शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2022

सूतांजली फरवरी 2022

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इस अंक में तीन विषय, एक लघु कहानी और धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी की चौदहवीं किश्त है।

१। विकास, प्रगति और सफलता  (मैंने सुना)

आदरणीय स्वामी भक्तवत्सलजी एक प्रखर वक्ता हैं। इन तीन समानार्थी शब्दों की उन्होंने बड़ी सटीक व्याख्या की है। क्या फर्क है तीनों शब्दों में, अर्थ, कर्म और फल की नजर से, यह समझाते हुए उसी अनुसार समझ कर अपना लक्ष्य निर्धारित करने की सलाह दी है।  

२।  श्रीमद्भगवद्गीता   अनेकार्थी क्यों? (मैंने सुना)

चिन्मय मिशन के स्वामी तेजोमयानन्द जी ने स्पष्ट किया है कि इस ग्रंथ के इतने भाष्य और अर्थ क्यों हैं और किस आधार पर यह निर्णय करें कि आम व्यक्ति कौन से अर्थ को सही माने और अपनाए।  

३। उपयोगी  (मेरे विचार) 

क्या है उपयोगी और क्यों? क्या है इसका आधार और क्या होना चाहिए? भ्रामक मापदंड – कसौटी केवल युवाओं का ही नहीं बल्कि अब तो बच्चों का भी नैतिक पतन कर रही है।

४। बस बहुत हुआ (लघु कहानी - जो सिखाती है जीना)

कहीं ऐसा न हो कि इसके पहले कि आप भी कहें बस बहुत हुआ’, संभाल जाएँ और अपनी जिंदगी खुद जीएं, अपने सपनों को साकार करें

५। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी – धारावाहिक

धारावाहिक की चौदहवीं किश्त

 

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यू ट्यूब का संपर्क सूत्र (लिंक) : à

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