शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

प्रयास की पराकाष्ठा

                                                              हम बदलेंगे युग बदलेगा

           एक बार जंगल में भीषण आग लगी। सभी जानवर घबरा कर अलग-अलग दिशाओं में भाग रहे थे। चारों ओर भय का आतंक छाया हुआ था। अचानक एक चीते ने एक चिड़िया को अपने सिर के ऊपर से उड़ते देखा; लेकिन वह चिड़िया विपरीत दिशा में, जंगल की तरफ जहां आग लगी थी, उसी तरफ उड़ कर जा रही थी। वह आग की लपटों को देख कर भी बिना रुके उसी दिशा में जा रही थी।



(क्या आपको ऐसा लग रहा है कि यह कहानी अपने सुनी है? आप गलत हैं। अपने नहीं सुनी है। अंत तक सुनें फिर खुद ही निर्णय करें।)

          कुछ क्षण बीते, चीते ने उसे फिर से अपने ऊपर से उड़ते देखा, लेकिन इस बार उस दिशा में जिस दिशा में चीता जा रहा था। कुछ समय तक चीते ने उस चिड़िया की गतिविधि को बहुत ध्यान से देखा और महसूस किया कि वह चिड़िया जंगल की ओर तथा उसके विपरीत दिशा में कई बार आ- जा रही है।

          कुछ समय तक यह सब देखने के बाद चीते से रहा नहीं गया और उसने चिड़िया से पूछने का निश्चय किया; क्योंकि चिड़िया का यह व्यवहार बहुत ही विचित्र लग रहा था। चीते ने उससे पूछा, 'तुम बार-बार इधर-से-उधर क्यों उड़ रही हो ?'

          चिड़िया ने उत्तर दिया, 'मैं पहले झील की तरफ जाती हूँ और अपनी चोंच में पानी भर कर लाती हूँ तथा उसे जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए डालती हूँ।"

          यह सुन कर चीता हंसने लगा। उसने चिड़िया से कहा, "क्या तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है? क्या तुम सच में सोचती हो कि तुम अपनी इस छोटी-सी चोंच के पानी से उस भयंकर आग को बुझा सकती हो ?"

          नहीं’, चिड़िया ने कहा, 'मुझे पता है कि मैं आग बुझाने में सफल नहीं हो पाऊँगी, लेकिन जंगल मेरा घर है। जंगल मुझे खाने के लिए फल देता है, यह मुझे और मेरे परिवार को आश्रय देता है। इस सब के लिए मैं जंगल की बहुत आभारी हूँ। और जब मैं जंगल के फल-फूल खाकर, उनके बीजों को इधर-उधर गिरा देती हूँ तो ये बीज जंगल को फैलाने और घना करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैं इस जंगल का एक हिस्सा हूँ और यह जंगल मेरे जीने का एक महत्वपूर्ण भाग है। मुझे पता है कि मैं इस भयंकर आग को नहीं बुझा सकती लेकिन मुझे अपनी तरफ से पूरी कोशिश करनी ही होगी।

          जब चीते और चिड़िया का यह संवाद चल रहा था, उसी समय जंगल में भागने वाले अन्य जीव-जन्तु भी रुक कर उनका संवाद सुनने लगे। बहुतों ने तो चिड़िया को पागल समझा और उसकी हंसी उड़ते हुए यह कहते हुए भाग निकले कि उसके अकेले के करने से क्या होगा। लेकिन कुछ को उसकी बात में सार नजर आया और वे भी अपनी-अपनी समझ और क्षमता के अनुसार जंगल की आग बुझाने में लग गए।

          उस समय वन में रहने वाली दिव्य आत्माएं इसे बहुत गहराई से अनुभव कर रही थीं। वे सब जंगल के प्रति चिड़िया और फिर उसके साथ लगे अन्य प्राणियों की प्यार भरी भावनाओं से बहुत प्रसन्न हुईं और एक चमत्कार हुआ, जंगल में हुई मूसलाधार बारिश ने भीषण आग को शान्त कर दिया।

          क्या आप अपने जीवन में चमत्कारों को अनुभव करना चाहते हैं, चमत्कार करना चाहते हैं? यदि हां, तो हमेशा अपना शत-प्रतिशत दीजिये। यह विचार मत कीजिये कि अकेले के करने से क्या होगा? अगर हमारे दिल में प्यार, कोमलता, विनम्रता और सहजता की भावना है, अगर हम  इतने रचनात्मक बन सकते हैं तो हम मानवता को अलग स्तर पर ले जाने में सक्षम हो सकते हैं। अगर कुछ होगा तो हमारे अकेले के करने से ही होगा। हम बदलेंगे, युग बदलेगा।

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