सूतांजली अक्तूबर, २०१९ में २ लेख हैं।
१. अतिशबाजी
और दिवाली
धीरे धीरे मानसिकता इस बात पर बनने
लगी है कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए आतिशबाज़ी बंद होनी चाहिए। लेकिन इससे बचे श्रम, धन और उमंग को रोकने
के बजाय अपने त्योहार को मनाने का नया तरीका अपनाना चाहिए। क्या और कैसे?
२. कहाँ गए अपने उत्सव और त्यौहार
जैसे जैसे नई तकनीक आती हैं उन्हे अपनाना ही चाहिए। उन्हे नकारते रहेंगे तो
हमें दुनिया नकारने लगेगी। लेकिन अपनी संस्कृति और संस्कार को त्यागने के बजाय उसे
नया रूप, नया कलेवर देना चाहिए जिसमें
दोनों, तकनीक और संस्कृति, का समावेश हो।
इस वर्ष दिवाली की शुभकामनाएँ भेजेंगे या फिर फॉरवर्ड करेंगे?
अपने विचार एवं टिप्पणी हम तक पहुंचाएं तो हमें अच्छा लगेगा।
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