शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020

मार्क ट्वेन ने कहा

 (मार्कट्वेन अमेरिका के जाने माने व्यंगकार, उपन्यासकार, यात्रा-संस्मरण लेखक और भाषण कर्ता थे। 18 जनवरी से 31 मार्च 1896 उन्होंने भारत की यात्रा की। हिंदुस्तान में मुंबई, पूना, बनारस, कलकत्ता, दार्जिलिंग, आगरा, जयपुर, दिल्ली और दूसरे अनेक नगरों की यात्राएं कीं। अपने लेखन में उन्होंने अपनी इस यात्रा का जिक्र भी किया है जिनमें भारत के सम्बंध में बहुत विस्तार से लिखा है। आपके लिए उजाले के गाँव से इसे संकलित किया गया है।)

·      अगर आप सत्य बोलें तो आपको कुछ भी याद रखने की आवश्यकता नहीं है।

·      यह बेहतर है कि आप अपने मुंह को बंद रखें और लोगों को यह सोचने का मौका दें कि आप मूर्ख हैं, बजाय इसके कि आप उसको खोलें और आपके बारे में सारे संदेह ही दूर हो जाएँ।

·      अधिकतर लोग शास्त्रों के उन अंशों से परेशान रहते हैं, जिन्हें वे बिलकुल नहीं समझते किन्तु मुझे वे अंश परेशान करते हैं जिन्हें मैं समझता हूँ।

·      सही शब्द बहुत प्रभावी हो सकता है, किन्तु कोई भी शब्द उतना प्रभावी नहीं होता, जितना कि सही समय पर प्रयुक्त किया गया विराम।

·      सबसे बड़ा अकेलापन अपने साथ सहज न होना है।

·      यह हिंदुस्तान है! सपनों और राग-रंग की धरती, बेइंतिहा दौलत और बेइंतिहा दरिद्रता की धरती, शान-शौकत और फटे-हाल लोगों की धरती, महलों और झोपड़ियों की धरती, अकाल और टिड्डी दलों के हमले की धरती, मामूली और महान हस्तियों की धरती, अलादीन के चिराग, शेरों और हाथियों की धरती, काले नाग और जंगलों की धरती, यही है एक सौ राष्ट्रों के एक देश की सरजमीं, सैकड़ों जुबानों और हजारों धर्मों की धरती, मानव सभ्यता के फलने-फूलने की क्रीड़ास्थली, मनुष्य की वाणी की जन्मभूमि, इतिहास की जननी, आख्यानों की दादी, परम्पराओं की परदादी, जिसका अतीत दुनिया के शेष हिस्सों से प्राचीनतम है।

·      ऐसे लोग हैं, जो बड़ी कड़ाई के साथ हर खाद्य पदार्थ से, हर पेय से और अपने भीतर धुआँ लेने वाले पदार्थ और ऐसी हर वस्तु से जिन्हें बुरा समझा जाता है, अपने आपको वंचित रखते है।  यह कीमत स्वास्थ्य के लिए अदा करते हैं और मात्र स्वास्थ्य ही वह वस्तु है, जिसे वे प्राप्त करते हैं। कैसी विचित्र बात है? यह तो कुछ ऐसा है, जैसे आप सारी संपत्ति उस गाय के लिए लुटा दें, जो दुधरु नहीं रही है।

·      मैं युवा था तो हर बात को याद रख सकता था, चाहे वह घटित हुई हो या नहीं।

·      जब कभी आपको लगे कि आप बहुमत के साथ हैं, तो यह, अपने आपको सुधारने का समय है।

·      हिंदुस्तान में 20 लाख देवी देवता हैं, जिनकी सभी लोग पूजा करते हैं। धर्म के मामले में अन्य सभी देश  दरिद्र हैं, जबकि हिंदुस्तान लखपति है।

·      दूसरे देशों में स्टेशन पर गाड़ी का इंतजार करना बहुत थकाने वाला और उबाऊ होता है, लेकिन हिंदुस्तान में इस तरह का कोई एहसास नहीं होता। यहाँ के स्टेशन पर भारी चहल-पहल और शोरगुल रहता है। आभूषण पहने नर-नारियों की भीड़ नजर आती है। उनकी बहुरंगी वेशभूषा और परिधानों को देख कर मन जितना आनंदित होता है उसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता।  

·      प्रत्येक दिन आप कुछ ऐसा करें जो करना नहीं चाहते। यह एक ऐसा स्वर्णिम नियम है, जिससे आप अपने कर्तव्य को बिना किसी कष्ट के निभाने की आदत डाल सकते हैं।

·      अपनी भ्रांतियों को दूर मत कीजिये, यदि वे चली गईं तो आपका वजूद भले ही रहे, लेकिन आपका जीना मुश्किल हो जाएगा।

·      पहले तथ्यों को बटोरिए और फिर जैसा चाहें, उनको तोड़ मरोड़ लीजिये।

·      हास्य बहुत बड़ी चीज है, जिस समय इसका प्रस्फुटन होता है, हमारा सारा चिड़चिड़ापन और गुस्सा दूर हो जाता है और उसकी जगह उत्फुल्लता का संचार होने लगता है।

·      मैंने कभी कोई व्यायाम नहीं किया, सिवाय सोने और आराम करने के।

·      कोई भी व्यक्ति बिना आत्म स्वीकृति के सुखी नहीं हो सकता।

·      अंग्रेज़ वह है, जो बहुत सारी बातें इसलिए करता है कि उसके पुरखे पहले करते रहे हैं। अमेरिकी वह है, जो वह करता है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ।

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