शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

ऑस्ट्रेलिया – ओपेरा हाउस


ऑस्ट्रेलिया – ओपेरा हाउस

शनिवार, 20 अक्तूबर 1973। सिडनी ही नहीं ऑस्ट्रेलिया के लिए एक यादगार दिन। यही वह दिन है जब ब्रिटेन की रानी एलिज़ाबेथ-2 ने सिडनी ओपेरा हाउस का उद्घाटन किया था। यह कोई साधारण कंसर्ट हॉल नहीं है। 10000 व्यक्ति, 14 वर्ष और $102 मिलियन, यानि 10 करोड़ 20 लाख ऑस्ट्रेलियन डॉलर, आज की विनमय दर के अनुसार लगभग 5 अरब रुपए की राशि लगी इसे बनाने में। सिडनी ओपेरा हाउस, 



पर्यटकों का सबसे चहेता पर्यटन स्थल। सिडनी ओपेरा हाउस, जहां वर्ष भर में 2000 से ज्यादा कार्यक्रम होते हैं। सिडनी ओपेरा हाउस जहां 15 लाख से ज्यादा लोग इन कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं। यहाँ जब सिडनी सिम्फ़नि ऑर्केस्ट्रा बज रहा होता है अंदर का  तापमान 22.5  पर बनाए रखा जाता है, क्योंकि इस और्केस्ट्रा की सर्वोत्तम ध्वनि के लिए इस तापमान को बनाए रखना आवश्यक है। अगर श्रोता को कम सुनता है या सुनने की दिक्कत है या सुनने के लिए किसी भी प्रकार का ध्वनि यंत्र या कोहलर का भी प्तयोग कर रहा है तो सही ढंग से सुन पाने के लिए उसे विशेष यंत्र भी बिना किसी भाड़े के प्रदान किया जाता है।

इस ओपेरा हाउस की दास्तां अद्भुत है। फ्रैंक गहरी  ने  वास्तुकला (आर्किटैक्चर) के उच्चतम पृत्ज़्कर (Pritzker) पुरस्कार की घोषणा करते हुए 2003 में कहा था “जोर्न उत्ज़ोन (Jorn Utzon)  ने एक ऐसे भवन का निर्माण किया है जो अपने समय से बहुत आगे और उस समय की उपलब्ध तकनीक से कहीं ज्यादा 
जोर्न उत्ज़ो 
दूर भविष्य पर दृष्टि रखते हुए किया है। इसने विश्व में ऑस्ट्रेलिया की छवि को एकदम से बदल दिया”। उत्ज़ोन  का चयन ओपेरा हाउस का नक्शा बनाने की एक प्रतियोगिता से किया गया था जिसमें उत्ज़ोन को 5000 पाउंड का प्रथम पुरस्कार भी मिला। आयोजित प्रतियोगिता के सम्मेलन में घोषणा की गई हमें एक ऐसा भवन चाहिए जो हमारे देश को आने वाली कई  शताब्दियों तक सम्मान दिला सके। जजों ने उत्ज़ोन के नक्शे को चुनते हुए घोषणा की “यह नक्शा विवादास्पद है क्योंकि यह एक मौलिक नक्शा है लेकिन हम इसकी विशेषताओं से संतुष्ट हैं”।  विडम्बना यह कि उत्ज़ोन को निर्माण कार्य अधूरा ही छोड़ कर जाना पड़ा और फिर कभी लौट कर वापस नहीं आया। उद्घाटन समारोह में उन्हे बुलाने की कोशिशें की गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

सिडनी घूमने आने वाला हर व्यक्ति ओपेरा हाउस तो देखने आता ही है। लेकिन इसे केवल बाहर से देख कर जाने का मन मत बनाइये। जब तक इसका पूरा इतिहास न समझें, इसे अंदर से न देखें, देखने का कोई मतलब ही नहीं है। इसे अंदर से देखने और समझने के लिए दो विशेष टूर हैं। पहला टूर 1 घंटे का दिन में 9 से शाम 5 बजे तक उपलब्ध है और दूसरा टूर मंच के पीछे दिन में केवल एक बार सुबह 7 बजे से 2 घंटे 30 मिनट का है।  दोनों न भी करें तो एक तो करना जरूरी सा ही है।

ओपेरा हाउस की सीपनुमा छत को बनाना, तकनीकी दृष्टिकोण से, अपने आप में बहुत कठिन कार्य था। उत्ज़ोन और निर्माण करने वाले अन्य तकनीशियनों को समझ नहीं आ रहा था कि यह कार्य कैसा संभव है। खर्च को नियंत्रण में रखते हुए समय से पूरा करना, एक बेहद दुष्कर कार्य प्रतीत हो रहा था। तीन वर्ष सोच-विचार और अनुसंधान करते रहे।  नक्शे को बदलने का दबाव भी बना। लेकिन उत्ज़ोन ने हार नहीं मानी 
सिडनी टाइल्स 

और अंतत: इसका हल ढूंढ ही लिया। छत पर लगी टाइल्स भी संसार भर  में खोजने के बाद, उत्ज़ोन को जापान में इसका हल मिला। छत में कुल 10,56,006 टाइल्स लगीं। जब बन कर तैयार हुआ तो विश्व भर के कला मर्मज्ञों ने इसकी भूरी भूरी प्रशंसा की। अमेरिकन वास्तुकार लुइस कहन ने कहा सूर्य को भी पता नहीं होगा कि उसकी रौशनी इतनी सुंदर है जब तक उसने इस भवन से आती अपनी रौशनी खुद नहीं देखी”। ये टाइल्स सिडनी टाइल्स के नाम से विख्यात हुईं।


लेकिन  उत्ज़ोन अपने सपने को साकार होते नहीं देख सका। ऑस्ट्रेलिया की सरकार बदल गई। नई सरकार से उसकी नहीं पटी। लालफ़ीताशाही, नौकरशाही और अभिमान की लड़ाइयों में ओपेरा हाउस का निर्माण और उत्ज़ोन फंस गया।  उत्ज़ोन के कठिन, दुष्कर और नई सोच से कोई भी जल्दी से सहमत नहीं हो पाता था। यह अलग बात है कि उत्ज़ोन उनका नायाब रास्ता ढूंढ लेता था। लेकिन इस चक्कर में समय और खर्च बे-हिसाब बढ़ते जा रहे थे।  अनेक प्रकार के रोड़े रास्ते रोकने लगे  और आखिर उत्ज़ोन को त्यागपत्र देने के लिए विवश होना पड़ा। उत्ज़ोन ने ऑस्ट्रेलिया से मुंह मोड़ लिया और फिर कभी वापस नहीं आया। उसने अपनी बनाई इमारत को कभी नहीं देखा।  उत्ज़ोन के त्यागपत्र देने पर सिडनी के कलाकारों, गणमान्य लोगों ने सरकार के फैसले का विरोध किया और उत्ज़ोन को फिर से काम पर लगाने की  मांग की। लेकिन सरकार और उत्ज़ोन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।

अब तक निर्माण का पहला और दूसरा चरण समाप्त हो चुका था। तीसरे और अंतिम चरण के लिए पीटर हाल को 1966 में नियुक्त किया गया।  लेकिन पीटर इसके लिए तैयार नहीं हुआ। उसे इस बात  का भरोसा दिलाया गया कि उत्ज़ोन वापस नहीं आयेगा। उसने उत्ज़ोन से विचार विमर्श करने के बाद ही अपनी स्वीकृति दी। और फिर आया वह ऐतिहासिक दिन, शनिवार, 20 अक्तूबर 1973, ब्रिटेन की महारानी एलीज़ाबेथ-2 ने सिडनी ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित भवन का उद्घाटन किया।

कहानी यहीं समाप्त नहीं होती है। दूर दृष्टि रखते और सृजनात्मक सोच अपनाते हुए किसी भी इमारत को कालजयी बनाना दुरूह है। सपने देखना आसान है, कठिन है उसे साकार करना। 1973 में बनी इमारत कालजयी नहीं हो सकती अगर समय के साथ इसमें परिवर्तन नहीं किया जाए। पुरानी वस्तुओं को निरंतर नवीन नहीं किया जाए, यंत्रों का नवीनीकरण नहीं किया जाय और इन्हें अंजाम देते हुए इसके प्राचीन सिद्धांतों को बरकरार नहीं रखा जाए, तो समय के साथ ऐसे सृजन इतिहास के पन्नों में सीमिट कर रह जाते हैं। ऐतिहासिक धरोहर बन का रह जाती हैं।

राज्य सरकार की सोच इससे आगे तक थी। वह इसे शताब्दियों तक बनाए रखने के लिए कटिबद्ध थी। यह कार्य शायद निर्माण से भी ज्यादा कठिन था।   इसके लिए भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों पर एक साथ नजर रखना आवश्यक था। इसकी व्यवस्था करने के लिए एक और केवल एक ही व्यक्ति सही था – जोर्न उत्ज़ोन खुद। 1999 में  व्यापक मोलभाव और खुशामद  के बाद उत्ज़ोन तैयार हो गया। एक लंबे समय के बाद आखिर इसके मूल निर्माता और कलाकार तथा कलाकृति  का पुनर्मिलन हुआ। उसे उन सिद्धांतों को प्रतिपादित करने का उत्तरदायित्व दिया गया जिसके आधार पर भविष्य में इस भवन का रख-रखाव तथा नवीनीकरण किया जाए। उत्ज़ोन ने एक तरफ अपने मौलिक रचना और निर्माण तथा दूसरी तरफ आधुनिकता को ध्यान में रखते हुए अपने उत्तरदायित्व का भली भाँति निर्वाह किया जिसके आधार पर देश की यह प्रतिष्ठित इमारत शताब्दियों तक अपने प्रतिष्ठा को बनाए रख सके। 19 अगस्त 2000 को उत्ज़ोन ने ओपेरा हाउस के अध्यक्ष श्री जो स्क्र्यज़्न्स्कि (Joe Skryznski) को लिखे अपने पत्र में इन बातों का उल्लेख किया।

सितंबर 2004 में स्वागत कक्ष को नए स्वरूप में फिर से खोल दिया गया। यह स्वगत कक्ष उत्ज़ोन द्वारा ही  निर्मित किया गया। इसका नामकरण भी उसी के नाम पर उत्ज़ोन कक्ष रखा गया। पूरे ओपेरा हाउस में यह अकेला कक्ष है जिसके आंतरिक भाग का निर्माण उत्ज़ोन ने किया।

2013 में भवन की 40वीं वर्षगांठ मनाई गई। 17 दिन चले इस कार्यक्रम को 30,000 लोगों ने देखा। डलॉइट ने अपनी एक रिपोर्ट में इस भवन का मुल्य $4.6 बिलियन, यानि 460 करोड़ ऑस्ट्रेलिया डॉलर, यानि लगभग 22435.6 करोड़ रुपए आँका। 2016 में ओपेरा हाउस ने इमारत के  नवीनीकरण के लिए $202 मिलियन का बजट बनाया। सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी है। 1973 के निर्माण के बाद यह सबसे बड़ा नवीनीकरण का कार्य प्रारम्भ किया गया है। इसके 2022 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है।

तो, याद रखें। जब भी सिडनी जाएँ, ओपेरा हाउस जरूर देखें, अंदर से।

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