहीं है, इसलिए उनके समय के महत्व को समझते हुए उन पर बोझ न बनें अन्यथा लोग आपसे बिकने लग जाएंगे और आपको देखते ही मन ही मन में कहेंगे ‘बुढ़ऊ आ गया दिमाग चाटने’।

          अगर आपको रुचता हो तो घर के काम सम्भालना आरम्भ करें। सुबह जागने के बाद बिस्तर, चादर, रजाई, कम्बल और मच्छरदानी अपने हाथों समेटें। अपने हाथ से सुबह की चाय सबके लिए बनाएं ड्राइंगरूम को व्यवस्थित कर दें, लेकिन शान्तिपूर्वक किसी को बाधा न हो। अन्यथा, सुबह सैर के लिए निकल सकते हैं, किसी सार्वजनिक स्थान में जाएं और नये लोगों से पहल करके मित्रता स्थापित करें, व्यायाम करें, चर्चा में भाग लें और प्रकृति की खूबसूरती को निहारें, दोनों हाथों को आकाश की ओर उठाकर खुद में उसकी विशालता को समेटने का प्रयास करें और दृश्यमान देवता सूर्य को प्रणाम करें। अपने काम खुद करने का प्रयास करें, किसी पर बोझ न बनें बल्कि सहायक बनने का उपक्रम करेंयाद रखिए, आपका शरीर तनिक वृद्ध हो चला है, मन अभी युवा है, उसकी ताजगी बनाए रखें लेकिन सतर्कता के साथहर समय मुस्कुराने की आदत बना लें तो आप भी खुश और दूसरे भी

          अंत में, मृत्यु के स्वागत के लिए हर समय तैयार रहें। आप अपनी पारी खेल चुके, अब नये लोगों को मौका देना है। मृत्यु का आगमन एक सुखद अंत है, इस कष्टप्रद शरीर का शरीर से मुक्त होना अपने जन्म से मुक्त होना है, वर्तुल तो पूरा होगा, होने दीजिये, जो आप कर सके, वह आपने कर लिया अब मुक्ति के आगमन के उत्सव को मनाने की तैयारी में भिड़ जाएँ।


         

सद्गुरू जग्गी वासुदेव ने कहा है आप जीवन में जो भी काम करते हैं उनमें मरना सबसे आखिरी काम है और इसे आप एक ही बार कर सकते हैं। दूसरे सब कार्य आप कई बार कर सकते हैं लेकिन आप एक ही बार मर सकते हैं इसलिए यह काम तो आपको विशेष तरीके से हँसते-खेलते प्रसन्नता से करना चाहिए। यह बड़ा महत्वपूर्ण है, आपको मरने का काम विशेष तरीके से हँसते-खेलते प्रसन्नता से करना चाहिए।

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यूट्यूब  का संपर्क सूत्र à

https://youtu.be/ep6IDbnYDC8

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत बढ़िया संदेश 🙏

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-12-22} को "दरक रहे हैं शैल"(चर्चा अंक 4625) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा

Meena Bhardwaj ने कहा…

प्रेरक संदेश देता सुन्दर सृजन ।

Abhilasha ने कहा…

प्रेरक चिंतन परक सुन्दर सन्देश देता सृजन

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सटीक सारगर्भित एवं प्रेरक लेख ।

Onkar ने कहा…

बहुत बढ़िया