मजबूर! किसे कहते
हैं मजबूर? उसे जो परिस्थिति वश बदल जाय या उसे जो परिस्थिति को बदल दे ? मैं पूरी तरह भ्रमित हूँ।
दक्षिण
अफ्रीका पहुँचते ही वहाँ की रंग भेद नीति की गंध महसूस होने के बावजूद सब की सलाह
को दरकिनारे करते हुवे रेल के प्रथम श्रेणी में सफर करने वाला इंसान मजबूर हो सकता है?
रेल
में सफर करने वाले गोरे यात्रियों की परवाह न कर पुलिस के कहने पर भी तीसरे दर्जे
में सफर करने के बजाय प्लैटफ़ार्म पर फेंके जाने के लिए तैयार व्यक्ति मजबूर हो सकता है?
अदालत
द्वारा पगड़ी को हटाने का निर्देश देने पर पगड़ी हटाने के बदले अदालत छोड़ कर जाने
वाला इंसान मजबूर हो सकता है?
बीच
सड़क पर अपने ही वतन के लोगों द्वारा इतनी पिटाई खाई की अगर गोरे बचाने नहीं आ जाते
तो वह शायद उसके जीवन का अंतिम दिन
होता। कारण-वह अपने सिद्धांतो और विचारों से मजबूर था।
गोरी
सरकार और गोरों के हिंसात्मक विरोधों के बावजूद मय परिवार के वापस दक्षिण अफ्रीका
पहुंचा। फिर से सड़क पर मार पड़ी। गोरे दोस्तों के कारण बचा। उसकी मजबूरी थी अपने देश
वासियों के प्रति अपने उत्तरदायित्व और दिये गए वचन के निर्वाह की।
बनारस
में मंच पर उपस्थित राजे-महाराजे एवं विशिष्ट-गणमान्य
व्यक्तियों की परवाह न कर उनके ही खिलाफ वक्तव्य देने की कोई तो मजबूरी रही होगी?
जब
देश के सब साधन सम्पन्न शीर्ष एवं बड़े नेता चंपारण को अनदेखा कर रहे थे किस मजबूरी के कारण ही
वह वहाँ पहुंचा होगा?
चंपारण
में नीलहे मालिक, जिलाध्यक्ष, न्यायालय एवं सरकार द्वारा चंपारण छोड़ने के हुक्म को मानने से इंकार करने
की भी कोई मजबूरी हो सकती है?
एक
के बाद एक दो मुकदमों- न्यायालय की अवमानना और देशद्रोह- में अपने पर लगे इल्जाम को कबूलते हुए कहा कि उसे कड़ी
से कड़ी सजा सुनाई जाए। क्या यह उसकी मजबूरी थी?
जब
पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था उस समय नोआखाली के मुस्लिम बाहुल्य प्रदेश में
जहां हिंदुओं का कत्लेआम किया गया था अपने मुट्ठीभर साथियों के साथ निहत्थे लेकिन
निर्भय घूमने के पीछे भी कोई मजबूरी ही रही होगी?
नोआखाली
में मुसलमानों का “हिंदुओं द्वारा मुसलमानों को “माफीनामा” देने का प्रस्ताव” रद्द कर कहा कि जघन्य अपराधियों को सबसे पहले बिना किसी शर्त के समर्पण
करना चाहिए। यह मजबूरी है या मजबूती?
बिहार
के दंगा ग्रस्त इलाके में एक हिन्दू, एक मुसलमान परिवार को समाप्त कर
उस परिवार के 2 माह के बच्चे को लाया आया और पूछा कि बताओ मैं इस
बच्चे का क्या करूँ? उसने सुझाव दिया कि इस बच्चे के
लालन पालन का उत्तरदायित्व तुम लो और इस बात का ध्यान रखो कि यह बच्चा बड़ा हो कर
एक सच्चा मुसलमान बने। क्या मजबूरी रही होगी इस फैसले की ?
अगर इसे ही “मजबूर इंसान”
कहते हैं तो हे ईश्वर! हे परवरदिगार! या अल्लाह! अगर तू कहीं है और मुझे सुन रहा है तो हमें ऐसा
ही एक, सिर्फ एक ही मजबूर व्यक्ति दे
दे।