सूतांजली २०२१ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सूतांजली २०२१ लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

सूतांजली दिसंबर 2021

 सूतांजली के दिसम्बर अंक के ब्लॉग और यू ट्यूब का  संपर्क सूत्र नीचे है:-

इस अंक में तीन विषय, एक लघु कहानी और धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी की बारहवीं किश्त है।

१। यह या वह - मेरे विचार

कौन-सा मार्ग चुनें, तपस्या का या समर्पण का? बहुधा यह प्रश्न हमारे सामने खड़ा होता है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने इस शंका का समाधान बहुत ही सरल भाषा में एक उदाहरण के माध्यम से समझाया है।  श्रीरामकृष्ण कहा करते थे, तुम बन्दर के बच्चे और बिल्ली के बच्चे, इन दोनों में से किसी एक के मार्ग का अनुसरण कर सकते हो। ……..

२। ऐ सुख तू कहाँ मिलता है ? - मेरे विचार

सुख तो हम सब चाहते हैं, लेकिन वह है कहाँ? कहाँ ढूँढे उसे? है तो हमारे अगल-बगल ही, लेकिन हमें दिखता क्यों नहीं, हमें मिलता क्यों नहीं? कैसे दिखेगा-किसे मिलेगा?

३। वाह हिंदुस्तान!  - मैंने पढ़ा

हम उन लोगों में जिन्हें अपना मुल्क, अपना धर्म, अपने संस्कार, अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति, अपना साहित्य सब घटिया लगता है। विदेशी जब इसकी आलोचना करते हैं तब हम उनसे सहमत होते हैं लेकिन जब प्रशंसा करते हैं तब संदेह ही दृष्टि देखते हैं। जब तक हम खुद अपने को इज्जत नहीं देंगे, हमें इस बात की आशा नहीं रखनी चाहिए कि दूसरे इसे इज्जत देंगे। मार्क ट्वेन की भारत की यात्रा-विवरण से कुछ अंश। 

४। हौसला                                          लघु कहानी - जो सिखाती है जीना

हमारे मुँह से निकले हर शब्द का अर्थ होता है, सुनने वाले को प्रभावित करता है। उसे प्रोत्साहित या हतोत्साहित करता है। जब भी मुँह खोलें, समझ कर खोलें।

५। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी – धारावाहिक

धारावाहिक की बारहवीं किश्त

 ब्लॉग  का संपर्क सूत्र (लिंक): à  

https://sootanjali.blogspot.com/2021/12/2021.html

 यू ट्यूब का संपर्क सूत्र (लिंक) : à

https://youtu.be/GtMdjaqo4Ng


शुक्रवार, 5 नवंबर 2021

सूतांजली, नवंबर 2021

सूतांजली के नवंबर अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-

दीपावली के इस शुभ अवसर पर हमारे सब पाठकों के लिए मंगल-कामना।

इस अंक में दो विषय, एक लघु कहानी और धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी की ग्यारहवीं किश्त है।

१। लक्ष्मी-संदेश  - मैंने पढ़ा

हम, पृथ्वी के प्राणियों के कष्ट निवारण के लिए, नारायण के अनुरोध पर नारद के हाथों लक्ष्मी माता ने क्या संदेश भेजा?

२। शुभ-लाभ और भाषा - मैंने पढ़ा

क्या अर्थ है इस शुभ-लाभ का? व्यापारियों का भी देश, भाषा, साहित्य और संस्कृति के प्रति कुछ कर्तव्य बनता है? आजादी के पहले था, तो क्या अब नहीं है?

३। शक्ति संभावना की    - लघु कहानी - जो सिखाती है जीना

शक्ति का क्या कोई आकार होता है? एक छोटे से कण में भी ऐसी अपार शक्ति हो सकती है जो भीमकाय कण में नहीं।

४। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी – धारावाहिक

धारावाहिक की ग्यारहवीं किश्त

पढ़ने के लिए ब्लॉग का संपर्क सूत्र (लिंक) (ब्लॉग में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है): ->

https://sootanjali.blogspot.com/2021/11/2021.html


शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2021

सूतांजली, अक्तूबर 2021

 सूतांजली के अक्तूबर अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-

इस अंक में तीन विषय, एक लघु कहानी और धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी की दसवीं किश्त है।

१। क्या गाँधी से दूर रहा जा सकता है?                              मैंने पढ़ा

किसी भी वाद-विवाद का कोई अंत नहीं होता। अत: जब कभी कहीं कोई गाँधी की आलोचना करता, मेरे पास चुप रहने के अलावा और कोई चारा नहीं रहता। मैं जानता हूँ कि वह गाँधी के बारे में नहीं जानता। सोनाली के लेख को पढ़ने से संतोष हुआ, ऐसा सोचने वाला मैं अकेला नहीं हूँ, और भी हैं। किसी की आलोचना करनी है, जरूर कीजिये लेकिन उसे जानने के बाद, समझने के बाद, पढ़ने का बाद। आधे-अधूरे ज्ञान से नहीं, सुनी-सुनाई बातों से नहीं।                             

२। मैंने शायरी को देखा है                                              मेरे अनुभव

आपने शायरी सुनी होगी, आपने शायरी पढ़ी भी होगी, हो सकता है अपने शायरी लिखी भी हो। लेकिन जनाब, क्या अपने कभी शायरी देखी भी है? हाँ, मैंने देखी है।

३। सज्जनता                                             लघु कहानी - जो सिखाती है जीना

आज अचानक सज्जनता का यह पाठ पढ़ा कर तुमने मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया भाई। युद्ध के इस नारकीय दलदल में  फँसे हुए मुझको हाथ देकर उबरने की कीमत तो नहीं चुका पाऊँगा, लेकिन...

४। मेरी नहीं सबकी माँ                                                                मैंने पढ़ा                         

सुख-आनंद सर्व में है स्व मेन नहीं। माँ यह अच्छी तरह से समझती है। तभी तो...

जब प्रकृति का न्याय होता है तब न धन, न धर्म, न पद, न ज्ञान काम आता है। काम आता है सिर्फ कर्म।

५। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी – धारावाहिक

धारावाहिक की दसवीं किश्त

पढ़ने के लिए ब्लॉग का संपर्क सूत्र (लिंक) (ब्लॉग में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है): ->


https://sootanjali.blogspot.com/2021/10/2021.html


शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

सूतांजली, सितंबर 2021

 सूतांजली के सितंबर अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-

इस अंक में तीन विषय, एक लघु कहानी और धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी की नौवीं किश्त है।

१। क्यों हो जाते हैं हम निराश?                                      

हमें हर समय आशावान होने की ही शिक्षा मिली। हम यह जानते भी हैं कि आशा ही हमें सफलता की ओर अग्रसर करती है और निराशा असफलता के अंध-कुएँ में धकेल देती है। फिर भी हम क्यों बार-बार निराश हो जाते हैं? बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं जो हमें बार-बार निराश करती रहती है। इन्हें जानें-समझें और इनका निराकरण करें। फिर निराशा आपको परेशान नहीं करेगी। प्रारम्भ में यह आपको कठिन लग सकता है लेकिन, पहला कदम बढ़ाइए, जैसे-जैसे कदम उठाते जाएंगे, डगर आसान होती जाएगी।  

२। एक भावपूर्ण प्रार्थना और दृढ़ विश्वास                                         मैंने पढ़ा

प्रार्थना सुनी जाए, इसके लिए क्या, शब्द चाहिए? क्या हाथ जुड़े होने चाहिए? इच्छा जाहिर करना जरूरी है? या फिर कुछ और ही चाहिए? क्या?

३। जन्मदिन                                                                               मेरे विचार

जन्मदिन, माधव ने एक वर्ष, माँ के कहने पर, अपना जन्मदिन एक अलग ढंग से मनाया। और फिर तो उसे उसी की लत लग गई। उसमें उसे इतना आनंद मिलने लगा कि आज के पारंपरिक तरीके को वह भूल ही गया।

४। कर्म                                                    लघु कहानी - जो सिखाती है जीना

जब प्रकृति का न्याय होता है तब न धन, न धर्म, न पद, न ज्ञान काम आता है। काम आता है सिर्फ कर्म।

५। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी – धारावाहिक

धारावाहिक की नौवीं किश्त

पढ़ने के लिए ब्लॉग का संपर्क सूत्र (लिंक) (ब्लॉग में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है): ->

 

https://sootanjali.blogspot.com/2021/09/2021.html

शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

सूतांजली अगस्त 2021

 सूतांजली के अगस्त अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-

इस अंक में दो विषय, एक लघु कहानी और धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी की आठवीं किश्त है।

१। विज्ञान और आध्यात्म  - मेरे विचार

विज्ञान और आध्यात्म आमने-सामने हैं या अगल-बगल? नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक चार्ल्स टौएंस के विचार क्रांतिकारी हैं। उन्होंने यह सिद्ध किया है के ये आमने-सामने नहीं बल्कि अगल-बगल में खड़े हैं।

२। मेरी साइकिल दौड़ - एक चिंतन

दिन में कम-से-कम एक घटना हमें कुछ संकेत देती हैं। कभी हम समझ लेते हैं कभी नहीं। समझे  और अपनाया, तो जीवन बदलने लगा और वह सब मिला जिसके लिए सारी जिंदगी दौड़ते रहे।

३। साधारण बनना ही खास बनना है - लघु कहानी - जो सिखाती है जीना

बड़ी पढ़ाई, बड़ा पैसा, बड़ी कुर्सी, बड़ा रुतबा आपको खास नहीं बनती, बड़ा बनाता है आपका साधारण बनना।

४। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी – धारावाहिक

धारावाहिक की आठवीं किश्त

पढ़ने के लिए ब्लॉग का संपर्क सूत्र (लिंक) (ब्लॉग में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है): ->

https://sootanjali.blogspot.com/2021/08/2021.html

 

शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

सूतांजली, जुलाई 2021

 सूतांजली के जुलाई अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-

इस अंक में तीन विषय, एक लघु कहानी और धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी की सातवीं किश्त है।

१। ऋषि, ऋषिभाव, ऋषित्व – मैंने पढ़ा

कौन है ऋषि और कैसे उसे ऋषिभाव एवं ऋषितव की प्राप्ति होती है? गीताप्रेस, गोरखपुर की पुस्तक पर आधारित है यह लेख।

२। पैसों के मालिक नहीं, रखवाले – मेरे विचार

क्या अधिकार, दायित्व और कर्तव्य है पूँजीपतियों के? क्या कहा गाँधी ने और कैसे उसे आचरण में ढाला जमुनालाल बजाज, जे आर डी टाटा, नारायण – सुधा मूर्ति, प्रेम अजीम जी ने!

३। सामाजिक कार्यकर्त्ता  - मैंने पढ़ा

श्री प्रमोद शाह अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच के संस्थापक अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हीं के अनुभव उन्हीं की कलम से।

४। लघु कहानी - जो सिखाती है जीना

श्री अरविंद सोसाइटी से प्रकाशित पत्रिका अग्निशिखा में प्रकाशित कहानी पर आधारित।

५। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी – धारावाहिक

धारावाहिक की सातवीं किश्त

पढ़ने के लिए ब्लॉग का संपर्क सूत्र (लिंक) (ब्लॉग में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है): ->

https://sootanjali.blogspot.com/2021/07/blog-post.html

शुक्रवार, 4 जून 2021

सूतांजली, जून २०२१

सूतांजली के जून अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-

इस अंक में दरअसल एक विषय एवं धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी की छठवीं किश्त है।

 

एक ही विषय पर दो लेख - सुकरात को मैंने पढ़ा और समाज से में जो देखा-सुना उससे मेरे मेरे विचार बने।

जब हमारी उम्र बढ़ने लगती है, तब हमारी प्राथमिकताएं बदलने लगती हैं। हमारी सोच और मान्यताओं में परिवर्तन आने लगता है, हमारा तन और मन कुछ अलग खोजने लगता है तब हम कैसे एक चतुर माली की तरह अपने चारों तरफ एक सुंदर, सुगंधित, निर्मल बगीचे का निर्माण और उसका रख-रखाव करें कि जो भी उस बगिया में रहे, आये और बगल से गुजरे, तो उसका दिल भी प्रसन्नता से सरोबार हो जाये।

१। जीवन कैसे जिया जाये  - मैंने पढ़ा,

२। कैसे लें बुढ़ापे में आनंद? – मेरे विचार,

और अपना चित परिचित धारावाहिक की छठी किश्त

३। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी – धारावाहिक

 

पढ़ने के लिए ब्लॉग का संपर्क सूत्र (लिंक) (ब्लॉग में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है): ->

https://sootanjali.blogspot.com/2021/06/blog-post.html

सुनने के लिए यू ट्यूब का संपर्क सूत्र -  

https://youtu.be/zSOqtjm6Xps

 

शनिवार, 1 मई 2021

सूतांजली मई २०२१

 सूतांजली के मई अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-

इस अंक में दो विषय, एक लघु कहानी एवं धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी का पाँचवा अंश है:

१। मालिक से गुलाम तक का सफर

जो कौम मालिक हुआ करती थी अब तेजी से गुलाम बनती जा रही है, स्वेच्छा से। है न अद्भुत बात।

... परिवर्तनों को सुविधा के नाम पर ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर लिया गया। पीढ़ी को तैयार करना परिवार की जिम्मेदारी थी लेकिन अब स्वतंत्र, एकल और निरंकुश जीवन शैली ही मान्य हो गई है। बच्चा छुटपन से ही पारिवारिक व्यापार से जुड़ कर वयस्क होने तक निपुण हो जाता था। अब अपने पैतृक व्यवसाय से जुड़ ...                 पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर

२। जापान – श्री माँ की दृष्टि में

... आमतौर पर जापानियों को गलत समझा गया है और गलत रूप से पेश किया गया है और इस विषय पर कहने लायक कुछ कहा जा सकता है। अधिकतर विदेशी लोग जापानियों के उस भाग के सम्पर्क में आते हैं जो विदेशियों के संसर्ग से बिगड़ चुका है – ये पैसा कमाने वाले, पश्चिम की नकल करने वाले जापानी हैं। वे नकल करने में बहुत चतुर हैं और उनमें ऐसी काफी सारी चीजें हैं जिनसे पश्चिम के लोग घृणा करते हैं। अगर हम केवल राजनेताओं, राजनीतिज्ञों और...

दशकों पहले श्री माँ का जापान में जापान के बारे में दिये गये वक्तव्य की गहराई समझने योग्य है और पठनीय भी। पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर

३। छेद

क्रोध का असर क्या और कितना होता है? पिता ने कैसे समझाया अपने लड़के को। पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर

४। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी

पांडिचेरी आने के पहले श्री अरविंद कुछ समय अंग्रेजों की जेल बंद में थे। जेल के इस जीवन का, श्री अरविंद ने कारावास की कहानी के नाम से, रोचक वर्णन किया है। अग्निशिखा में इसके रोचक अंश प्रकाशित हुए थे। इसे हम जनवरी माह से एक धारावाहिक के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इस कड़ी में यहाँ इसका पाँचवा अंश है।

 संपर्क सूत्र (लिंक): ->  https://sootanjali.blogspot.com/2021/05/blog-post.html

 ब्लॉग में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है।

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2021

सूतांजली, अप्रैल २०२१

 सूतांजली के अप्रैल अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-

इस अंक में दो विषय, एक लघु कहानी एवं धारावाहिक कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी का चौथा अंश है:

१। नववर्ष का चमत्कार

..................... का इंतजार किए, बिना किसी और का मुंह जोहे, चमत्कारी व्यक्ति बनिए। देखिये आपको भी जीवन में चमत्कार दिखने लगेंगे।...................

कौनसा नववर्ष और कैसा चमत्कार? कैसे दिखेंगे हमारे जीवन में चमत्कार? पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर

२। अपने अंदर एंटिवाइरस हमें लगाना है

.................... हमारे अपने अनुभवों  से हमारे विचार प्रभावित होते हैं। विशेष कर सुबह उठते ही और रात को ठीक सोने के पहले हमने जो पढ़ा-सुना उसका सबसे ज्यादा असर होता है। किसी समय सुबह उठ कर अखबार पढ़ना और सोने के पहले समाचार देखना सही होता रहा होगा। अब नहीं। इससे बचें। इन दो के अलावा वह तीसरी बात जिसका सबसे ज्यादा महत्व है वह है...........

क्या है वह तीसरी बात? पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर

३। पहचान

एक युवक ईश्वर से मिलना चाहता था। उसने प्रार्थना की, ईश्वर मुझसे बात करो। तभी एक........

कैसी पहचान? किससे पहचान? कैसे पहचानें? पढ़िये नीचे दिये गए लिंक पर

४। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी

पांडिचेरी आने के पहले श्री अरविंद कुछ समय अंग्रेजों की जेल बंद में थे। जेल के इस जीवन का, श्री अरविंद ने कारावास की कहानी के नाम से, रोचक वर्णन किया है। अग्निशिखा में इसके रोचक अंश प्रकाशित हुए थे। इसे हम जनवरी माह से एक धारावाहिक के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इस कड़ी में यहाँ इसका चौथा अंश है।

 संपर्क सूत्र (लिंक): -> https://sootanjali.blogspot.com/2021/04/blog-post.html

 ब्लॉग में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है।

शुक्रवार, 5 मार्च 2021

सूतांजली मार्च २०२१

 सूतांजली के मार्च अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-

इस अंक में दो विषय, एक लघु कहानी एवं कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी धारावाहिक का तीसरा अंश है:

१। कैसा जीवन चाहिये? गुलाम का या मालिक का?

कैसा जीवन खोजते हैं आप? – एक गुलाम जैसा या एक मालिक जैसा! बड़ा बेहूदा सा प्रश्न प्रतीत होता है। यह भी कोई पूछने वाली बात है! गुलामी का जीवन भी कोई जीवन है? गुलामी में तो जीवन केवल जाता है, आता नहीं। गुलामी का जीवन बस एक आभास होता है, सपना होता है,.....

२। सुखी जीवन, आपकी मुट्ठी में

एक बड़ी कंपनी में कार्यरत महिला लिखती हैं:

उस वर्ष कंपनी में अनेक उठा-पटक हुए। अब कंपनी के कर्मचारियों का वार्षिक मूल्यांकन चल रहा था। सभी बेहद तनाव में थे। चाय पर, भोजन पर, गलियारों में, आते-जाते सब केवल इसी की चर्चा कर रहे थे। कौन रहेगा, कौन जाएगा, किसकी तरक्की होगी, किसकी अवनति होगी? जितनी मुंह उतनी बातें। मैं उस तनाव को झेल नहीं पा रही थी। अत: हरिद्वार एक आश्रम में  ध्यान- .......

३। गुरु पर भरोसा

भयानक कार दुर्घटना में अपना बायाँ हाथ खो चुकने के बाद भी १० वर्षीय जतिन की जूडो सीखने की तीव्र इच्छा थी। एक दिन वह एक बूढ़े जापानी जूडो गुरु के पास पहुंचा। साहस जुटाकर उसने उनसे जूडो सीखाने का आग्रह किया। गुरु ने उसे अपने शिष्यों में शामिल कर लिया। अगले दिन से वह नियमित अभ्यास में शामिल होने लगा। वह खूब मन लगाकर अच्छी तरह से सीख रहा था। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि पिछले तीन महीने से वह एक ही पैंतरा .........

४। कारावास की कहानी – श्री अरविंद की जुबानी

पांडिचेरी आने के पहले श्री अरविंद कुछ समय अंग्रेजों की जेल बंद में थे। जेल के इस जीवन का, श्री अरविंद ने कारावास की कहानी के नाम से, रोचक वर्णन किया है। अग्निशिखा में इसके रोचक अंश प्रकाशित हुए थे। इसे हम जनवरी माह से एक धारावाहिक के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इस कड़ी में यहाँ इसका तीसरा अंश है।

 

संपर्क सूत्र (लिंक): -> https://sootanjali.blogspot.com/2021/03/2021.html

 

ब्लॉग में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है।

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021

सूतांजली, फरवरी २०२१

 सूतांजली के फरवरी अंक का संपर्क सूत्र नीचे है:-

इस अंक में तीन विषयों पर चर्चा है:

१। यक्ष प्रश्न 

यक्ष ने अगला प्रश्न किया, “संसार में दु:ख क्यों है?”

“लालच, स्वार्थ, भय संसार के दु:ख के कारण हैं”, युधिष्ठिर ने बताया।

“तब फिर ईश्वर ने दु:ख की रचना क्यों की?”

“ईश्वर ने संसार की रचना की। और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दु:ख और सुख की रचना की”।   ..........................

२। अंधेरा

·          अंधेरा, अंधकार, अँधियारा, तमस, रात, तम, तिमिर

·          अज्ञानता, मतिभ्रम, निराशा, अवसाद, रहस्य, अप्रसिद्धि, अपमान, मृत्यु

·          दिन में सूर्य प्रकाशित होता है तो रात्रि में चाँद, तारे, दीपक, मोमबत्ती, मशाल, बिजली अंधेरे का नाश करते हैं

·          जरा ठहरो, यानि प्रकाश के लिये किसी का होना आवश्यक है! चाहे वह सूर्य हो या चाँद-तारे, या दीपक, बिजली या कुछ और! ...................

३। कारावास की कहानी

पांडिचेरी आने के पहले श्री अरविंद कुछ समय अंग्रेजों की जेल बंद में थे। जेल के इस जीवन का, श्री अरविंद ने कारावास की कहानी के नाम से, रोचक वर्णन किया है। अग्निशिखा में इसके रोचक अंश प्रकाशित हुए थे। इसे हम जनवरी माह से एक धारावाहिक के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इस कड़ी में यहाँ इसका दूसरा अंश है।

 

संपर्क सूत्र (लिंक): -> https://sootanjali.blogspot.com/2021/02/blog-post.html

 

ब्लॉग में इस अंक का औडियो भी उपलब्ध है।