शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

ऑस्ट्रेलिया – मौसम


ऑस्ट्रेलिया – मौसम

मेरे सिडनी आने  बाद किसी ने भारत से पूछा कि यहाँ का मौसम ठंडा है या गरम ? इसके जवाब में  मैंने यही कहा, मैं जब भी लंबे समय के लिए बाहर निकलता हूँ तब मेरे साथ गरम जैकेट, टोपी, मफ़लर साथ ही  पसीना पोंछने के लिए सुगंधित नैपकीन (वेट टिशू पेपर) और छाता भी होता है। हाँ मौसम समाचार पढ़ कर उसके मुताबिक थोड़ा फेर बादल हो सकता है क्योंकि मौसम समाचार के सही होने की उम्मीद ज्यादा रहती है। अब ठंडा है या गरम आप ही समझ लीजिये”।

 सिडनी का मौसम ऐसा ही है। कब गरम पड़ेगी, कब ठंड कुछ पता नहीं चलता। हो सकता है एक तरफ धूप इतनी तेज हो कि चमड़ी जल जाए, सन-बर्न क्रीम की जरूरत हो  लेकिन साथ ही ऐसी बर्फीली हवा चल रही हो कि रोंगटे खड़े हो जाएँ। हाँ, इसका अहसास तभी होता है जब खुले में हों। घर, ऑफिस, शॉपिंग मॉल, ट्रेन, बस, गाड़ी में इसका एहसास नहीं होता। ये सब सील्ड और शीत-ताप-नियंत्रित होते हैं। मैं सिडनी, सितंबर के मध्य में आया। कुछ लोग अक्तूबर में आने वाले थे। हमने कहा कि वहाँ कैसा मौसम है, यह हम बता देंगे, आप उसी प्रकार ठंडे या गरम कपड़े ले आइयेगा। हम अंत तक नहीं बता पाये कि ठंड है या गरम। लेकिन हाँ, हमने यह जरूर कहा कि गरम मौसम के अनुसार कपड़े ले आइए। मौसम बदलने के कारण, ठंड के अनुसार गरम कपड़े सस्ते  में मिल जाएंगे, यहीं खरीद लीजिएगा।

दक्षिण गोलार्ध में होने के कारण औस्ट्रेलिया में मौसम उल्टा रहता है, यानि दिसंबर-जनवरी में गर्मी और मई-जून-जुलाई में सर्दी। ऑस्ट्रेलिया 25.27744 S, 133.7751॰ E तथा सिडनी 33.8688S, 151.2093E में है। वहीं भारत 20.5937N, 78.9629E तथा कोलकाता 22.5726N, 88.3639E में है। भूमध्य रेखा से काफी दक्षिण में होने के कारण औस्ट्रेलिया भारत की तुलना में ठंडा है। इसी कारण यहाँ गर्मी में दिन बेहद लंबे और सर्दी में बहुत छोटे हो जाते हैं। यहाँ सूर्योदय भी भारत से पहले, सर्दी के 6 महीने 4.30 घंटे और गर्मी के 6 महीने 5.30 घंटे, होता है। एक घंटे के आगे पीछे का दिन निश्चित नहीं है, लेकिन अक्तूबर और अप्रैल के प्रथम सप्ताह में छुट्टी के दिन, समय में परिवर्तन किया जाता है। यह एक अकेला देश है जो एक पूरा महाद्वीप भी है। काफी बड़ा होने के कारण औस्ट्रेलिया को प्रमुखत: 3 समय क्षेत्र (टाइम ज़ोन) में बांटा हुआ है – पश्चिम, मध्य और पूर्व। पश्चिम से मध्य में 1.30 घंटे और मध्य से पूरव में आधे घंटे का फर्क है।

यहाँ के निवासियों के लिए अभी गर्मी ही है। हम जैकेट, मफ़लर और टोपी में घूम रहे होते हैं लेकिन यहाँ के बाशिंदे शॉर्ट और टी में। तापमान  30 और 9c के बीच है। धीरे धीरे अब तापमान चढ़ना शुरू होगा।  सबसे अच्छी बात यह है कि समुद्र के किनारे होने पर भी नमी ज्यादा नहीं है। इस कारण पसीना कम या नहीं आता है। बदन में चिपचिपापन नहीं होता है। प्रदूषण नहीं होने के कारण शरीर भी स्वस्थ रहता है। समुद्र किनारे घूम कर आने पर भी बदन में बालू, नमकीनपना, चिपचिपाहट नहीं लगती है। स्नान करना जरूरी नहीं होता है। उस कारण शरीर में स्फूर्ति रहती है, काम करने की शक्ति बनी रहती है। आलस नहीं आता है। व्यक्ति नहीं मौसम दोषी है, हमारे आलसीपने के लिए।

सुहाना सफर और ये मौसम हंसी........

* अब एकबार फिर मौसम बादल गया है। कह सकते हैं की गर्मी आ गई है। 

शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2019

ऑस्ट्रेलिया – सिडनी

ऑस्ट्रेलिया – सिडनी

अगर आप सिडनी घूमने जा रहे हैं, तब निश्चित रूप से आप विश्व के एक खूबसूरत और अनुशासित शहर जा रहे हैं। यहाँ घूमने, देखने और अनुभव करने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि आँख और कान के साथ साथ दिमाग खुला होना चाहिए और संवेदना जागृत। सिडनी में क्या देखने का  है? इसका उत्तर एक प्रश्न है – सिडनी कितने दिन रहना है? कितने भी दिन हों विचार यह नहीं करना है कि क्या देखना है, विचार यह करना है कि क्या नहीं देखना है।  जी हाँ, यहाँ इतना कुछ करने और देखने का है कि लंबा समय भी शायद कम पड़ जाए अगर बहुत कुछ देखना, समझना और अनुभव करना है। ऑस्ट्रेलिया के दो प्रतिकात्मक स्थान (iconic spots) हैं और ये दोनों ही सिडनी में हैं – हार्बर ब्रिज और ओपेरा हाउस। 


ओपेरा हाउस
हार्बर ब्रिज
आप कितने ही दिनों के लिए जायें अगर सिडनी देखना और समझना है तो आपकी पहली पसंद होनी चाहिए – पैदल यात्रा (walking tour)। बशर्ते आप मे पास इतने पैसे होने चाहिए और लगभग 2.30- 3.00 घंटे में 3-3.50 किमी चलने की ताकत। इसकी कीमत है 0.00। जी हाँ, इस यात्रा का कोई खर्चा नहीं लगता। बिना किसी पैसे की है। पर्यटकों का समूह होता है और साथ में एक गाइड भी। पहले या बाद में आपका गाइड किसी भी प्रकार की कोई भी अपेक्षा नहीं रखता। अगर आप सजग नहीं है तो टूर के समाप्त होने पर अलविदा कह कर तुरंत निकल जाता है, आपको उसे रोकना होगा। आप  चाहें तो उसे कुछ न दें, या फिर जो भी आपकी इच्छा हो दें। यह टूर रोज दिन में दो बार, सुबह 10.30 बजे और दोपहर 2.30 बजे शहर के टाउन हाल के नजदीक से शुरू होती है। बर्फ पड़ रही हो, वर्षा हो रही हो, तेज धूप हो उस जगह पर I am free” की हरी टी शर्ट का व्यक्ति आपकी प्रतीक्षा में खड़ा मिलेगा और अगर आप अकेले भी हैं तो वह उतने ही उत्साह और उमंग के साथ आपको ले जाएगा।


इस टूर के दौरान आपको सिडनी के बारे में जानकरी तो मिलेगी ही वह जगहें भी देखने और जानने को मिलेगी जिसे आप अन्यथा नहीं देखते, देखते भी तो जानते नहीं। वे जगहें जिसे आप देखेंगे वे हैं :

1.Sydney Opera House                              2.The Harbour Bridge
3.The Rock’s District                                   4.Cadman’s Cottage
5.Hyde Park Barracks                                 6.The ‘Rum’ Hospital
7.St Mary’s Cathedral                                  8.Customs House
9.Parliament House                                   10.Macquarie Street
11.Hidden Bar culture                                12.Queen Victoria Building
13.Laneways & Art                             14.Pitt St Shopping Mall
15.Martin Place                                         16.Sydney Tower
17.Hyde Park                                            18.Circular Quay
19.Town Hall                                              20.Sydney’s Oldest Cemetery
21.Hilton Bombing                                     22.Underground Tunnels
23.St Andrew’s Cathedral                          24.Reserve Bank of Australia Museum
25.Australia Square                                   26.Events & Transport
27.Free things to do & see                        

हाँ, यह सही है कि कुछ एक को छोड़ कर बाकी जगह अंदर नहीं जाएंगे,  लेकिन उन सबों के बारे में ऐसी जानकारी मिलेगी जो अन्यथा नहीं मिलेगी। इस जानकारी की सहायता से कहाँ जाना है और कहाँ नहीं यह भी निर्णय ले पाएंगे और यह भी समझ जाएंगे कि वहाँ जाने के लिए कोई वाहन चाहिए या नहीं। अगर चलने में परेशानी नहीं है और अगर यह अच्छा लगा तब और भी कई बिना खर्च के टूर कर सकते हैं – रॉक फ्री टूर, न्यू टाउन फ्री टूर।
इसके अलावा AUD 18 में एक बस टूर कर सकते हैं को 3 घंटे में -
श्रीमती मक्कुयारिएस पॉइंट, किंग्स क्रॉस, रोज़ बे, वॉटसन बे और सबसे प्रमुख
बोंडाई बीच घूमा देगा और साथ में होगा टूर गाइड भी।
अगर आप शाकाहारी नहीं हैं तो फूड टूर भी आपके लिए मतलब का हो सकता है।

ये सब टूर बिना खर्च के या बहुत कम खर्च के हैं। अत: कोई भी एजेंट इनके बारे न तो बताएगा और न ही  लेकर जाएगा। मैं केवल एक बात कह सकता हूँ – आप याद तो रखेंगे कि बिना खर्च के सिडनी को बड़े अच्छे ढंग से देखा, समझा और अनुभव किया। मेरे साथ आज की यात्रा बस यहीं तक की।


जी, क्या कहा? आप मुझे कुछ टिप देना चाहते हैं? आपकी मर्जी, जरूर दे सकते हैं।

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019

ऑस्ट्रेलिया – दुर्गा पूजा


ऑस्ट्रेलिया – दुर्गा पूजा

माँ दुर्गा 
भारत के हर प्रान्त की भाषा, साहित्य, संस्कृति, कला, संगीत प्राय: अलग अलग हैं। हर प्रान्त को  अपनी इस विरासत पर गर्व है। प्रान्तीय संस्कृति ही भारतीय संस्कृति है।  लोगों का अपने क्षेत्रीय संस्कृति से लगाव अलग अलग धरातल पर है।  हम यह जानते हैं कि बंगाल उन कुछ एक प्रान्तों में है जिन्हे अपनी संस्कृति से बेहद लगाव भी है और बंगालियों की गहरी पैठ भी है। यही कारण है कि पत्र-पत्रिका-साहित्य पढ़ना, संगीत सुनना हर बंगाली का शौक है। वे अपने बच्चों को नृत्य-संगीत की शिक्षा भी देते हैं। बंगाल का प्रमुख त्योहार दुर्गा पूजा है। शरद ऋतु में अश्विन की सप्तमी, अष्टमी और नवमी, तीन दिन दुर्गा माता की बड़ी धूम-धाम, श्रद्धा और भक्ति से आराधना की जाती है। जहां बड़ों और बुजुर्गों के लिए यह एक पूजा-अनुष्ठान का समय होता है वहीं बच्चों और युवक-युवतियों के लिए छुट्टी, मस्ती और सैर सपाटे का। जगह जगह सार्वजनिक दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। मेले लगते हैं। सजावट होती है। झूले, चाट-पकौड़े की धूम रहती है। पूरा बंगाल, विशेषकर कोलकाता दुल्हिन की तरह सज जाता है। युवक-युवती, बाल-वृद्ध क्षमतानुसार सारी सारी रात घूमते हैं। इन तीन दिनों के लिए (दुर्गा) माता अपने पीहर आती हैं जहां उनका बड़े धूम धाम से स्वागत होता है। चौथे यानि दशमी के दिन अश्रुपूर्ण आँखों से माँ की विदाई होती है, सिंदूर खेला होता है। दुर्गा पूजा की गूंज अब केवल बंगाल या भारत तक नहीं बल्कि सारे संसार में सुनी जा सकती है।

खाने का आनंद
ऐसे समय में  सिडनी अछूता कैसे रह सकता है।  सिडनी, ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य की राजधानी है।  बंगाली एसोसिएशन ऑफ न्यू साउथ वेल्स यहाँ की लगभग 50 वर्ष पुरानी संस्था है। उस समय कई छोटी छोटी संस्थाओं को मिलाकर इसकी नींव पड़ी और तब से यह संस्था लगातार वृहद रूप में सिडनी में दुर्गा पूजा का आयोजन कर रही है। इसके अलावा और भी 4-5 सस्थाएं हैं जो सिडनी के इर्द गिर्द पूजा का आयोजन करती 
खिलाने का आनंद

हैं। विधिवत माता की प्रतिष्ठा, पूजा, अर्चना तो होती ही है साथ ही खाना-पीना, गाना-बजाना भी होता है।

इस संस्था में तकरीबन 500 परिवार सदस्य हैं। पूजा की व्यवस्था सराहनीय है। सदस्यों का सेवा भाव और समर्पण काबिले तारीफ है। भोग पकाने का कार्य सदस्य ही करते हैं। भोग क्या होता है, पूरा खाना ही होता है। मेज-कुर्सी लगी होती है। अतिथि भोजन लेकर आराम से बैठ कर भोग ग्रहण करते हैं। संस्था के 
पान, चाय, चाट , कैंडी और आइस क्रीम

सदस्य ही टेबल पर खड़े रहकर लोगों की सहायता करते रहते हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से व्यवस्था होती है, उन्हे पूरे आदर और सम्मान के साथ टेबल कुर्सी पर बैठा कर भोग दिया जाता है। संस्था के सदस्य, पुरुष-महिला-बच्चे, ही खुद घूम घूम कर पूरा कार्य करते हैं। लगभग 1400-1500 लोग जमा होते हैं और भोग लेते हैं। किसी को खाने में आनंद आता है, किसी को खिलाने में तो किसी को पकाने में। कोई पूजा में व्यस्त है, कोई गाने बजाने में। ऐसे आयोजन में अगर चाट – पकोड़ा न हो, चाय और कलकत्ते का पान न हो तो पूरा आयोजन ही फीका हो जाता है। महिलाओं के लिए शॉपिंग स्टॉल तो बच्चों के लिए कैंडी और आइस क्रीम भी रहती है। देश के नियमों और कानून को ध्यान में रखते हुए ज़ोर 
शॉपिंग
का ढोल-धमाका नहीं किया जाता है। लघु रूप में आरती और हल्के से दीया जलाया जाता है। मुझे जिज्ञासा हुई कि यहाँ विसर्जन कहाँ और कैसे किया जाता है। जानकारी मिली कि भारत की  तरह विसर्जन न कर, पूजा के बाद,  प्रतिमा को बड़े हिफाजत से रखा जाता है। उसी प्रतिमा को फिर कई वर्षों तक प्रयोग में लेते हैं तत्पश्चात पूरे आदर और सम्मान के साथ  उसे विघटित कर देते हैं।

ऐसे आयोजनों में भारतीय मूल के लोग अपनी पारम्परिक वेश भूषा में ही आते हैं और खाना-पीना, गाना-बजाना भी भारतीय होता है। ऐसा नहीं है कि केवल बंगाली ही भाग लेते हों। हिस्सेदारी सब प्रांत के लोगों की होती है। हाँ, बहुतायत में बंगाली ही होते हैं। ऐसे आयोजन अपनी मिट्टी से दूर उसकी खुशबू बनाए रखती हैं। 

इतने लोगों की उपस्थिती और भोजन के बावजूद कहीं भी कोई शोर-शराबा नहीं। कहीं जरा सा भी कचरा नहीं। कहीं कोई अनुशासनहीनता नहीं। सब अपनी प्लेट खुद उठा कर यथास्थान टब में डालते हैं। टब की भी निगरानी रखी जाती है। समयानुसार उसे लगातार खाली किया जाता है। कोई यह नहीं मानता कि इसकी सफाई का उत्तरदायित्व सरकार, निगम या आयोजक का है। सार्वजनिक स्थान को साफ रखना उतना ही हमारा कर्तव्य है जितना अपने घर को साफ और सुंदर रखने का। खुद अनुशासन बनाए रखते हैं। बुजुर्गों के स्थान पर युवा नहीं जाते। पंक्ति तोड़ कर बीच में घुसने का प्रयत्न नहीं करते। इसके लिए न हमें किसी कार्यकर्ता की आवश्यकता है न ही पुलिस की। विदेश को हम अपना घर समझते हैं, सभ्य लोगों के रहने की जगह। अपने देश को कूड़े का टब और बदमाशों का अड्डा। विदेश में स्वच्छता बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी है और अनुशासन बनाए रखना सभ्यता की निशानी। लेकिन वही हम अपने देश में गंदगी करना अपना कर्तव्य और स्वच्छता रखना सरकार की ज़िम्मेदारी मानते हैं। अनुशासन तोड़ना हमें विशिष्ट व्यक्ति बनाता है और उसे मानना आम आदमी। जब तक हम नहीं बदलेंगे, देश नहीं बदलेगा।


सिडनी की पाक्षिक पत्रिका इंडियन लिंक की रिपोर्ट


शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2019

सूतांजली अक्तूबर २०१९


सूतांजली अक्तूबर२०१९ में २ लेख हैं।
१.  अतिशबाजी और दिवाली
धीरे धीरे मानसिकता इस बात पर बनने लगी है कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए आतिशबाज़ी बंद होनी चाहिए। लेकिन इससे बचे श्रम, धन और उमंग को रोकने के बजाय अपने त्योहार को मनाने का नया तरीका अपनाना चाहिए। क्या और कैसे?
२. कहाँ गए अपने उत्सव और त्यौहार
जैसे जैसे नई तकनीक आती हैं उन्हे अपनाना ही चाहिए। उन्हे नकारते रहेंगे तो हमें दुनिया नकारने लगेगी। लेकिन अपनी संस्कृति और संस्कार को त्यागने के बजाय उसे नया रूप, नया कलेवर देना चाहिए जिसमें दोनों, तकनीक और संस्कृति, का समावेश हो। इस वर्ष दिवाली की शुभकामनाएँ भेजेंगे या फिर फॉरवर्ड करेंगे?
अपने विचार एवं टिप्पणी हम तक पहुंचाएं तो हमें अच्छा लगेगा।
पढ़ें http://sootanjali.blogspot.com पर

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

ऑस्ट्रेलिया – वेस्टमीड


ऑस्ट्रेलिया – वेस्टमीड


स्वच्छ, निर्मल, बेदाग आकाश। कहीं बादल एक टुकड़ा भी नहीं, सारे सारे दिन। कहीं कोई धब्बा नहीं। सामान्य नीले रंग से थोड़ा गहरा नीला। देखा तो देखता ही रह गया, नजरें नहीं हटीं, पाँव थम गए। पल्लव ने पुकारा तब देखा वे आगे बढ़ गए हैं और मैं सर उठाए आसमान ताक रहा हूँ। हाँ, यहाँ का आकाश अलग है।  अगर आकाश की शुभ्रता और निर्मलता देखने लायक है तो यह भी उतना ही सच है कि सुबह-शाम पक्षियों के झुंड आकाश में एक संगीतात्मक लय में चक्कर लगाते नहीं दिखते। कबूतर, चिड़िया (गौरय्या) दिखते हैं। कौव्वे हमारे भारत कि तुलना में ज्यादा बड़े और काले कि देखते ही भय सा लगता है।  मैना बहुतायत में, कभी कबार तोतों का जोड़ा भी नजर आता है। इनके अलावा यहाँ के स्थानीय पक्षी जैसे कि कोकाटू (cockatoo) अलग अलग रंग की किलंगी में, सफ़ेद गुल (silver gull) तथा अन्य कई पक्षी दिख जाते जाते हैं। हवा शीतल नहीं, ठंडी है। धूप इतनी तेज कि चमड़ी जल जाए, ठंड इतनी कि कंप-कंपी छूट जाए। मौसम का मिजाज कब कैसे बदलेगा पता नहीं। हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना जरूरी है। तापमान आज, 24 सितंबर का 7-22 सेंटीग्रेड। पूर्वी औस्ट्रेलिया  भारत से 4.30 घंटे आगे है। अक्तूबर से यह फर्क 5.30 घंटे हो जाएगा।  
 
वेस्टमीड स्टेशन और ट्रेन 
वेस्टमीड, सिडनी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगभग 27 किलोमीटर और सिडनी से 25 किलोमीटर है। दरअसल वेस्टमीड सिडनी के पश्चिम में  उसका एक उपनगर है। दूरी पर न जाएँ क्योंकि यहाँ की  द्रुतगति से सपाट सड़कों पर दौड़ती आरामदेह बसों और रेल के लिए इतनी दूरी न तो ज्यादा है, न थकाने वाली और न ही समय लेने वाली। हमारा निवास इसी उपनगर में है। यह उपनगर और दो उपनगर हैरिस पार्क और पैरामैटा के बाद है। इन तीनों ही नगरों में भारतीय मूल के निवासियों का बाहुल्य है। वेस्टमीड और हैरिस पार्क के मध्य पैरामैटा में रेस्टुरेंट, कार्यालय, शॉपिंग सेंटर हैं।

वेस्टमीड का क्षेत्रफल 2.9 km2  है और जनसंख्या 2016 की जनगणना के अनुसार 16309 थी। यहाँ भारत मूल के निवासी सबसे ज्यादा हैं, 36.3%। दूसरे नंबर में ऑस्ट्रेलिया के निवासी आते हैं, 25.4%। इनके अलावा चीन, श्रीलंका, फिलीपींस और नेपाल मूल के लोग भी हैं। इस क्षेत्र में अँग्रेजी बोलने वाले 20.8% हैं और दूसरे नंबर में हिन्दी बोलने वाले, 10.1% हैं। यहाँ के निवासियों की औसत साप्ताहिक आय $1866 है जो देश के औसत $1438 से ज्यादा है। और शायद इसी कारण यहाँ की औसत अचल संपत्ति (रियल इस्टेट) के ऋण का मासिक भुगतान $2000 है जबकि देश का औसत $1755 है। हिन्दू (40.8%) सबसे ज्यादा हैं।  शायद यही कारण है कि यहाँ घूमते फिरते ऐसा आभास होता है कि हम भारत में ही घूम रहे हैं। भारतीय स्टोर और रेस्टुरेंट्स भी बड़ी संख्या में हैं।

वेस्टमीड की  पहचान यहाँ की मेडिकल सेंटर, स्कूल और यूनिवरसिटि के कारण है। वृहद वेस्टमीड सरकारी 
स्कूल और यूनिवरसिटि 
अस्पताल भारत के किसी भी निजी अस्पताल से टक्कर ले सकता है। बड़ों के अलावा बच्चों और मेंटल हेल्थ के अलग से अस्पताल हैं। निजी अस्पताल और डॉक्टरों के अनेक क्लीनिक हैं। वेस्टर्न सिडनी यूनिवरसिटि, WSU कॉलेज, UWS कॉलेज भी यहीं हैं। वेस्टमीड पब्लिक स्कूल 1917 में स्थापित हुआ था। इसके अलावा कैथरीन माउलेय कैथॉलिक स्कूल, और पैरामैटा मरिस्ट हाई स्कूल जो की औस्ट्रालिया का सबसे पुराना कैथॉलिक स्कूल है जिसकी स्थापना 1820 में हुई थी। इनके अलावा और भी कई स्कूल यहाँ हैं।

घरों के नमूने 
रहने के लिए छोटे छोटे बंगलानुमा मकान हैं। हर ऐसे बंगले के साथ एक छोटा सा बगीचा और गाड़ी खड़ी करने की जगह। ऐसे एक जैसे बंगलों का समूह भी है जिसने कॉलोनी का सा रूप ले लिया है। कुछ एक छोटे छोटे 2 या 3 तल्लों के मकान और समूह भी हैं। बहुमंजली इमारतों का केवल एक समूह है। ऐसी और एक इमारत वेस्टमीड स्टेशन के निकट बन रही है।

रोज़मर्रा की चीजों के लिया कोल्स का वृहद सुपर स्टोर है। यहाँ फल, सब्जी के अलावा रोज़मर्रा में लगने वाली हर वस्तु बड़ी संख्या में उपलब्ध है। इस स्टोर में सेल्फ बिलिंग काउंटर है जहां आप खुद अपना बिल बना और भुगतान कर सकते हैं, बिना किसी की दखलंदाजी के। कहीं किसी प्रकार की रोक टोक, चेकिंग नहीं है लेकिन कैमरा और तकनीक की सहायता से अपने आप पूरी निगरानी रखी जाती है और सबसे बड़ी बात यह है कि यहाँ आदमी आदतन ईमानदार है। खास बात यह है कि, जैसा मैं पहले लिख चुका हूँ, यहाँ की जनसंख्या में भारत मूल के हिन्दू ही सबसे ज्यादा हैं। अगर हम ऑस्ट्रेलिया में ईमानदार हो सकते हैं तो अपने देश में क्यों नहीं?  हमें दूसरों जैसा नहीं बनना है, दूसरों को अपने जैसा बनाना है।

बाहर खाने का शौक  हो या खरीददारी करनी हो तो पैरामैटा जाना की ठीक है। यहाँ रेस्टुरेंट्स की भरमार है और वेस्ट फील्ड का बहुमंजिला और बहु इमारतों में फैला वृहद बाजार है जिसे पूरा एक दिन में नहीं घूमा जा सकता। इसमें मल्टीप्लेक्स में मूवी भी देखी जा सकती है। यह स्टोर रेल स्टेशन और बस अड्डे से सटा हुआ है।  वेस्टमीड स्टेशन से केवल एक स्टेशन दूर है। लगभग 2.5किमी। कई एयर कंडीशंड बसें भी दौड़तों रहती हैं जिन्हे 10 मिनट से भी कम समय लगता है।
 
बच्चों एवं बड़ों का पार्क, चैरिटी का समान डालने की जगह, बस स्टॉप 
पिछले चार वर्षों में यहाँ यातायात में बढ़ोतरी हुई है। यहाँ की दौड़ती गाडियाँ, घूमते लोग, बच्चे दादा-नाना की संख्या और इनके साथ साथ यातायात नियमों का उल्लंघन और गंदगी में भी आबादी की तुलना में वृद्धि दिखाई पड़ती है। लेकिन इन सब के बावजूद एक स्वस्थ्य वातावरण, प्रदूषण मुक्त जलवायु और शांत परिवेश मानव के रहने के लिए अच्छा स्थान है।

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

आस्ट्रेलिया – कोलकाता से सिडनी तक

आस्ट्रेलिया – कोलकाता से सिडनी तक
कई दिनों, नहीं सप्ताहों के इंतजार के बाद आखिर 13 सितंबर की रात या 14 सितंबर की सुबह हम फिर एक लंबी यात्रा पर लंबे समय के लिए निकल पड़े। गंतव्य था सिडनी। पासपोर्ट तो था ही, हवाई जहाज की टिकिट वीसा मिलने के बाद ही लेने का विचार था।  अत: वीसा का आवेदन भी लगा दिया गया था। आवेदन राशि थी 145 आस्ट्रेलियन डॉलर। ऑस्ट्रेलियन  वीसा आवेदन की सबसे बड़ी खास बात यह रही कि आवेदन से लेकर प्राप्ति तक हमें कहीं नहीं जाना पड़ा। ऑस्ट्रेलिया में ई-विसा मान्य है। घर में बैठे बैठे ही, आवेदन से लेकर प्राप्ति तक का पूरा कार्य अपने कम्प्युटर से ही कर लिया (https://immi.homeaffairs.gov.au/) । पिछली यात्रा के समय तो मन में पूरा विश्वास था कि वीसा तो मिल ही जाएगा, लेकिन इस बार थोड़ी शंका थी। शंका का कारण था,  कुछ समय पहले ही मेरी भतीजी के वीसा आवेदन का अस्वीकृत होना। हम अटकलें लगाते रहे लेकिन अस्वीकृत करने के किसी भी ठोस नतीजे पर नहीं पहुँच पाये थे। हमारे आवेदन जमा करने के साथ साथ ही हमें मेल से सूचित किया गया कि हमें अपने स्वास्थ्य का परीक्षण करवाना होगा। इसके साथ ही कहाँ, क्या और कब तक जमा करवना है, पूरी सूचना थी। शायद हम वरिष्ठ नागरिक हैं तथा हमने 6 माह रहने की अनुमति मांगी थी, इसलिए परीक्षण करवाने का निर्देश दिया गया था। खैर परीक्षण की पूरी रिपोर्ट परीक्षण केंद्र (diagnostic centre) ने सीधे  ऑन लाइन ही जमा कर दी। परीक्षण रिपोर्ट जमा करने के 2 दिनों के अंदर ही हमें हमारा वीसा मिल गया। 12 महीने की वैधता, अधिकतम एक साथ 6 महीने का निवास और इस वैधता के दौरान कई बार जाने की अनुमति के साथ।  और इस प्रकार पूरी तौयरी के साथ हम पहुँच गए कोलकाता के हवाई अड्डे पर। हमारे सामान का वजन नियम मुताबिक था, कोई परेशानी नहीं हुई।

हमारी यात्रा का पहला चरण कोलकाता से हाँग काँग तक कैथी ड्रगन से थी। कैथी ड्रैगन, कैथी पैसिफिक की कम बजट की अंतरराष्ट्रीय एयर लाइंस  है। इसकी अवस्था राष्ट्रीय कम बजट की एयर लाइन से खराब थी। और तो और बैठने की कुर्सी फ़िक्स्ड थीं। आगे पीछे (push button) करने की गुंजाइश नहीं थी। किसी भी प्रकार के मनोरंजन का भी कोई साधन नहीं था। सौभाग्य से यात्री बहुत कम होने के कारण हम तीन-तीन सीट पर पैर फैला कर सो गए। सोने के पहले सैंड विच, फल और पेय पदार्थ दिया गया।  जब हम हाँग काँग पहुंचे सुबह हो चुकी थी। चारों तरफ धूप पसरी पड़ी थी। सुबह के 7.30 बज रहे थे।

हाँगकाँग एयरपोर्ट पर क्या करना है, वेब साइट पर देख कर, पहले से तय कर रखा था। खोजते हुए हम 
हाँगकाँग हवाई अड्डे पर 
रिलेक्सेशन कोर्नर (relaxation corner) पर पहुंचे। यहाँ आराम कुर्सियाँ लगी हैं। लेकिन मुश्किल से 15-20 ही थीं। समझ गए, इसका इंतजार करना मूर्खता है। खोज प्रारम्भ हुई, तथा जल्द ही ऐसी जगह खोज लिए जहां पैर पसार कर सोया जा सकता था। हमने वही किया। कुछ समय बाद, शायद भूख लगने पर नींद टूटी। घर से लाये रोल निकाले, एक कप कॉफी लिया और भूख मिटाई । दाम हाड़ फोड़ कर लेते हैं। लेकिन मात्रा इतनी ज्यादा देते हैं कि दो के लिए काफी होता है।  खा-पीकर तरो ताजा हुए और फिर निकल पड़े एयरपोर्ट देखने। बहुत बड़ा है, लेकिन सिंगापुर की तुलना में विशेष नहीं। कोलकाता से निकलने  के पहले  ‘Priority Pass’ (https://www.prioritypass.com)  ले लिया था। सौभाग्य  से यह कार्ड अपने क्रेडिट कार्ड पर बिना मूल्य के प्राप्त हो गया। इसकी कृपा से प्लाज़ा प्रीमियम लाउंज में तीन घंटे के लिए प्रवेश की सुविधा मिली। यहाँ 

प्लाज़ा प्रीमियम लाउंज में

सोफा पर जम गए। पैर फैला कर आराम किए। खाना पीना बिना किसी मूल्य के मिला, नहाने की भी व्यवस्था थी। हमलोगों के लिए खाने की विशेष बानगी नहीं थी फिर भी सैंड विच, सूप, फल, सलाद, टोस्ट, चाय, कॉफी, जूस और शीतल पेय तो थे ही। इतना कुछ लेने पर अलग से भोजन की आवश्यकता नहीं रह जाती है।  घड़ी आगे बढ़ती जा रही थी। यहाँ हमारा लगभग 12 घंटे का ठहराव शनै: शनै: कम होता जा रहा था, और हमें इसका भान भी नहीं हो रहा था। लाउंज से निकलने पर हमने देखा कि हाँगकाँग सांस्कृतिक संस्था की तरफ से नृत्य चल रहा है।  उसका आनंद लिए। समय बीत गया और हम बोर्डिंग गेट के तरफ चल पड़े।

आगे की यात्रा आस्ट्रेलिया  की एयर लाइंस काँटाज  (Qantas) से थी। यहाँ वातावरण अच्छा था। यात्री कुछ कम थे। यहाँ भी तकदीर ने साथ दिया। हमारे बगल की एक सीट खाली थी। पसर तो नहीं सके, लेकिन हाँ कुछ सहूलियत से फैल गए। खाना-पीना ठीक था। लगभग सूर्योदय के साथ साथ हम सिडनी के हवाई अड्डे पर उतर गए। यह हवाई अड्डा तुलनात्मक दृष्टिकोण से बहुत  छोटा है। हमारे ऊपर इमिग्रेशन और सामान निरीक्षण की तलवार लटकी थी। दिल धड़क रहा था। हवाई 
हाँग काँग हवाई अड्डे पर पारम्परिक नृत्य 

कलाकारों के साथ 
जहाज पर ही हमें इमिग्रेशन को दिया जाने वाला घोषणा पत्र (declaration form) दे दिया गया था जिसमें हमें अपने बारे में तथा हम क्या ला रहे हैं इसकी जानकारी देनी थी।  आस्ट्रेलिया के मुख्य कारोबार में दूध और कृषि का विशिष्ट स्थान है। अत: यहाँ की सरकार इन के बारे में काफी सचेत और सजग है। ऐसी कोई भी वस्तु जिससे दूध और कृषि उत्पादन में हानिकारक हो सकती है, लाने नहीं देती है। मीनू ने हाँगकाँग में सेव और कोक का टिन उठा लिया था। मैंने उसे फिंकवा दिया। साथ में खाने पीने का थोड़ा सामान था। अच्छी तरह और सही ढंग से पैक किया था। ध्यान से पढ़ने के पर लगा हमारे साथ खाने का जो भी सामान है उसके लिए हाँ कहने की आवश्यकता नहीं है। अत: हमने सबों पर नहीं का निशान लगाया लेकिन दवा पर हाँ का लगाया। इमिग्रेशन तेजी से हो गया और अब हम एक लंबी कतार में खड़े थे। वहीं से सामने ही ‘quarantine’ यानि बंद कमरे में अकेले रखने की जगह बनी हुई दिखाई पद रही थी। वहीं से देखा 10-10 की कतार में 30 लोगों को खड़ा कर के कुत्ते से सुंघाया जा रहा था। यानि जल्दी ही हम भी कुत्ते की कृपा पर ही आश्रित होने वाले थे।  उस समय हमें वे कुत्ते ही भगवान लग रहे थे। कुछ ही देर में हम भी उसी जगह खड़े थे और कुत्ते हमारे अगल बगल से दौड़ने लगे। एक कुत्ता मीनू पर उछला। हमारी साँसे बंद हो गई। लेकिन फिर समझा, वह उसकी ट्रॉली के ऊपर रखे बैक-पैक को सूंघ रहा था। कुत्ते बाबा की  कृपा से हम वहाँ से सही सलामत विदा हो गए। अब हम हवाई अड्डे से बाहर थे। बाहर निकलते ही ठंड का अहसास हुआ। हमें पहले ही हिदायत दे दी गई थी कि गरम कपड़े बाहर रखें । सलाह के अनुसार काम करने के कारण कोई परेशानी नहीं हुई। कोलकाता, घर से निकलने पर शंकाओं से घिरी पूरी यात्रा निर्विघ्न समाप्त हुई। हम जो कुछ लेकर चले थे वह सब लेकर आस्ट्रेलिया पहुँच चुके थे।


हमारी दिक्कत यही है, हम वर्तमान, जो खूबसूरत है,  में नहीं जीते । वर्तमान को छोड़ भूत के पश्चाताप और भविष्य की चिंता में लिपटे वर्तमान को बिगाड़ते रहते हैं। 

शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

तो हम सब यहाँ से हट जाएँ


सन १९२१ में काँग्रेस का अधिवेशन अहमदाबाद में हुआ था। कोलकाता से एक कार्यकर्ता श्री बर्ड गो-रक्षा में बहुत दिलचस्पी लेते थे। वह भले और सच्चे व्यक्ति थे। जिस समय महासमिति की बैठक हो रही थी, किसी ने गो-हत्या बंद करने के संबंध में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। अध्यक्ष पद पर हाकी अजमल खाँ विराजमान थे और गांधीजी उनकी मदद कर रहे हे। उन्होने राय दी, यह प्रस्ताव काँग्रेस में लाना ठीक नहीं होगा।

लेकिन बर्ड साहब इस बात पर तुले हुए थे कि यह प्रस्ताव पेश होना ही चाहिए। अध्यक्ष महोदय ने बार-बार बैठ जाने की प्रार्थना की, लेकिन वह टस-से-मस नहीं हुए। तब विवश होकर अध्यक्ष बोले, “आप मेरा आदेश नहीं मानते है, तो सभा छोड़कर चले जाइये”।
बर्ड साहब ने उत्तर दिया, “मैं नहीं जाऊंगा”।
अब तो सभा में हलचल मच उठी। आखिर क्या किया जाय? क्या इन्हे पकड़कर हटाया जाय या पुलिस को बुलाया जाय? किन्तु गांधीजी ने एक नया उपाय खोज निकाला। खड़े होकर बोले, “मैं सब सदस्यों से अनुरोध करता हूँ कि यदि बर्ड सभा-स्थान से नहीं हटते, तो हम सब यहाँ से हट जाएँ”।

बस दूसरे क्षण सभी लोग वहाँ से उठाकर चले गए। अकेले बर्ड साहब हतप्रभ से वहाँ खड़े रहे।



कुछ नया सोचें, शालीन सोचें।