शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

मन्नू भण्डारी की चुनी हुई कहानियाँ


मन्नू भण्डारी की चुनी हुई कहानियाँ           

लेखिका : मन्नू भण्डारी 
संपादिका : सुधा अरोड़ा
प्रकाशक : साहित्य भंडार
संस्करण : 2014
मूल्य :  200 रुपए
पृष्ट : 144

संकलन में लेखिका की 11 कहानियाँ हैं :
1। मैं हार गई
2। दो कलाकार
3। अकेली
4। मजबूर
5। क्षय
6। छत बनाने वाले
7। नई नौकरी
8। असामयिक मृत्यु
9। स्त्री-सुबोधिनी
10। त्रिशंकु
11। नमक
सभी कहानियाँ हमारी अपनी या अपने आस-पड़ोस की आप बीती हैं। प्राय: एक ऐसी सच्चाई जिसे हम नकारते हैं, नहीं चाहते हैं, लेकिन या तो हमारे ऊपर लाद दी गई हैं या हम मजबूर हैं ऐसी जिंदगी जीने के लिये, ऐसी घटनाओं से गुजरने के लिए। कई ऐसी घटनाएँ हैं जिन्हे लेखिका आत्मसात नहीं कर पाती। उनके विरुद्ध विद्रोह भी करती है। लेकिन फिर समझती भी है कि भले ही उसे या पाठक को वह घटनाक्रम पसंद न आए लेकिन यथार्थ वही है और फिर विद्रोह के स्वर छोड़ कर सत्य लिख बैठती है। हाँ लिखते लिखते यह जरूर बता देती है कि उसे भी यह अंत पसंद नहीं लेकिन सत्य तो यही है। शायद भविष्य इसे यथार्थ में पलट दे। मैं हार गई में अंत में लेखिका स्वीकार करती है कि वह, वह नहीं लिख सकी जिसे लिखने वह बैठी थी, और अपने सारे अहम को तिलांजलि देकर बहुत ही ईमानदारी से मैं कहती हूँ कि मेरा रोम रोम महसूस कर रहा था कि कवि भरी सभा में शान के साथ जो नहला फटकार गया था, उस पर इक्का तो क्या, मैं दुग्गी भी न मार सकी। मैं हार गई, बुरी तरह हार गई”।  

इसी प्रकार जब लेखिका ने भीमा को दूसरा मौका दिया, तब भी, बार बार मन ही मन रटने के बावजूद भीमा, अपने को सँभाल ही नहीं पाया और सोच-चाहा मांगने के बजाय गदगदाते हुए कुंवरजी के चरणों में लोटकर घणी खम्मा घणी खम्मा की गुहार लगाने लगा भीमा का इस प्रकार के असफल प्रयास पर लेखिका झल्ला उठी, “ओफ़्फ़! कुछ नहीं हो सकता ... पाँच पीढ़ियों से जिसकी रगों में हवेली का नमक बह रहा है, उसके लिए कोई कुछ नहीं कर सकता ......”


मुझे विश्वास है आप को संग्रह की कहानियाँ पसंद आएँगी।

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