ग्रेगोरियन कैलेंडर के
नव वर्ष
पर
हार्दिक शुभ कामनाएँ
सूतांजली जनवरी २०२० में ३ लेख हैं।
१. पहला
पागलपन – २ आना रखना १४ आना देना
कुछ भी हासिल करने के लिए कुछ छोड़ना पड़ता है। जितनी मूल्यवान
हो, कीमत भी उसी अनुपात में होती
है। हम हासिल भी करना चाहते हैं, खरीदना भी । लेकिन न कुछ
छोड़ने तैयार हैं न उसकी कीमत चुकाने। जिंदगी भर दौड़ते रहते हैं लेकिन जहाँ के तहाँ।
श्री अरविंद ने क्या छोड़ा?
२. मित्र और मित्रता
किसे कहते हैं मित्र और क्या होती है मित्रता? जानिए खलील जिब्रान के विचार।
३. १०८ ही क्यों?
१०८ – बहुत पर कानों में पड़ता है। लेकिन क्या कभी विचार किया १०८ ही क्यों? १०८ समस्त संसार का, ब्रह्म का प्रतीक है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें