शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

४ लाख - करोड़ - अरब की गलीच जिंदगी


अभी कुछ समय पहले मासिक पत्रिका अहा!जिंदगी में ऋतु रिचा की लिखी कहानी गलीच जिंदगी पढ़ी। कथानक नया न होने पर भी कहानी बड़ी प्रभावोत्पेदक ढंग लिखी है और इसलिए एकदम नई भी लगती है और प्रभावित भी करती है।

कहानी तो इतनी ही है कि एक बच्चा अपनी सौतेली माँ के व्यवहार से तंग आकर घर छोड़ कर भाग जाता है और शनै: शनै: एक भिखारी बन जाता है। रोज सुबह उठ कर नियत जगह पर जाकर बैठना और भीख मांगना। दिन भर झींकन, चिड़चिड़ाना, झुञ्झुंलाना और कोसना। मन में तमन्ना कि कुछ रुपये जमा हों तो कुछ अच्छा पहने और खाये। नहीं तो वही चिथड़े पहनना और जूठन खाना। बस ऐसे ही अचानक एक दिन भीख मांगते मांगते वहीं लुढ़क गया और फिर कभी नहीं उठा। पुलिस आई, लाश को ठिकाने लगाई और उसके झोंपड़े की साफई की। वहाँ जमीन में दबी एक थैली मिली, बहुत भारी। खुचरे रुपयों और रेजगारी से भरी। थाने ले जाकर गिना गया तो पूरे ४ लाख रुपए निकले। इच्छा पूर्ति करने लायक धन होने के बावजूद अपूर्ण अच्छा लिए चला गया। वह था 4 लाख रुपए का भिखारी।

लेकिन ठहरें, जरा नजर उठा कर अपने समाज को देखें, आड़ोस – पड़ोस को देखें, गाँव-कस्बा- शहर पर नजर डालें। क्या आपको ४ लाख ही नहीं ४ करोड़ और ४ अरब के कंगाली दिखाई पड़ रहे हैं? अकूत धन, लेकिन फिर भी सुबह उठने से रात देर सोने तक दोनों हाथों से बटोरने में लगे लोग दिखे? दिन भर झींकन, चिड़चिड़ाना, झुञ्झुंलाना, कोसना और सोचना कि कुछ और हाथ आ जाए तो .......... करूँ। यूं ही सोचते, कहते, करते अचानक एक दिन लुढ़क गए। दिखे ऐसे लोग? कहीं आप भी तो उनमें एक नहीं?

खुल कर मुस्कुराएं, प्रसन्न रहें, आशीर्वाद दें, मुक्त हस्त बांटे और उन्मुक्त हो कर जीयें। और फिर जीयें ४ लाख में ४ खरब की खुशहाल जिंदगी।
पूरी कहानी पढ़ने यहाँ क्लिक करें – गलीचजिंदगी


1 टिप्पणी:

Test Series UPSC ने कहा…

I liked it. खुल कर मुस्कुराएं, प्रसन्न रहें, आशीर्वाद दें, मुक्त हस्त बांटे और उन्मुक्त हो कर जीयें। और फिर जीयें ४ लाख में ४ खरब की खुशहाल जिंदगी। Test Series UPSC