शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

ईश्वर है, उसे याद करें

रात के ढाई बजे थे, एक सेठ को नींद नहीं आ रही थी, वह घर में चक्कर पर चक्कर लगाए जा रहा था। आखिर थक कर नीचे उतर आया और कार निकाली, शहर की सड़कों पर निकल गया। रास्ते में  एक मंदिर दिखा, सोचा थोड़ी देर इस मंदिर में  जाकर भगवान के पास बैठता  हूँ। प्रार्थना करता हूँ तो शायद शांति मिल जाए। वह सेठ मंदिर के अंदर गया तो देखा, एक दूसरा आदमी पहले से ही भगवान की मूर्ति के सामने बैठा था। मगर उसका आँखों में करुणा भरी थी। सेठ ने पूछा, “क्यों भाई इतनी रात को मंदिर में क्या कर रहे हो”? आदमी ने कहा, “मेरी पत्नी अस्पताल में है, सुबह यदि उसका ऑपरेशन नहीं हुआ तो वह मर जाएगी और मेरे पास ऑपरेशन के लिए पैसा नहीं  है”। उसकी बात सुनकर सेठ ने जेब में जितने रुपए थे वह उस आदमी को दे दिये। देखकर उस आदमी के चहरे पर चमक आ गई। 

सेठ ने अपना कार्ड दिया और कहा इसमें फोन नंबर और पता भी है, जरूरत हो तो नि:संकोच बताना। उस गरीब आदमी ने कार्ड वापस कर दिया और कहा, “मेरे पास उसका पता है, इस पते की जरूरत नहीं है सेठ जी”। आश्चर्य से सेठ ने कहा, “किसका पता है भाई”। उस गरीब आदमी ने कहा, “जिसने रात के ढाई बजे आपको यहाँ भेजा उसका”।


जिसके मन में अटूट विश्वास होता है उसके कार्य पूर्ण हो जाते हैं।

 "रिलीफ "  पत्रिका से 

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