रेल एवं हवाई जहाज से तो आपने बहुत यात्रायें की
होंगी, लेकिन क्या गाड़ी से भी लंबी यात्रायें की हैं? अपनी गाड़ी से यात्रा करने का
आनंद ही कुछ और है. लेकिन हाँ, गाड़ी की यात्रा आवश्यक नहीं की आरामदायक हो. यह एक
साहसपूर्ण, जोखिम भरा लेकिन आनंददायक है.
अगर मुझसे पूछा जाये और मेरे लिए संभव हो तो मैं सभी
यात्रायें गाड़ी से ही करूं. गाड़ी की यात्रा में मुझे सबसे बड़ा खलनायक लगता है – ड्राईवर. अत: सबसे अच्छा हो अगर
गाड़ी मैं खुद चलाऊं और साथ में कम से कम एक और चालक हो. ड्राईवर के रहने और न रहने
की अपनी अपनी अलग अलग खामियां एवं अच्छाइयां हैं. लेकिन ड्राईवर को हर समय जल्दी
रहती है, मूड के अनुसार रोकना, घुमाना, धीरे चलाना उसे पसंद भी नहीं और ये सब दिशा
निर्देश देना भी हर समय संभव नहीं होता है. अत: ऐसे प्राणी का साथ न होना ही अच्छा
है.
मैं जब गाड़ी से यात्रा पर निकलता हूँ तब यह निश्चित
करता हूँ की मुझे गंतव्य स्थल पर पहुंचने की कोई जल्दी नहीं है तथा शहर की लाल
बत्तियों को पार करते ही हमारा भ्रमण प्रारंभ हो जाता है. गाड़ी के सफर का आनंद
लेने के लिए कुछेक आवश्यक बातें.
प्रथम : समय एवं दूरी का लक्ष्य बहुत कम यानि आसान
रखें. इससे न तो गाड़ी तेज भगाने की आवश्यकता होगी और न ही रास्ते के आनंद को
नजरअंदाज करने की.
द्वितीय : रास्ते में जब, जहाँ, जितनी देर रुकने की
इच्छा हो बिना हिचकिचाहट के रुकें, आनंद लें और फिर आगे बढ़ें. कहीं मैंदान में
बच्चे क्रिकेट या फुटबल खेल रहें हों और आपको भी अपने हाथ या पैर आजमाने का मन हो
तो क्या हर्ज है. हो जाय दो दो हाथ या पैर. हरे भरे खेतों में टहलने का या पहाड़ी
पर चढ़ने का या इनके साथ फोटो सेशन करने का मन हो या फिर केवल ठंडी हवा लेने का, अवश्य
लें. गाड़ी भी आपकी, गार्ड भी आप और चालक भी आप. न किसी से पूछने जरूरत है और न
विचार करने की आवश्यकता? मवेशियों का झुण्ड मिल जाये तो उनके बीच खड़े होकर फोटो
खिचवाना न भूलें. पता नहीं फिर कभी मौका मिले या न मिले. सर नीचे और पैर ऊपर या
दुर्घटनाग्रस्त अवस्था में कोई गाड़ी मिले तो वहाँ तो ग्रुप फोटो होना ही चाहिए.
देर होने की चिंता न करें. हमने पहले ही लक्ष्य आसान रखा है, आराम से पहुँच
जायेंगे.
तृतीय : खाने का ज्यादा सामान साथ न लें. वही खाना है
जो रोज खाते हैं तो भ्रमण पर जाने की
दरकार ही क्या है? टेबुल कुर्सी लगी होटल में न घुसकर खाट वाले ढाबे में घुसें
जहाँ छायेदार पेड़ हों. वहाँ कम से कम पांच मिनट खटिया पर चुपचाप लेट कर आसमान को
निहारें. आपको महसूस होगा की बहुत ज़माने से आपने असमान को देखा ही नहीं है. उस
छाँहदार पेड़ के नीचे ठंडी हवा का झोंका आपको स्वर्ग का अहसास दिलाएगा. मैं तो कई
बार गर्मी के मौसम में ढाबे के कुँए पर बैठ कर ठन्डे पानी से नहाने का भी मजा ले चुका
हूँ. रस्ते में बाज़ार से ताजे फल या सलाद का सामान खरीदना, वहीँ धोना, काटना और
चलती गाड़ी में खाना. बताने की नहीं अनुभव की चीज है. तेज गति से गाड़ी जा रही हो और
अचानक झालमूढ़ी या गन्ने का रस दिखा लेकिन गाड़ी रोकते रोकते आगे निकल गई, रिवर्स
गीयर का प्रयोग करें, सोच विचार न करें.
चतुर्थ : गाड़ी में बच्चों के लिए चॉकलेट, टोफ़ी,
बिस्कुट, पेंसिल, कॉपियां, नए पुराने कपड़े, चद्दर, गमछे आदि साथ रखता हूँ. बच्चों
एवं गरीब बस्तियों में इन्हें बांटना नहीं भूलता. संतोष, सुकून एवं आनंद तीनों
मिलते हैं.
कुछ आवश्यक हिदायतें. रास्ते में आपात स्थितियों में
क्या करना है – जैसे
गाड़ी का खराब होना, दुर्घटना होना, बीमार पड़ना आदि तो क्या करना है, यह पहले से
निश्चित होना चाहिए औए कम से कम दो व्यक्तियों को मालूम होना चाहिए. इसका अर्थ यह
है कि किसे संपर्क करना है उसका नाम तथा फोन नंबर दोनों होने चाहिए और यह मालूम
होना चाहिए की उनसे क्या और कैसी सहायता मिल सकती है. इन्टरनेट के इस युग में यह
काम हम घर बैठे आसानी से कर सकते हैं. उदाहरणार्थ अगर हम मारुति गाड़ी में जा रहे
हैं तो रास्ते में कम्पनी के सब वर्कशोप्स की पूरी जानकारी उनके टेलिफोन नंबर सहित
होने चाहिए साथ ही मारुति का टोल फ्री नंबर भी होना चाहिए – कम से कम दो व्यक्तियों के फोन
में. अपनी पूरीधाम यात्रा के दौरान इन सूचनाओं के कारण हमें काफी सहूलियत रही.
हमारे पास रास्ते का मैप होना चाहिए. जी.पी.एस. हो तो और अच्छा है. रास्ते के सहायता
केंद्र के नाम और फोन नंबर भी होने चाहिए जैसे अस्पताल, थाना, परिचित आदि. निकलने
से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि कम से कम दो व्यक्तियों के पास ये सूचनाएं है.
अभी चल रहे माहौल में एक और घटना घाट सकती है – माओ, नक्सल या तालिबान अपहरण कर
लें. चिंता मत कीजिये, क्योंकि आप हिम्मत रखने के आलावा और कुछ नहीं कर सकते, जो
भी करना है वही करेंगें और छूट कर वापस आ गए तो आपको पता चलेगा कि मिडिया ने आपको
हीरो बना दिया है.
इतना कुछ कह गया, आप उत्सुक होंगे यह जानने के लिए कि
आखिर हम जा कहाँ रहे हैं? कहीं भी जा रहे हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. अगर साथी मन लायक हो तो जंगल में भी मंगल है,
अन्यथा मंगल में भी जंगल. खैर आपको जसीडीह यात्रा के बारे में बता दूं.
घर से निकल कर सबसे पहले एल्गिन रोड या थियेटर रोड
पर गर्म गर्म चाय की चुस्की लीजिए साथ में समोसा, गाठिया, निमकी, जलेबी जो मन करे,
से अपना उपवास तोड़िये. कोना एक्सप्रेस पकड़ कर एकदम सीधे पुल पर चढ़ कर दाहिने
दिल्ली रोड यानि एन.एच.२ पकड़ लीजिए. वातानुकूलित जलपान गृह चाहिए तो करीब ६०
कि.मी. पर बी.पी.सी.एल. पेट्रोल पम्प पर “देस्तिनेसन” में गर्म गर्म नास्ता कीजिए. वैसे मेरी सलाह माने तो यहाँ लौटते समय रुकिए. और थोडा आगे करीब १००
कि.मी. पर शक्तिगढ़ के नजदीक गर्म गर्म लैंग्चा, लुच्ची और चना दाल की सब्जी का
आनंद लीजिए. आगे पानागढ़ पार करते ही दाहिनी तरफ इल्लमबाजार कि ओर घूम जाइये. चौड़ी
सपाट सड़क, लंबे घने छायादार पेड़ आपकी आँखों को हरा, काया को शीतल तथा मन को लुभा
लेंगे. इल्लमबाज़ार से अगर आप सीधे निकल गए तो सिर्फ २० कि.मी. पर स्थित है
कविन्द्र रविन्द्र का शांतिनिकेतन. आप एक रात “मार्क एंड मिडोज” या “छुटी” में ठहर सकते है. नहीं तो
इल्लमबाज़ार से बाएँ ४० कि.मी. दुबराजपुर की तरफ बढ़ जाइये. दुबराजपुर से सिर्फ १३
कि.मी. पर स्थित है बकरेश्वर का गर्म पानी का झरना.अगर जाड़े का मौसम है तो स्वच्छ
गर्म पानी में स्नान कर तरोताजा हो कर आगे बढ़ जाइये, सूरी की तरफ. सूरी पार कर आप
पहुँच गए तिलपारा बैरेज पर. यहाँ से सीधे निकल गए तो ४४ कि.मी. पर है
तारापीठ.सच्चे मन से दर्शन कीजिये, पूजा कीजिये और मन हो तो एक रात आराम कीजिये.
अन्यथा तिलापारा से बाएं घूम जाइये ७० कि.मी. दूर दुमका कि तरफ. ध्यान रखिये इस
रास्ते में कोई पेट्रोल पम्प नहीं है तथा कई बस्तियों से गुजरना है.. ३५ कि.मी. पर
मेस्सेंजोर के बांध से आप बच नहीं पायेंगें. ठहरिये, झाल मूड़ी खाइए, बोटिंग
कीजिये, बल्कि मैं तो कहूँगा डाक बंगलो में एक रात रुकिए. रात को तारों से भरा
आस्मां और सुबह झील के किनारे ठंडी बयार का सुख लेने के बाद आगे बढिए. यहाँ से निकल
कर दुमका, जामा मोड, त्रिकूत पर्वत होते हुए आप सीधे पहुँच गए जसीडीह और वहीं
रेलवे स्टेशन के नजदीक सामने आ गया जसीडीह आरोग्य भवन. निकले थे सुबह ६ बजे और अभी
करीब ४ बज रहें है. यानि १० घंटे में ३८२ कि.मी. का सफर. रास्ते में गर्म तड़का
दाल, रोटी, भाजी, ताज़ा फल का जो आनंद लिया सो अलग.
आप भी ये सब कुछ या और बहुत कुछ कर सकते हैं, बशर्ते
आप अपनी गाड़ी में हों.