रविवार, 22 मार्च 2015

क्या खूब लिखा है किसी ने


बख्श देता है खुदा उनको जिनकी किस्मत खराब होती है
वो हरगिज नहीं बख्शे जाते हैं, जिनकी नियत खराब होती है।

न मेरा एक होगा, न तेरा लाख होगा
न तारीफ तेरी होगी, न मज़ाक मेरा होगा
गुरूर न कर शाहे शरीर का
मेरा भी खाक होगा, तेरा भी खाक होगा।

जिंदगी भर ब्रांडेड ब्रांडेड करने वालों
याद रखना कफन का कोई ब्रांड नहीं होता
कोई रो कर दिल बहलाता है
और कोई हंस कर दर्द छुपाता है।

क्या करामात है कुदरत का
जिंदा इंसान पानी में  डूब जाता है
और मुर्दा तैर कर दिखाता है।

मौत को देखा तो नहीं पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी
कमबख्त,
जो भी उससे मिलता है
जीना छोड़ देता है।

गज़ब की एकता देखी लोगों की जमाने में
ज़िंदों को गिराने में और मुर्दों को उठाने में

जिंदगी में न जाने, कौनसी बात आखरी होगी
न जाने कौनसी रात आखरी होगी
मिलते जुलते, बातें करते रहो यारों
एक दूसरे से न जाने
कौनसी मुलाक़ात

आखरी होगी।

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