शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

मेरी नाकामियाँ


बहुत नाकामियों पर आप अपनी नाज़ करते हैं
 अभी देखी कहां है, आपने नाकामियां मेरी

जी हाँ, कभी कहीं असफलता हाथ लगी और रास्ता बदल लिया या फिर हाथ पर हाथ रख कर बैठ गए। किसी ने प्रोत्साहित करने का प्रयत्न किया तो दो टूक जवाब दे दिया – “तुम्हें क्या पता, क्या हुआ”? लेकिन क्या आपने कभी किसी भी सफल व्यक्ति की आत्मकथा पढ़ी है? क्या आपने कभी उसकी नाकामियों का लेखा जोखा देखा है? एक बार जोड़-घटा कर देखें, तब पता चलेगा कि अगर वे भी हिम्मत हार गए होते तो वहाँ नहीं पहुँच पाते जहां वे पहुंचे। जावेद अख्तर साहिब ने भी बहुत ठोकरें खाईं तब वे वहाँ हैं, जहां अब दिख रहे हैं। वे तो अभी स-शरीर हैं, पूछ लीजिये या उनका लिखा पढ़ लीजिये। उनकी नाकामियों का दर्द ही तो छिपा है उनके इस शेर में – बहुत नाकामियों पर आप अपनी नाज़ करते हैं, अभी देखी कहाँ है अपने नाकामियाँ मेरी।

आइए आपके लिए मैं एक लेखा जोखा एक ऐसे ही व्यक्ति का दिखाता हूँ। अमेरिका के कई राष्ट्रपतियों का नाम पूरा संसार आदर से लेता है और उनका कायल है। उनमें से एक हैं  अब्राहिम लिंकन।

21 वर्ष की उम्र में व्यापार किया और असफल रहे
22 वर्ष की उम्र में एक चुनाव हारे
24 वर्ष की उम्र में फिर व्यापार में असफल रहे
26 वर्ष की उम्र में उनकी पत्नी का देहांत हो गया
27 वर्ष की उम्र में मानसिक संतुलन खो बैठे
34 वर्ष की उम्र में काँग्रेस का चुनाव हार गए
45 वर्ष की उम्र में सीनेट का चुनाव हार गए
47 वर्ष की उम्र में उपराष्ट्रपति बनने में असफल रहे
49 वर्ष की उम्र में सीनेट का चुनाव हार गए
52 वर्ष की उम्र में अमरीका के राष्ट्रपति चुन लिए गए

आपकी नाकामियाँ इनसे तो कम ही रही होंगी। तब, फिर उठिए और फिर से शुरू हो जाइए।


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