Family शब्द का अर्थ देखते देखते कैसे बदल गया। Family यानि परिवार। परिवार का अर्थ? परिवार केवल मेरी पत्नी तक सीमित नहीं था, न ही मेरे बच्चों तक। परिवार में केवल मेरे माँ बाप ही नहीं बल्कि मेरे भाई बहन, भाइयों की पत्नी एवं उनके बच्चे शामिल थे। शायद मेरे चाचा, ताऊ एवं उनका भी पूरा परिवार, परिवार में सम्मिलित होता था। परिवार और कुटुम्ब के बीच क्या सीमा रेखा थी अब ध्यान में ही नहीं है। शायद हिन्दी का परिवार उतना नहीं सिकुड़ा है जितना अंग्रेजी का family. Family का अर्थ तो अब यकीनन केवल अपनी पत्नी तक ही सीमित रहा गया है।शायद एक दिन ऐसा आ भी जाएगा जब family और wife एक दूसरे के पर्याय हो जायेंगें।
परिवार से हम पहले केवल अपने खून के संबंधियों को ही समझते थे। लेकिन समय के साथ साथ joint family टूटती चली गई और उसकी जगह ले ली nuclear family ने। इस बदलाव के साथ समीकरण भी बदल गए। रही सही कसर निकल दी फैलते रोजगार ने। अब एक ही परिवार के लोग केवल देश में ही नहीं विदेशों तक फैलें हुए हैं और वर्षों उनकी मुलाकात ही नहीं होती। हम एक दूसरे के बच्चों को पहचानते तक नहीं। हमारे पड़ोसी, मित्र तथा व्यवसाई मित्रों ने उनकी जगह ले ली। समय बे समय तो अब वे ही काम आते हैं। हम उन्हें ही अपने इर्द गिर्द देख पाते हैं ।
कई बार यह कटाक्ष किया जाता है कि और सब केवल सुख के साथी हैं। दुःख में तो घर वाले, परिवार वाले, अपना खून ही काम आता है। हमें जीने के लिए जितना दुःख में, विपत्ति में सहारा चाहिए उतना ही सुख बटानेवाला, खुशी बढानेवाला भी चाहिए। हमें उनकी जितनी आवश्यकता विपत्तियों में है उतनी ही खुशियों में भी है । अगर हमारे पास केवल ऐसे सम्बन्धी हों जो कष्ट में तो सहायता करें, हमारे साथ हों लेकिन हमारे सुख के सहभागी न हों तो जीवन कैसा नीरस हो जाएगा। शायद जीने की तमन्ना ही खत्म हो जाए। अतः हमारा परिवार केवल वह नहीं है जो हमारे विपत्ति में हमारे साथ है। हमारा परिवार वो है जो हमारे खुशियों में भी हमारे साथ है। और अगर वो हमारी खुशियों में हमारे साथ नहीं है तो वे हमारे परिवार के अंग नहीं हो सकते, हरगिज नहीं।
1 टिप्पणी:
In western world even Husbaands and wife have different families. I wonder if we are progressing for better.
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