शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

आस्ट्रेलिया – कोलकाता से सिडनी तक

आस्ट्रेलिया – कोलकाता से सिडनी तक
कई दिनों, नहीं सप्ताहों के इंतजार के बाद आखिर 13 सितंबर की रात या 14 सितंबर की सुबह हम फिर एक लंबी यात्रा पर लंबे समय के लिए निकल पड़े। गंतव्य था सिडनी। पासपोर्ट तो था ही, हवाई जहाज की टिकिट वीसा मिलने के बाद ही लेने का विचार था।  अत: वीसा का आवेदन भी लगा दिया गया था। आवेदन राशि थी 145 आस्ट्रेलियन डॉलर। ऑस्ट्रेलियन  वीसा आवेदन की सबसे बड़ी खास बात यह रही कि आवेदन से लेकर प्राप्ति तक हमें कहीं नहीं जाना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया में ई-विसा मान्य है। घर में बैठे बैठे ही, आवेदन से लेकर प्राप्ति तक का पूरा कार्य अपने कम्प्युटर से ही कर लिया (https://immi.homeaffairs.gov.au/) । पिछली यात्रा के समय तो मन में पूरा विश्वास था कि वीसा तो मिल ही जाएगा, लेकिन इस बार थोड़ी शंका थी। शंका का कारण था,  कुछ समय पहले ही मेरी भतीजी के वीसा आवेदन का अस्वीकृत होना। हम अटकलें लगाते रहे लेकिन अस्वीकृत करने के किसी भी ठोस नतीजे पर नहीं पहुँच पाये थे। हमारे आवेदन जमा करने के साथ साथ ही हमें मेल से सूचित किया गया कि हमें अपने स्वास्थ्य का परीक्षण करवाना होगा। इसके साथ ही कहाँ, क्या और कब तक जमा करवना है, पूरी सूचना थी। शायद हम वरिष्ठ नागरिक हैं तथा हमने 6 माह रहने की अनुमति मांगी थी, इसलिए परीक्षण करवाने का निर्देश दिया गया था। खैर परीक्षण की पूरी रिपोर्ट परीक्षण केंद्र (diagnostic centre) ने सीधे  ऑन लाइन ही जमा कर दी। परीक्षण रिपोर्ट जमा करने के 2 दिनों के अंदर ही हमें हमारा वीसा मिल गया। 12 महीने की वैधता, अधिकतम एक साथ 6 महीने का निवास और इस वैधता के दौरान कई बार जाने की अनुमति के साथ।  और इस प्रकार पूरी तौयरी के साथ हम पहुँच गए कोलकाता के हवाई अड्डे पर। हमारे सामान का वजन नियम मुताबिक था, कोई परेशानी नहीं हुई।

हमारी यात्रा का पहला चरण कोलकाता से हाँग काँग तक कैथी ड्रगन से थी। कैथी ड्रैगन, कैथी पैसिफिक की कम बजट की अंतरराष्ट्रीय एयर लाइंस  है। इसकी अवस्था राष्ट्रीय कम बजट की एयर लाइन से खराब थी। और तो और बैठने की कुर्सी फ़िक्स्ड थीं। आगे पीछे (push button) करने की गुंजाइश नहीं थी। किसी भी प्रकार के मनोरंजन का भी कोई साधन नहीं था। सौभाग्य से यात्री बहुत कम होने के कारण हम तीन-तीन सीट पर पैर फैला कर सो गए। सोने के पहले सैंड विच, फल और पेय पदार्थ दिया गया।  जब हम हाँग काँग पहुंचे सुबह हो चुकी थी। चारों तरफ धूप पसरी पड़ी थी। सुबह के 7.30 बज रहे थे।

हाँगकाँग एयरपोर्ट पर क्या करना है, वेब साइट पर देख कर, पहले से तय कर रखा था। खोजते हुए हम 
हाँगकाँग हवाई अड्डे पर 
रिलेक्सेशन कोर्नर (relaxation corner) पर पहुंचे। यहाँ आराम कुर्सियाँ लगी हैं। लेकिन मुश्किल से 15-20 ही थीं। समझ गए, इसका इंतजार करना मूर्खता है। खोज प्रारम्भ हुई, तथा जल्द ही ऐसी जगह खोज लिए जहां पैर पसार कर सोया जा सकता था। हमने वही किया। कुछ समय बाद, शायद भूख लगने पर नींद टूटी। घर से लाये रोल निकाले, एक कप कॉफी लिया और भूख मिटाई । दाम हाड़ फोड़ कर लेते हैं। लेकिन मात्रा इतनी ज्यादा देते हैं कि दो के लिए काफी होता है।  खा-पीकर तरो ताजा हुए और फिर निकल पड़े एयरपोर्ट देखने। बहुत बड़ा है, लेकिन सिंगापुर की तुलना में विशेष नहीं। कोलकाता से निकलने  के पहले  ‘Priority Pass’ (https://www.prioritypass.com)  ले लिया था। सौभाग्य  से यह कार्ड अपने क्रेडिट कार्ड पर बिना मूल्य के प्राप्त हो गया। इसकी कृपा से प्लाज़ा प्रीमियम लाउंज में तीन घंटे के लिए प्रवेश की सुविधा मिली। यहाँ 

प्लाज़ा प्रीमियम लाउंज में

सोफा पर जम गए। पैर फैला कर आराम किए। खाना पीना बिना किसी मूल्य के मिला, नहाने की भी व्यवस्था थी। हमलोगों के लिए खाने की विशेष बानगी नहीं थी फिर भी सैंड विच, सूप, फल, सलाद, टोस्ट, चाय, कॉफी, जूस और शीतल पेय तो थे ही। इतना कुछ लेने पर अलग से भोजन की आवश्यकता नहीं रह जाती है।  घड़ी आगे बढ़ती जा रही थी। यहाँ हमारा लगभग 12 घंटे का ठहराव शनै: शनै: कम होता जा रहा था, और हमें इसका भान भी नहीं हो रहा था। लाउंज से निकलने पर हमने देखा कि हाँगकाँग सांस्कृतिक संस्था की तरफ से नृत्य चल रहा है।  उसका आनंद लिए। समय बीत गया और हम बोर्डिंग गेट के तरफ चल पड़े।

आगे की यात्रा आस्ट्रेलिया  की एयर लाइंस काँटाज  (Qantas) से थी। यहाँ वातावरण अच्छा था। यात्री कुछ कम थे। यहाँ भी तकदीर ने साथ दिया। हमारे बगल की एक सीट खाली थी। पसर तो नहीं सके, लेकिन हाँ कुछ सहूलियत से फैल गए। खाना-पीना ठीक था। लगभग सूर्योदय के साथ साथ हम सिडनी के हवाई अड्डे पर उतर गए। यह हवाई अड्डा तुलनात्मक दृष्टिकोण से बहुत  छोटा है। हमारे ऊपर इमिग्रेशन और सामान निरीक्षण की तलवार लटकी थी। दिल धड़क रहा था। हवाई 
हाँग काँग हवाई अड्डे पर पारम्परिक नृत्य 

कलाकारों के साथ 
जहाज पर ही हमें इमिग्रेशन को दिया जाने वाला घोषणा पत्र (declaration form) दे दिया गया था जिसमें हमें अपने बारे में तथा हम क्या ला रहे हैं इसकी जानकारी देनी थी।  आस्ट्रेलिया के मुख्य कारोबार में दूध और कृषि का विशिष्ट स्थान है। अत: यहाँ की सरकार इन के बारे में काफी सचेत और सजग है। ऐसी कोई भी वस्तु जिससे दूध और कृषि उत्पादन में हानिकारक हो सकती है, लाने नहीं देती है। मीनू ने हाँगकाँग में सेव और कोक का टिन उठा लिया था। मैंने उसे फिंकवा दिया। साथ में खाने पीने का थोड़ा सामान था। अच्छी तरह और सही ढंग से पैक किया था। ध्यान से पढ़ने के पर लगा हमारे साथ खाने का जो भी सामान है उसके लिए हाँ कहने की आवश्यकता नहीं है। अत: हमने सबों पर नहीं का निशान लगाया लेकिन दवा पर हाँ का लगाया। इमिग्रेशन तेजी से हो गया और अब हम एक लंबी कतार में खड़े थे। वहीं से सामने ही ‘quarantine’ यानि बंद कमरे में अकेले रखने की जगह बनी हुई दिखाई पद रही थी। वहीं से देखा 10-10 की कतार में 30 लोगों को खड़ा कर के कुत्ते से सुंघाया जा रहा था। यानि जल्दी ही हम भी कुत्ते की कृपा पर ही आश्रित होने वाले थे।  उस समय हमें वे कुत्ते ही भगवान लग रहे थे। कुछ ही देर में हम भी उसी जगह खड़े थे और कुत्ते हमारे अगल बगल से दौड़ने लगे। एक कुत्ता मीनू पर उछला। हमारी साँसे बंद हो गई। लेकिन फिर समझा, वह उसकी ट्रॉली के ऊपर रखे बैक-पैक को सूंघ रहा था। कुत्ते बाबा की  कृपा से हम वहाँ से सही सलामत विदा हो गए। अब हम हवाई अड्डे से बाहर थे। बाहर निकलते ही ठंड का अहसास हुआ। हमें पहले ही हिदायत दे दी गई थी कि गरम कपड़े बाहर रखें । सलाह के अनुसार काम करने के कारण कोई परेशानी नहीं हुई। कोलकाता, घर से निकलने पर शंकाओं से घिरी पूरी यात्रा निर्विघ्न समाप्त हुई। हम जो कुछ लेकर चले थे वह सब लेकर आस्ट्रेलिया पहुँच चुके थे।


हमारी दिक्कत यही है, हम वर्तमान, जो खूबसूरत है,  में नहीं जीते । वर्तमान को छोड़ भूत के पश्चाताप और भविष्य की चिंता में लिपटे वर्तमान को बिगाड़ते रहते हैं। 

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